guru-nanak-jayanti nd kartik purnima: इस साल पूर्णिमा और गुरुनानक जयंती एक ही दिन, यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जा रही हैं। कार्तिक एकादशी आ चुकी है और शादियों और अन्य सभी शुभ कार्यों की शुरूआत हो चुकी है।
15 नवंबर को कार्तिक मास का अंतिम दिन पूर्णिमा है। कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, और इसे शुभ माना जाता है।
इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती भी धूमधाम से मनाई जाती है, जिसे गुरुपर्व या गुरुनानक जयंती के नाम से जाना जाता है। इस विशेष दिन पर श्रद्धालु गंगा स्नान, पूजा-अर्चना और कीर्तन में भाग लेते हैं। (guru-nanak-jayanti nd kartik purnima)
गुरुद्वारों में प्रभात फेरी, कीर्तन, और लंगर का आयोजन होता है, जिससे भक्तगण गुरु नानक जी के विचारों और शिक्षाओं को याद करते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान, दान-पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है।
माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवनभर बना रहता है। कार्तिक पूर्णिमा यानी 15 नवंबर को गुरु नानक जी की जयंती है।
पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था, इस वजह से इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। (guru-nanak-jayanti nd kartik purnima)
एक अन्य कथा के अनुसार हिन्दी पंचांग के आठवें महीने में कार्तिकेय स्वामी तारकासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव जी आठवें महीने का नाम कार्तिकेय के नाम पर कार्तिक रखा था।
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कार्तिक पूर्णिमा पर शुभ काम(guru-nanak-jayanti nd kartik purnima)
1. कार्तिक पूर्णिमा पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
2. पूर्णिमा तिथि पर गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए।
3. इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाना चाहिए। पंचामृत चढ़ाने के बाद फिर से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, धतूरा चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। दीपक जलाकर आरती कर मिठाई का भोग लगाएं।
4. कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना और धन का दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए हरी घास दान करें।
हनुमान जी के मंदिर में दीपक जलाएं। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
5. शाम को सूर्यास्त के बाद चंद्र उदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करें। चंद्र को चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएंगे तो बहुत शुभ रहेगा। अर्घ्य देते समय ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
6. सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी को लाल चुनरी भी अर्पित करनी चाहिए।