बेबाक विचार

गहरे संकट में उच्च शिक्षा

ByNI Editorial,
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गहरे संकट में उच्च शिक्षा
भारत में उच्च शिक्षा किस तरह बदहाल है, इस पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की एक रिपोर्ट से रोशनी पड़ी है। यह विडंबना ही है कि एक तरफ भारत में नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के विदेशी संस्थानों को भारत में नए संस्थान खोलने के लिए प्रेरित करने का इरादा जताया गया है, वहीं देश में पहले से खुले हुए संस्थान बंद हो रहे हैं। हाल ही में एआईसीटीई ने बताया कि इस वर्ष 179 तकनीकी उच्च शिक्षा के संस्थान बंद हो गए हैं। यह पिछले नौ सालों में बंद होने वाले संस्थानों के बीच सबसे बड़ी संख्या है। उसकी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले शिक्षा सत्र यानी 2019-20 में 92 तकनीकी संस्थान, 2018-19 में 89, 2017-18 में 134, 2016-17 में 163, 2015-16 में 126 और 2014-15 में 77 संस्थान बंद हुए थे। ये आंकड़े दिखाते हैं कि वैसे तो देश में हर साल ही कई संस्थान बंद होते हैं, लेकिन 2020-21 में बंद होने वाले संस्थानों की संख्या पहले से कुछ ज्यादा ही हो गई है। गौरतलब है कि अभी इस साल का आधा से ज्यादा हिस्सा बाकी है। बंद होने वाले संस्थानों के अलावा 134 ऐसे अतिरिक्त संस्थान हैं, जिन्होंने इस वर्ष एआईसीटीई के अनुमोदन के लिए आवेदन ही नहीं किया। अतः उन्हें भी बंद संस्थानों की ही श्रेणी में डाला जा सकता है। इतनी बड़ी संख्या में संस्थानों के बंद होने के पीछे कोरोना वायरस महामारी का असर बताया जा रहा है। 24 मार्च को तालाबंदी लगने के बाद से सभी शिक्षण संस्थान बंद पड़े हुए हैं। कई परिवारों की कमाई में कमी आने की वजह से कई छात्रों को फीस देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संस्थानों की कमाई पर भी असर पड़ा है। संस्थानों को चालू रखने के लिए कई जगह तमाम टीचरों को या तो नौकरी से निकाल दिया गया है या मार्च से वेतन नहीं दिया गया है। लेकिन अकेले महामारी ही इस समस्या का कारण नहीं है। इनमें से कई संस्थानों में पिछले कई सालों से कई सीटें खाली पड़ी हुई हैं। यहां तक कि आईआईटी जैसे जिन तकनीकी शिक्षा संस्थानों में भी अब सीटें रिक्त रहती हैं। 2018-19 सत्र में देश के 23 आईआईटी संस्थानों में 118 सीटें खाली रह गई थीं। ये सब रोजगार और करियर के बदलते स्वरुप की वजह से छात्रों की कई कोर्सों में रुचि गिरने के कारण हो रहा है। एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार इस साल पूरे देश में 58 एमबीए स्कूल और कई फार्मेसी संस्थान भी बंद हुए हैं और पिछले कुछ सालों में और भी प्रबंधन संस्थान बंद हुए हैं। जानकारों के मुताबिक निकट भविष्य में हालत में सुधार की संभवना नहीं है क्योंकि महामारी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह की अनिश्चितताएं आ गई हैं। तो कुल सूरत यह है कि देश में उच्च शिक्षा का क्षेत्र गहरे संकट का सामना कर रहा है।
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