माइग्रेन, ऐसी अजीबोगरीब बीमारी जिसमें कभी हथोड़े मारने, कभी स्पन्दन और कभी बम धमाके जैसा सिरदर्द होता है और कुछ का तो सेन्सरी सिस्टम (आंख, कान और हाथ-पैरों) भी बिगड़ जाता है। इस न्यूरोलॉजिकल कंडीशन में हल्के या तीव्र सिरदर्द के अलावा मतली, उल्टी, बोलने में दिक्कत, नमनेस, झनझनाहट और रोशनी तथा आवाज के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षण उभरते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, यह भी देखा गया है कि यह फैमिली हिस्ट्री के हिसाब से चलती है। यदि किसी के दादा या पिता को यह समस्या है तो उनके बच्चों या करीबी रिश्तेदारों को इसका रिस्क बढ़ जाता है। माइग्रेन के अधिकतर केसों में सिर के किसी खास हिस्से में टीस उठती है जिसकी तीव्रता परिवर्तित (तेज/हल्की) होती रहती है। हमारे देश में प्रतिवर्ष इसके कई करोड़ मामले सामने आते हैं। यह लम्बे समय या जीवन भर भी रह सकता है लेकिन इसे दवाओं से मैनेज कर सकते हैं। माइग्रेन सिरदर्द अधिकतर मामलों में शरीर में हो रहे हारमोनल परिवर्तनों, खान-पान में बदलाव, तनाव और क्लाइमेट में एक्सट्रीम परिवर्तन से भी ट्रिगर होता है। पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं।
लक्षण क्या है माइग्रेन के?
माइग्रेन के लक्षण सिरदर्द शुरू होने के दो दिन पहले से महसूस होने लगते हैं मेडिकल साइंस में इसे प्रोड्रोम स्टेज कहते हैं। इस स्टेज में ज्यादा खाने की इच्छा, डिप्रेशन, थकान, ऊर्जाहीनता, लगातार उबासियां, हाइपर सेन्सिटीविटी, इरेटबिल्टी और गर्दन अकड़ने जैसे लक्षण उभरते हैं। इस स्टेज के बाद माइग्रेन विद औरा शुरू होता है यानी कि कुछ अजीबोगरीब लक्षण जैसेकि अस्थायी रूप से नजर धुंधलाना, बोलने में दिक्कत, चेहरे, हाथ और पैरों में चुभन महसूस होना, चमकती लाइट या तरह-तरह की आकृतियां दिखाई देना और ब्लाइंड स्पॉट जैसे लक्षण उभरते हैं। इस स्टेज के बाद माइग्रेन अटैक स्टेज में सिरदर्द शुरू हो जाता है। यह स्टेज एक्यूट या क्रोनिक होगी यह उठने वाले माइग्रेन दर्द पर निर्भर है। इसकी अवधि कुछ घंटे या कई दिनों की हो सकती है। कुछ लोगों में यह स्टेज, औरा स्टेज के साथ ही शुरू होती है। माइग्रेन अटैक के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं जैसेकि-
– रोशनी और आवाज के प्रति संवेदनशीलता।
– जी मिचलाना और उल्टी होना।
– दुर्बलता और बेसुधी महसूस होना।
– सिर में किसी एक ओर (दायें/बांयें/आगे/पीछे) दर्द महसूस होना।
– सिर दर्द में स्पन्दन महसूस करना।
माइग्रेन के अटैक फेज के बाद पीड़ित पोस्टड्रोम फेज से गुजरता है और इस दौरान उसका मूड और भावनायें परिवर्तित होती हैं जिससे वह कभी बहुत खुश या कभी बहुत उदास तथा थका हुआ महसूस करता है। कुछ लोगों को इस दौरान धीमा-धीमा सिरदर्द भी होता है। माइग्रेन के इन फेजों की अवधि और इन्टेन्सिटी प्रत्येक व्यक्ति के लिये अलग-अलग हो सकती है।
माइग्रेन सिरदर्द को पीड़ित अलग-अलग तरह से महसूस करते हैं जैसेकि पल्सेटिंग (घड़कन की तरह), थ्रोबिंग (धमक की तरह), परफ्रेटिंग (छेद करता हुआ), पॉन्डिंग (धमाके की तरह), डिबलटेटिंग (दुर्बल या हल्का)।
आमतौर पर माइग्रेन का दर्द धीरे-धीरे शुरू होता है यदि इसका उपचार न किया जाये तो गम्भीर हो जाता है। यह सबसे ज्यादा माथे को प्रभावित करता है लेकिन दायें या बांये भी शिफ्ट हो जाता है। अधिकतर मामलों में यह चार घंटे तक और इलाज न कराने पर 72 घंटे से एक सप्ताह तक बना रहता है। यह जरूरी नहीं कि इससे पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति इसकी तीनों स्टेजों से गुजरे, किसी को तो केवल इसकी अंतिम स्टेज ही महसूस होती है।
माइग्रेन नौज़िया: माइग्रेन के आधे मरीजों को जी मिचलाने के लक्षण महसूस होते हैं और इसी वजह से उन्हें उल्टी भी आ जाती है। ज्यादातर में ये लक्षण सिरदर्द के साथ उठते हैं लेकिन कुछ को सिरदर्द शुरू होने के एक घंटे बाद महसूस होते हैं। पीड़ित को जी मिचलाने और उल्टी जैसे लक्षण उतना ही परेशान करते हैं जितना कि सिरदर्द। यदि पीड़ित को केवल नौज़िया या जी मिचलाने के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो उसे केवल माइग्रेन की दवा लेनी चाहिये लेकिन उल्टी होने पर माइग्रेन की दवा के साथ उल्टी की दवा (प्रोफाइलेटिक दवायें) लेनी जरूरी हैं अन्यथा माइग्रेन की दवा भी उल्टी में निकल जायेगी और उसका कोई असर नहीं होगा। यदि माइग्रेन की दवा लेने में देरी होती है तो इसके लक्षण और गम्भीर हो जाते हैं। बिना उल्टी के नौज़िया की स्थिति में डाक्टर एंटी नौज़िया या एंटीमेटिक दवायें लिखते हैं। ऐसी स्थिति में एंटीमेटिक दवायें उल्टी रोकने में मदद करती हैं जिससे नौजिया की स्थिति कंट्रोल होती है। सन् 2012 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि एक्यूपंचर से माइग्रेन नौज़िया का उपचार सम्भव है। इसमें पाया गया कि नौज़िया शुरू होने के तीस मिनट के अंदर यदि एक्यूपंचर से उपचार किया जाये तो इससे चार घंटे तक आराम रहता है।
कितनी तरह का होता है माइग्रेन?
माइग्रेन कई तरह का होता है लेकिन इसके दो सबसे कॉमन टाइप हैं- माइग्रेन विदआउट औरा व माइग्रेन विद औरा, कुछ लोग इन दोनों से पीड़ित होते हैं और कुछ किसी एक से।
माइग्रेन विदआउट औरा को कॉमन माइग्रेन माना जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति किसी भी तरह का औरा (कोई अन्य लक्षण) महसूस नहीं करता। इसमें पीड़ित को महीने में कम से कम पांच बार माइग्रेन का अटैक इस तरह महसूस होता है-
– सिर दर्द जो बिना इलाज के 4 घंटे से 72 घंटे तक रह सकता है।
– सिरदर्द में इनमें से कम से कम दो लक्षण जरूर होते हैं-
– यह सिर के एक तरफ हो सकता है।
– यह दिल की धड़कन या धमक की तरह हो सकता है।
– दर्द हल्का या तीव्र हो सकता है।
– चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ने पर सिरदर्द बढ़ता है।
– सिरदर्द के साथ इनमें से कम से कम एक लक्षण अवश्य उभरता है-
– फोटोफोबिया या लाइट के प्रति संवेदनशीलता।
– फोनोफोबिया या आवाज के प्रति संवेदनशीलता।
– बिना उल्टी या डिहाइड्रेशन के जी मिचलाना।
– इस सिरदर्द का कारण स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई अन्य समस्या न होकर केवल माइग्रेन होता है।
माइग्रेन विद औरा को क्लासिक, कॉम्प्लीकेटेड या हेमीप्लेजिक माइग्रेन भी कहते हैं। माइग्रेन के 25 प्रतिशत मरीज इससे पीड़ित होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को माह में कम से कम दो बार माइग्रेन अटैक होता है और वह भी इन लक्षणों के साथ-
– विजुअल प्रॉब्लम या दृष्टि धुंधलाना (यह सबसे कॉमन औरा सिम्पटम है)
– सेन्सरी प्रॉब्लम जैसेकि शरीर के किसी भाग, चेहरे, जीभ में नमनेस या झनझनाहट।
– स्पीच या लैंग्वेज प्रॉब्लम।
– चलने-फिरने में कमजोरी जोकि 72 घंटों तक रहती है।
– ब्रेनस्टेम (दिमाग से जुड़े) सिम्पटम (जैसेकि बोलने में दिक्कत, वर्टिगो (चक्कर आना), कानों में सीटी या घंटी की आवाज सुनाई देना, हाइपाक्यूसिस (सुनने में दिक्कत), डिप्लोपिया (डबल विजन), एटेक्सिया या शरीर के मूवमेंट कंट्रोल करने में समस्या और चेतना में कमी) उभरते हैं।
– आंखों में समस्या जैसेकि किसी एक आंख में लाइट चमकना, ब्लाइंड स्पॉट्स या अस्थायी अंधापन। इस स्थिति को रेटिनल माइग्रेन्स कहते हैं।
माइग्रेन विद औरा का लक्षण धीरे-धीरे पांच मिनट या इससे ज्यादा समय तक बढ़ता रहता है और बढ़ने के बाद पांच मिनट से एक घंटे तक रहता है। यदि पीड़ित को तीन लक्षण महसूस हो रहे हैं तो इनका असर तीन घंटे तक रहेगा।
जब कोई औरा लक्षण सिर में एक तरफ उभरता है तो दृष्टि, स्पीच या लैंग्वेज सम्बन्धी समस्या हो सकती है। ऐसा लक्षण सिरदर्द शुरू होने के एक घंटे पहले से शुरू हो सकता है।
क्रोनिक माइग्रेन: इसमें सामान्य सिरदर्द के साथ माइग्रेन के लक्षण शामिल होते हैं। ज्यादातर मामलों में यह दवाओं की ओवरडोज से होता है। पीड़ित व्यक्तियों पर इसका असर महीने में 15 दिन रहता है और ऐसा कई महीनों तक हो सकता है। क्रोनिक माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति पहले से ही तेज सिरदर्द, डिप्रेशन, आर्थराइटिस, सिर या गले में पुरानी चोट और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।
एक्यूट माइग्रेन: इस टर्म का प्रयोग उन सभी माइग्रेन्स के लिये होता है जिन्हें क्रोनिक डिक्लेयर नहीं किया गया है। इसे एपीसोडिक माइग्रेन भी कहते हैं। इससे पीड़ित व्यक्तियों को माह में अधिकतम 14 दिन तक सिरदर्द रह सकता है लेकिन यह अवधि क्रोनिक माइग्रेन से कम होती है।
वेस्टीबुलर माइग्रेन: इसे माइग्रेन एसोसियेटेड विद वर्टिगो भी कहते हैं। माइग्रेन के 40 प्रतिशत मरीजों में वेस्टीबुलर सिम्पटम पाये जाते हैं। इन लक्षणों से पीड़ित का बैलेंस बिगड़ता है और चक्कर आते हैं। यह बच्चों या बड़ों किसी को भी हो सकता है। यह शरीर में पानी की कमी, भोजन स्किप या कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से से ट्रिगर होता है इसलिये खान-पान और लाइफ स्टाइल बदलकर इसे मैनेज किया जा सकता है।
ऑप्टिकल माइग्रेन: आंखों से सम्बन्धित इस माइग्रेन को ऑक्यूलर, ऑफ्थेलमिक, मोनेक्यूलर या रेटिनल माइग्रेन भी कहते हैं। यह केवल आंख को प्रभावित करता है। इन्टरनेशनल हैडेक सोसाइटी के मुताबिक यह पूरी तरह से रिवर्सेबल है और इससे एक आंख की दृष्टि प्रभावित होती है। पीड़ित व्यक्ति को एक आंख में चमक, ब्लाइन्ड स्पॉट, स्कोटोमाटा (पार्शियल विजन लॉस) या एक आंख की सम्पूर्ण दृष्टि चली जाना जैसे लक्षण महसूस होते हैं। आंखों से जुड़ी ये समस्यायें सिरदर्द शुरू होने के एक घंटे में उभरने लगती हैं। कई बार ऑप्टिकल माइग्रेन दर्द रहित भी होता है। इस माइग्रेन से पीड़ित इसके पहले भी किसी अन्य माइग्रेन को महसूस करते हैं। इसका अटैक ज्यादा व्यायाम करने से होता है और इसमें होने वाला दर्द आंख की समस्या (जैसेकि ग्लूकोमा) से नहीं बल्कि माइग्रेन से होता है।
मेन्सुरल माइग्रेन: माइग्रेन से पीड़ित 60 प्रतिशत महिलायें इसका अनुभव करती हैं। यह विद या विदआउट औरा उभरता है। यह माहवारी के पहले या बाद या ओव्यूलेशन के दौरान कभी भी हो सकता है। एक शोध के मुताबिक इस तरह का माइग्रेन तीव्र, अधिक समय तक रहने वाला और ज्यादा सिर चकराने वाला होता है। इस माइग्रेन से पीड़ित महिलाओं को मासिक धर्म ठीक करने वाली उन हारमोनल दवाओं से लाभ होता है जो शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाती हैं।
एसेफाल्जिक माइग्रेन: इसे बिना सिरदर्द या साइलेंट माइग्रेन कहते हैं। इसमें लक्षण तो उभरते हैं लेकिन सिरदर्द नहीं होता। 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग अक्सर इसका शिकार होते हैं। इसके पीड़ितों में विजुअल सिम्पटम उभरते हैं ओर कुछ मिनटों में धीरे-धीरे गम्भीर हो जाते हैं। कुछ मामलों में यह भी पाया गया है कि इसके सिम्पटम परिवर्तित हो गये। उदाहरण के लिये यदि आंख में ब्लाइंड स्पॉट उभरा है तो कुछ देर में इस विजुअल सिम्पटम के साथ स्पीच सिम्पटम उभरने लगेंगे साथ ही पीड़ित दुर्बलता महसूस करने लगता है और शरीर के अन्य भाग सही ढंग से मूवमेंट नहीं कर पाते।
स्ट्रेस माइग्रेन: बहुत अधिक तनाव या एंग्जायटी से ट्रिगर होने वाले माइग्रेन को स्ट्रेस माइग्रेन कहते हैं। इसमें योगा सबसे प्रभावी उपचार है।
क्यों होता है माइग्रेन?
इस क्षेत्र में शोध करने वाले इसका कोई एक निश्चित कारण पता नहीं लगा पाये हैं लेकिन उन फैक्टर्स का पता लगाया है जिनसे माइग्रेन ट्रिगर होता है। इन फैक्टर्स में दिमाग को कंट्रोल करने वाले कुछ रसायन जैसेकि सेरोटेनिन के स्तर में बदलाव या कमी से माइग्रेन उठता है। इसके अलावा तेज लाइट, तेज गर्मी (एक्सट्रीम वेदर कंडीशन), डिहाइड्रेशन, बैरोमेट्रिक प्रेशर में बदलाव, महिलाओं में हारमोनल परिवर्तन, अत्यधिक तनाव, तेज आवाज, ज्यादा फिजिकल एक्टीविटीज, स्किपिंग मील्स (खाना न खाना), कुछ खाद्य पदार्थ, स्मोकिंग, शराब का सेवन और यात्रा करने जैसे फैक्टर भी माइग्रेन ट्रिगर करते हैं। इस सम्बन्ध में हुई रिसर्च में पाया गया कि शराब जैसे एल्कोहलिक ड्रिंक्स, कैफीन युक्त पेय पदार्थ, फूड एडेटिव्स (जैसेकि नाइट्रेट, एस्पारटेम या आर्टीफिशियल शुगर/ मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी)) माइग्रेन ट्रिगर करते हैं। कुछ खाद्य-पदार्थों में पाया जाने वाला नेचुरल रसायन टाइरामाइन भी माइग्रेन ट्रिगर करता है।
कैसे होती है इसकी पुष्टि?
माइग्रेन की पुष्टि के लिये डाक्टर लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली हिस्ट्री जानने के साथ फिजिकल जांच करते हैं। इसके अलावा ट्यूमर, असामान्य ब्रेन स्ट्रक्चर और स्ट्रोक इत्यादि की सम्भावना नकारने के लिये सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग टेस्ट किये जा सकते हैं।
इलाज क्या है इसका?
माइग्रेन को पूरी तरह से या हमेशा के लिये ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन डाक्टर, इलाज के जरिये इसके लक्षणों की गम्भीरता घटाकर कष्ट कम करते हैं। इसके अलावा उपचार से इसके लक्षणों के उभरने की फ्रिकवेन्सी कम की जाती है। इसका ट्रीटमेंट प्लान पीड़ित की उम्र, माइग्रेन की अवधि, टाइप, गम्भीरता, नौज़िया, उल्टी तथा अन्य हेल्थ कंडीशन्स पर निर्भर है। इसके इलाज में सेल्फ केयर माइग्रेन रेमेडीज, लाइफ स्टाइल एडजस्टमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, अवॉइडिंग माइग्रेन ट्रिगर्स, ओटीसी पेन या माइग्रेन मेडीकेशन (जैसेकि टाइलेनॉल), माइग्रेन मेडीकेशन्स, नौजिया एंड वॉमटिंग मेडीकेशन्स, हारमोन थेरेपी, काउंसलिंग, एक्यूपंचर और एक्यूप्रेशर इत्यादि का प्रयोग होता है।
घरेलू उपचार: माइग्रेन सिर दर्द शुरू होने पर अंधेरे कमरे में शांति से लेट जायें और सिर व माथे की मसाज करें। सिर के ऊपर और गर्दन के नीचे ठंडा कपड़ा रखें। सिरदर्द से जल्द निजात पाने के लिये ज्यादा मात्रा में दवा न खायें, जितना डाक्टर ने लिखा है उसी पर स्टिक रहें अन्यथा दूसरी समस्यायें हो सकती हैं।
सर्जरी-प्रोसीजर: अमेरिका में माइग्रेन के इलाज के लिये कुछ प्रोसीजर किये जा रहे हैं जैसेकि न्यूरोस्टिीमुलेशन प्रोसीजर और माइग्रेन ट्रिगर साइट डिकम्प्रेशन सर्जरी, लेकिन इन्हें अभी तक वहां के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा मान्यता नहीं मिली है और ये प्रयोग के स्तर पर ही हैं।
न्यूरोस्टिीमुलेशन प्रोसीजर में सर्जन, त्वचा के नीचे इलेक्ट्रोड इंसर्ट करता है और ये इलेक्ट्रोड किसी विशेष नर्व को इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन डिलीवर करते हैं। वर्तमान में जिन स्टीमुलेशन्स को प्रयोग किया जा रहा है उनमें ऑक्यीपाइटल नर्व स्टीमुलेटर्स, डीप ब्रेन स्टीमुलेटर्स, वेगल नर्व स्टीमुलेटरर्स और स्फिनोप्लाटाइन गैंगलियोन स्टीमुलेटर्स प्रमुख हैं।
माइग्रेन ट्रिगर साइट डिकम्प्रेशन सर्जरी में सिर और चेहरे की उन नर्व को रिलीज करते हैं जो क्रोनिक माइग्रेन ट्रिगर करती हैं। इसमें एक बोटॉक्स इंजेक्शन (ओनाबोटूलिनमटॉक्सिन) का प्रयोग माइग्रेन अटैक में शामिल नर्व के ट्रिगर प्वाइंट को आइडेन्टीफाई करने के लिये होता है, इसके तहत पीड़ित को बेहोश करने के बाद सर्जन उस नर्व को निष्क्रिय कर देता है जो माइग्रेन ट्रिगर करती है। इलाज का यह तरीका अभी तक एक्सपेरीमेंट के तौर पर ही है और इस पर रिसर्च जारी है कि भविष्य में घरेलू उपचार से कोई अन्य समस्यायें तो नहीं होंगी।
कैसे हो रोकथाम?
माइग्रेन की रोकथाम के लिये इन बातों का ध्यान रखें-
– उन कारणों का पता करें जिनसे माइग्रेन ट्रिगर होता है और फिर ऐसी परिस्थितियों से बचने का प्रयास करें।
– शरीर में पानी की कमी न होने दें। पुरूषों को दिन में कम से कम 13 कप और महिलाओं को 9 कप पानी पीना जरूरी है।
– कभी भी खाना स्किप न करें। सुबह नाश्ता, दोपहर और रात्रि को समय पर भोजन करें। उन खाद्य-पदार्थों को चिन्हित करें जिनसे माइग्रेन ट्रिगर होता है। उदाहरण के लिये किसी को दही और किसी को गोभी या बैंगन खाने से माइग्रेन होता है तो ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
– अच्छी नींद सोयें, इससे ओवरआल हेल्थ इम्प्रूव होती है।
– धूम्रपान और शराब के सेवन से दूर रहें।
– तनाव मुक्त रहने के लिये नियमित योगा और हल्के व्यायाम को अपनी जीवन शेली में शामिल करें।
– यदि वजन ज्यादा है तो उसे घटायें।
माइग्रेन के साथ जीवन
माइग्रेन की पुष्टि होने पर डाक्टर के कहे अनुसार मेडीकेशन अपनायें और विजन लॉस होने पर घबरायें नहीं बल्कि डाक्टर से सलाह लें। यदि बोलने में दिक्कत, हाथ-पैरों में कमजोरी या चेहरा एक तरफ ढलकने लगा है तो तुरन्त ही डाक्टर के पास जायें क्योंकि यही लक्षण स्ट्रोक के भी होते हैं। बुखार के साथ गर्दन में अकड़न, कन्फ्यूजन, दौरे (सीजर्स), डबल विजन, शरीर में झनझनाहट-दुर्बलता होने पर तुरन्त अस्पताल जायें। हल्के सिरदर्द में तुरन्त दवा लेने के बजाय कुछ देर इंतजार करें हो सकता है कि यह 15-20 मिनट में अपने आप ठीक हो जाये। तेज सिरदर्द होने पर दवा की ओवरडोज न लें, दर्द निवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से किडनी खराब हो सकती है। माइग्रेन से होने वाला गम्भीर सिरदर्द अत्यन्त कष्टदायक होता है लेकिन सही उपचार से इसे मैनेज किया जा सकता है, अत: माइग्रेन का इलाज हमेशा किसी अनुभवी न्यूरोचिकित्सक से ही करायें।