Kalki Jayanti 2024: महादेव का प्रिय सावन का महीना चल रहा है. इस महीने पूजा-पाठ और अराधना के लिए जाना जाता है. वैसे तो इस महीने का हर दिन त्योंहार के रूप में जाना जाता है. लेकिव इस महीने में कुछ विशेष पर्व भी आते है जैसे-तीज, नाग पंचमी, विनायक चतुर्थी, और कल्कि जयंती.(Kalki Jayanti 2024)
सावन के इन खास पर्वों में से एक आता है कल्की जयंती का पर्व. हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन कल्की जयंती का उत्सव मनाया जाता है. कल्की जयंती भगवान विष्णु के 10वें अवतार को समर्पित है.
मान्यता है कि आने वाले समय कलयुग में जब अधर्म अपनी चरम सीना पर होगा तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु अवतार लेंगे.
सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन कल्कि के रूप में धरती पर अपना दसवां अवतार लेंगे. इसलिए भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के जन्म से पहले ही कल्कि जयंती के रूप में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है और भगवान कल्कि की पूजा अर्चना की जाती है.
कब है कल्कि जयंती 2024
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 10 अगस्त की देर रात 3.14 पर होगा और इसका समापन अगले दिन 11 अगस्त की सुबह 5.44 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार इस बार कल्कि जयंती 10 अगस्त, दिन शनिवार को मनाई जाएगी.
कल्कि जयंती पर बन रहे हैं शुभ योग
इस वर्ष कल्कि जयंती पर कुछ शुभ संयोग का निर्माण भी होने जा रहा है. इस दिन साध्य योग, शुभ योग, रवि योग और शिव वास योग का निर्माण होगा. इन शुभ संयोग के कारण ये कल्की जयंती बहुत शुभ रहने वाली है. साध्य योग का निर्माण दोपहर 2.52 मिनट तक है. इसके बाद शुभ योग और रवि योग का निर्माण होगा. रवि योग सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ माना जाता है. इसके साथ ही, शिव वास योग भी इस दिन बन रहा है, जो शिवजी की पूजा और उनके आशीर्वाद पाने के लिए बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इन सब योग में भगवान कल्कि की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.
भगवान कल्कि के अवतार के विषय में
पुराणों में भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, कलयुग के अंत में जब धरती पर अधर्म और अन्याय का बोलबाला होगा, तब भगवान विष्णु 64 कलाओं से परिपूर्ण होकर कल्कि के रूप में अवतार लेंगे. उनका उद्देश्य धरती से अधर्म का नाश कर धर्म की पुनः स्थापना करना होगा. इसके बाद कलयुग की समाप्ति होगी और सतयुग का आरंभ होगा.
भगवान विष्णु का कल्कि अवतार, कलयुग के अंत में सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होगा. इस कारण इस दिन भगवान कल्कि के स्वागत और सम्मान में उनके जन्म से पहले ही कल्कि जयंती मनाई जाती है. वैष्णव समुदाय में कल्कि जयंती का विशेष महत्व है. इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे संसार में फैले अधर्म के विनाश की प्रार्थना करते हैं.
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