Jal Jhulni Ekadashi 2024 : हिंदु धर्म में एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. गणेश उत्सव के दौरान आने वाली एकादशी बेहद महत्वपूर्ण होती है. इस आकादशी को जलझूलनी, परिवर्तिनी एकादशी और डोल ग्यारस के नाम से भी जानते है.
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से मनचाहा फल प्राप्त होता है. ये व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है. हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को जलझूलनी एकादशी या परिवर्तिनी एकादशी आती है. इस बार 14 सितंबर को भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को जलझूलनी एकादशी मनाई जाएगी.
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एकादशी का व्रत 14 सितंबर को
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 13 सितम्बर दिन शुक्रवार को रात 10.30 मिनट पर शुरू होगी और 14 सितम्बर दिन शनिवार को 08.41 मिनट पर होगी. उदया तिथि के अनुसार, एकादशी का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा, क्योंकि इसका प्रभाव पूरे दिन रहेगा. इस दिन सुबह 07.38 मिनट से 09.11 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.
परिवर्तिनी एकादशी क्यों कहते …..
एकादशी व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है. इस बार शनिवार और गणेश उत्सव के योग में एकादशी पर भगवान विष्णु, गणेश जी के साथ ही शनिदेव की पूजा का शुभ योग बन रहा है. स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है. एकादशी पर विष्णु जी के लिए व्रत किया जाता है और विशेष पूजा की जाती है. अभी भगवान विष्णु के विश्राम का समय चल रहा है. पौराणिक मान्यता है कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर विष्णु जी करवट बदलते हैं, इस वजह से इस तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं.
ये है एकादशी व्रत की सरल विधि
1. एकादशी व्रत से पहले दशमी तिथि (13 सितंबर) की शाम सात्विक आहार लेना चाहिए.
2. एकादशी के दिन 14 सितंबर को जल्दी उठकर उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं
3. घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा के बाद विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें.
4. तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाकर आरती करें.
5. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर एकादशी व्रत का संकल्प लें
6. एकादशी व्रत करने वाले लोगों को अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए
7. अगले दिन द्वादशी को जल्दी उठकर भगवान गणेश के साथ विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें
एकादशी और शनिवार के योग में शनिदेव की पूजा भी जरूर करें. शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें, भगवान को नीले फूल, काले तिल, काली उड़द चढ़ाएं. शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जप करें। जरूरतमंद लोगों को तेल, तिल का दान करें. (Jal Jhulni Ekadashi 2024)