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बैद्यनाथ धाम में आज रात्रि ‘महादेव’ से मिलने पहुंचेंगे ‘हरि’

Deoghar, Jan 01 (ANI): Devotees throng the Baba Baidyanath Dham to offer prayers on the first day of the New Year 2025, in Deoghar on Wednesday. (ANI Photo)

Baidyanath Dham : भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम में गुरुवार रात होने वाले “हरि-हर मिलन” के अनुष्ठान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यह विश्व में एकमात्र मंदिर है, जहां फागुन पूर्णिमा पर भगवान महादेव और भगवान विष्णु के मिलन की विशिष्ट परंपरा का निर्वाह किया जाता है। (Baidyanath Dham)

इसके पीछे की यह मान्यता है कि इसी तिथि को “हरि” यानी भगवान विष्णु के हाथों “हर” यानी भगवान महादेव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी। मंदिर के इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि इस वर्ष गुरुवार को रात 11:20 पर “हरि-हर मिलन” अनुष्ठान होगा। भगवान विष्णु की मूर्ति को शिवलिंग पर रखकर उन्हें अबीर अर्पित किया जाएगा। इस परंपरा के निर्वाह के बाद पूरे देवघर में लोग अबीर और गुलाल उड़ाकर होली खेलेंगे।

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“हरि” और “हर” के मिलन से पहले मंदिर परिसर में बने राधा कृष्ण मंदिर से श्री हरि को पालकी पर बिठाकर शहर के आजाद चौक स्थित दोलमंच लाया जाएगा। वहां बाबा मंदिर के भंडारी उनको झूले पर झुलाएंगे। देवघर वासियों को भी भगवान को झुलाने का सौभाग्य मिलेगा। दोल मंच के नीचे रात्रि 10:50 बजे मंदिर के पुजारी और आचार्य परंपरा अनुसार होलिका दहन की विशेष पूजा करेंगे। होलिका दहन के पश्चात श्री हरि को पालकी पर बिठा कर बड़ा बाजार होते हुए पश्चिम द्वार से बाबा बैद्यनाथ मंदिर लाया जाएगा। (Baidyanath Dham)

इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ महाराज बताते हैं कि देवघर के शिवलिंग को रावणेश्वर बैद्यनाथ कहा जाता है, क्योंकि लंकापति रावण के कारण बाबा देवघर आए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता काल में लंकापति रावण कैलाश पर्वत से शिवलिंग लेकर उन्हें स्थापित करने के लिए लंका ले जा रहा था। भगवान महादेव ने रावण के समक्ष शर्त रखी थी कि तुम्हें बिना कहीं रुके मुझे लंका ले जाना होगा। मुझे कहीं रख दिया तो वहीं विराजमान हो जाऊंगा। 

रावण उन्हें लेकर चला, मगर जब देवघर से गुजर रहा था तभी उसे लघुशंका लगी। जमीन पर वह शिवलिंग नहीं रख सकता था। तभी चरवाहे के रूप में भगवान विष्णु वहां आए। रावण उनको शिवलिंग सौंपा और लघुशंका करने चला गया। भगवान विष्णु ने उन्हें देवघर में अवस्थित सती के हृदय पर स्थापित कर दिया। भगवान महादेव और विष्णु के मिलन की यह परंपरा उसी वक्त से चली आ रही है।

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