राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

कब से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, इन नियमों का रखें ध्यान..अन्यथा नहीं मिलेगा फल!

Kawad Yatra 2024: देवों के देव महादेव को सावन का महीना अत्यधिक प्रिय है. ऐसा कहा जाता है कि श्रावण मास में महादेव स्वयं धरती पर आते है और अपने सच्चे भक्तों की मनेकामना पूर्ण करते है. सावन का महीना महादेव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है. इस माह में भगवान शिव और मात पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. श्रावण माह में ही भोलेनाथ की कांवड़ यात्रा शुरू होती है. कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्तों में बेहद खास उत्साह और उमंग देखने को मिलती है. कांवड़ियां हरिद्वार घाट या अन्य घाटों से गंगाजल लाकर सावन शिवरात्रि के दिन अपने आसापस के शिव मंदिरों में विराजमान में शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. कुछ कांवड़िएं कठोर तप करके गंगोत्री औप अन्य पवित्र घाटों पर अभिषेक के लिए गंगाजन लेने जाते है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और हर मनोकामना की पूर्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव केवल जलाभिषेक करने से प्रसन्न हो जाते हैं. कांवड़ यात्रा के समापन के समय भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. कांवड़िएं हरिद्वार तथा अन्य घाटों से पैदल गंगाजल लेकर आते है.

22 जुलाई से शुरू होगी कांवड़ यात्रा
पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन यानी 22 जुलाई से भगवान भोलेनाथ का पवित्र महीने सावन का आगमन हो जाएगा. वहीं, इसका समापन 19 अगस्त 2024 को होगा. हिंदूपंचांग के अनुसार, इस साल कांवड़ यात्रा 22 जुलाई 2024 से शुरू होगी. वहीं, इस यात्रा का समापन 2 अगस्त 2024 यानी सावन शिवरात्रि पर होगा. सावन के पूरे महीने के दौरान शिव मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिलती है.

कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा ले जाते समय हमें कई नियमों का ध्यान रखना पड़ता है..
1.यात्रा के दौरान कांवड़ को गलती से भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए.
2. अगर आपको शौच आदि के लिए रुकना पड़े, तो कांवड़ को ऊंचे स्थान पर ही रखें.
3. इसके अलावा बिना स्नान किए कांवड़ को छूना वर्जित माना जाता है.
4. कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, मदिरा और तामसिक चीजें नहीं खानी चाहिए.
5. पूर्ण भक्ति भाव के साथ यात्रा करनी चाहिए.
6. यात्रा के दौरान किसी के प्रति मन में गलत विचार नहीं रखने चाहिए.
7. कांवड़ यात्रा के दौरान जूते-चप्पल आदि नहीं पहने जाते हैं.
8. कांवड़ यात्रा के दौरान सभी कांवड़िए नंगे पैर ही यात्रा करते हैं.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें