Ganesh Ji Vahan Mushak: देशभर में प्रथम पूज्य श्रीगणेश के आने का इंतजार हो रहा है. गणेश चतुर्थी आने ही वाली है. हर साल की तरह इस वर्ष भी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेश उत्सव की शुरुआत होती है. इस वर्ष 7 सितंबर को गणेश उत्सव की शुरूआत हो रही है. देशभर में भक्त गणेशजी की प्रतिमा को घर लाते है और विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर बड़े ही धूमधाम से गणेश अत्सव मनाया जाता है. गणपति बप्पा के प्रिय मोदक का भोग लगाते है.
जब गणपति बप्पा आते है तो अकेले तो नहीं आएंगे. अपने साथ अपने वाहन मूषकराज को साथ लेकर ही आएंगे. मूषकराज के बिना बप्पा की पूजा अधूरी ही होती है. गणपति बप्पा जब भी आते है तो भक्तों के लिए सुख-शांति और समृद्धि लेकर आते है. लेकिन मूषकराज आखिरकार गणपति जी के वाहन कैसे बने क्यों…इसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा. आज हम इसी के बारे में बात करने वाले है….
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कौन थें मूषक राज
गणेश पुराण की कथा के मुताबिक कहा जाता है कि गणेशजी की सवारी मूषकराज पिछले जन्म में एक गंधर्व था. मूषक राज का असली नाम क्रौंच था. एक बार वह देवराज इंद्र की सभा में गया था तभी गलती से उसका पैर मुनि वामदेव के ऊपर पड़ गया. मुनि को क्रौंच के चंचल स्वभाव से ऐसा लगा कि क्रौंच में उनके साथ शरारत की है. जिसके बाद उन्होंने क्रोध में आकर क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दे दिया. मुनि के श्राप के कारण क्रौंच उसी समय चूहा बन गए थें,
विशालकाय मूषक बन मचाई तबाही
क्रौंच के मूषक बनने के बाद भी शरीर का आकार छोटा नहीं हुआ और वह एक विशालकाय मूषक बनकर यहां वहां घूमने लगे. उनका शरीर इतना बड़ा था कि वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को नष्ट करने लगे थे. एक दिन इसी तरह घूमते हुए वह पराशर ऋषि के आश्रम में पहुंच गए और और पूरा आश्रम कुतर-कुतर कर नष्ट कर दिया.
परेशान होकर आश्रम के सभी ऋषियों ने मूषक के आतंक को खत्म करने के लिए गणेशजी के प्रार्थना की. तब गणेशजी वहां प्रकट हुए और उन्होंने मूषक को काबू करने की बहुत कोशिशें की, लेकिन सभी प्रयास विफल हो गये. अंत में गणेशजी ने अपना पाश फेंककर मूषक को बंदी बना लिया. बंदी होते ही मूषक ने गणेशजी से प्रार्थना की कि कृपया मेरे अनुसार अपना भार करें. तब गणेशजी ने मूषक के अनुसार अपना भार कर लिया. तब से मूषक गणेशजी का वाहन है.