Paush Month 2024: हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का अपना विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, दसवें महीने को पौष मास कहा जाता है, जिसे पूस के नाम से भी जाना जाता है।
इस महीने की शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के समाप्त होने के बाद होती है। पौष मास को सूर्य देव और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस माह में सूर्य देव की उपासना से न केवल कारोबार में वृद्धि होती है, बल्कि पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
इस महीने को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। इस दौरान गंगा स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि इन कर्मों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर शुभ आशीर्वाद बना रहता है।
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पौष माह का आरंभ और समापन
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा की 15 दिसंबर को पड़ रही है. वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 से दिसंबर से होगी.
वहीं, इस मास का समापन अगले साल यानी 13 जनवरी 2025 को होगा. पौष माह के समापन के बाद माघ के महीने की शुरुआत हो जाती है.
इसी तिथि पर मार्गशीर्ष माह का समापन हो जाएगा, जिसके बाद पौष माह की शुरुआत हो जाएगी. पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है.
पौष माह में गंगा स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. आइए जानते है पौष माह कब से शुरू हो रहा है और इसका महत्व एवं नियम क्या हैं….
वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 से दिसंबर से होगी. वहीं, इस मास का समापन अगले साल यानी 13 जनवरी 2025 को होगा. पौष माह के समापन के बाद माघ के महीने की शुरुआत हो जाती है.
पौष मास का महत्व
पौष माह की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इस माह को पौष मास कहा जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि इस मास में पिंडदान और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
वहीं, इस महीने में सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को तेज, बल और बुद्धि प्राप्त होती है. साथ ही, कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है.
विधिपूर्वक पिंडदान करने से पूर्वजों को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है.
पौष माह के नियम
पौष माह में सूर्य देव के निमित्त रविवार का व्रत रखना चाहिए.
पूजा के दौरान सूर्य देव को चावल की खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए.
मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है.
मकर संक्रांति, अमावस्या और एकादशी पर पितरों की पूजा करनी चाहिए.
इस मास में श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करना चाहिए.
पौष मास में तामसिक चीजों के सेवन दूर रहना चाहिए.
पौष माह में विधिपूर्वक सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए.