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Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर के रहस्य वैज्ञानिक की समझ से भी परे…

Tirupati Balaji TempleImage Source: punjab kesari

Tirupati Balaji Temple: भारत में चमत्कारों और चतमत्कारी मंदिरों की कमी नहीं है. भारत में इतने रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर है कि आजतक इनके रहस्य कोई नहीं सुलझा सका है. तिरुपति बालाजी का मंदिर इनदिनों काफी चर्चा में है. चर्चित होने के साथ तिरुपति बालाजी रहस्यमयी भी है. इस मंदिर के रहस्य को आजतक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है. भगवान तिरुपति बालाजी का चमत्कारिक मंदिर रहस्यमयी होने के कारण भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है. तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा नाम से प्रतीत होता है वैसा है नहीं. तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान श्री विष्णु को समर्पित है. भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. यह खूबसूरत मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है.

भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के रूप में मिलने वाला लड्डू इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच रिपोर्ट ने हड़कंप मचा दिया है, जिसमें मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिलने की पुष्टि हुई है. इस खुलासे के बाद विवाद खड़ा हो गया है, जिससे श्रद्धालुओं में चिंता बढ़ गई है. इस घटनाक्रम के बीच, आज हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े उन रहस्यों के बारे में बताएंगे, जो सदियों से लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बने हुए हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई अनसुलझे रहस्य हैं, जो विज्ञान भी आज तक पूरी तरह से समझ नहीं पाया है. ये मंदिर केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए ही नहीं, बल्कि रहस्यमयी घटनाओं के लिए भी प्रसिद्ध है।

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भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली

भगवान विष्णु को दुनियाभर में विभिन्न नामों के साथ पूजा जाता है. वैसे ही दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु का ही रूप हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं. मान्यता है अगर सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर से अपनी मनोकामना मांगते है तो ऊगवना अवश्य ही सभी मुरादें पुरी करते है. भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार तिरुपति मंदिर में अपने बाल दान करते हैं. इस अलौकिक और चमत्कारिक मंदिर से कई रहस्य जुड़े हैं.

कहा जाता है कि तिरूपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं. भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति के बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं. मान्यता के अनुसार यहां भगवान विष्णु खुद विराजमान हैं. जब आप मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में है. (Tirupati Balaji Temple) 

लेकिन आप जैसे ही गर्भगृह के बाहर आएंगे तो चौंक जाएंगे, क्योंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है. अब यह सिर्फ भ्रम है या कोई भगवान का चमत्कार इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है. मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं जिसकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परम्परा है.

भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को आता है पसीना

तिरुपति बाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा अलौकिक और अद्भुद है. यह मूर्ति विशेष पत्थर से बनी है इसलिए ऐसा कहा जाता है कि यह प्रतिमा जीवंत है. भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को देख ऐसा लगता है जैसे भगवान विष्णु स्वयं यहां विराजमान हैं. भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है. इतना ही नहीं प्रतिमा पर पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं. इसलिए मंदिर में हमेशा तापमान कम रखा जाता है.

श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के मंदिर से 23 KM की दूरी पर एक गांव स्थित है उस गांव में बाहरी व्यक्ति प्रवेश मना है. इस गांव लोग बहुत ही अनुशासित हैं और नियमों का पालन कर जीवन व्यतीत करते हैं. मंदिर में चढ़ाया जाने वाला पदार्थ जैसे की फूल, फल, दही, घी, दूध, मक्खन आदि इसी गांव से आते हैं.

बिना तेल और घी के जलता है दीपक

गुरुवार को भगवान वेंकेटेश्वर को चंदन का लेप लगाया जाता है. इसके बाद जो दिखाई देता है वह चमत्कारी और रहस्यों परिपूर्ण है. श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इस लेप को हटाया जाता है तो भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है. श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीपक हमेशा जलता रहता है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता. यहां तक कि यह भी पता नहीं है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था. (Tirupati Balaji Temple) 

भगवान वेंकेटेश्वर की प्रतिमा पर पचाई कपूर लगाया जाता है. कहा जाता है कि यह कपूर किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरारें पड़ जाती हैं. लेकिन भगवान बालाजी की प्रतिमा पर पचाई कपूर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजे पर दाईं तरफ एक छड़ी है.

इस छड़ी के बारे में मान्यता है कि बाल्यावस्था में इस छड़ी से ही भगवान वेंकेटेश्वर की पिटाई की गई थी जिसकी वजह से उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी. तब से आज तक उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है. ताकि उनका घाव भर जाए. भगवान वेंकेटेश्वर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनें तो समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है. यह भी कहा जाता है कि भगवान की प्रतिमा हमेशा नम रहती है.

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