Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि आने को है. पितृपक्ष यानी क्षाद्ध खत्म होते ही अगले दिन से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो जाएगा. आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन माह के प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर दशमी तिथि तक होती है.
इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर दशहरे तक मनाई जाएगी. देश के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. डांडिया-गरबा का आयोजन किया जाता है. यह तो हम सभी जानते है कि हर त्योंहार मनाने का कोई ना कोई कारण अवश्य होता है. ऐसे ही शारदीय नवरात्रि मनाने का भी एक कारण है. आइए जानते हैनवरात्रि मनाने से जुड़ी पौराणिक मान्यता और इससे जुड़े इतिहास के बारे में. (Shardiya Navratri 2024)
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कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. कलश स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6.15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है और घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा. इसके अलावा दोपहर में भी कलश स्थापना का मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में है. यह सबसे अच्छा समय माना जाता है. दिन में आप 11.46 मिनट से दोपहर 12.33 मिनट के बीच कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं. दोपहर में आपको 47 मिनट का शुभ समय मिलेगा.
नौ दिनों तक नवरात्रि मनाने से जुड़ी मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता दुर्गा ने असुर महिषासुर के साथ भीषण युद्ध कर उसका वध किया था। यह युद्ध पूरे नौ दिनों तक चला, और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर असुरी शक्तियों का अंत किया। माना जाता है कि जब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, तब वह समय आश्विन मास का था। इसी कारण हर साल आश्विन मास की प्रतिपदा से लेकर नौ दिनों तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस पर्व में मां दुर्गा की पूजा कर उनके शक्तिशाली रूप का स्मरण किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
क्या है नवरात्रि मनाने का इतिहास
मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना से जुड़े नवरात्रि के पावन पर्व से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, असुर महिषासुर को ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान प्राप्त था, जिसके अनुसार उसकी मृत्यु न तो किसी मानव, न देवता, और न ही असुर के हाथों हो सकती थी। उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों निश्चित की गई थी। इस वरदान के बाद महिषासुर अत्याचारी बन गया और मानवों तथा देवताओं को सताने लगा। (Shardiya Navratri 2024)
महिषासुर के अत्याचारों से त्रस्त होकर, सभी देवता त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—के पास सहायता के लिए पहुंचे। तब तीनों देवताओं ने मिलकर आदिशक्ति का आवाहन किया, और उनके तेज से मां दुर्गा की उत्पत्ति हुई, जिन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा गया। देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र-शस्त्र और शक्तियां प्रदान कीं, और मां दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा।
महिषासुर और मां दुर्गा के बीच पूरे 9 दिनों तक घमासान युद्ध चला, और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए नौ दिनों तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि युद्ध के दौरान सभी देवताओं ने भी नौ दिनों तक प्रतिदिन पूजा-पाठ कर देवी दुर्गा को महिषासुर के वध के लिए शक्ति प्रदान की। तभी से नवरात्रि के पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई।
भगवान श्रीराम से जुड़ा है नवरात्रि का इतिहास
एक अन्य कथा के अनुसार नौ दिनों तक नवरात्रि का पर्व मनाए जाने की कथा श्रीराम से जुड़ी है. इसके अनुसार जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. तब रावण से लड़ाई में विजय प्राप्त करने और माता सीता को छुड़ाने के लिए भगवान राम ने पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा का अनुष्ठान किया और दवसें दिन देवी दुर्गा ने प्रकट होकर भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. भगवान श्रीराम ने दसवें दिन रावण का वध किया. इसके बाद से नवरात्रि मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई और दसवें दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है.