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मोदी की नौ उपलब्धियां!

उफ, वक्त ! पल-पल स्यापा, फिर भी गुजर गए नौ वर्ष। पता नहीं नौ वर्षों में 140 करोड़ लोगों में कितनों के दिन अच्छे थे कितनों की रात लंबी। मुझे तो फुर्सत ही नहीं हुई! मुश्किलों-बाधाओं-वेयक्तिक नुकसानों के बावजूद ये नौ वर्ष जीवन आंनद के इसलिए हुए क्योंकि इस अवधि में आत्म साक्षात्कार हुआ!अनुभुति हुई कि मैं क्या हूं! मैं बतौर पत्रकार, बतौर सनातनी हिंदू क्या हूं? मेरी जैविक-मानसिक रचना के डीएनए की क्या फितरत है? आखिर इंसान कोई हो, उसकी वृति-प्रवृति, प्रोफेशन-कर्म और जिंदगी की सिद्धी तो उस स्वांत सुखाय से ही है जिससे फील हो कि कुछ भी हो हम अपनी राह चले। अपना झंड़ा लिए चले। अपने आत्म सम्मान में जीये!

ये पंक्तियां महामना अज्ञेय की कविता – ‘तुम, चलने देने से पहले’- ‘हट जाओ’ के असर में है!

अज्ञेय ने संभवतया यह कविता इंदिरा गांधी के इमरजेंसी के ठिक पहले लिखी थी। इसकी चार पंक्तियां मेरे, मेरी पत्रकारिता, इस नया इंडिया अखबार और मेरेमिजाज की प्रतिबिंब है। जरा गौर करें-  हम न पिट्ठू हैं न पक्षधर हैं/हम हम हैं और हमें/सफ़ाई चाहिए, साफ़ हवा चाहिए/और आत्म-सम्मान चाहिए जिस की लीक/हम डाल रहे हैं/हमारी ज़मीन से हट जाओ। (पूरी कविता बगल में पढ़े)

सो भले चंद लोग हो, लेकिन उनकी जिंदगी का गुजरा वक्त कई मायनोंमें, नौ वर्षों में सार्थक हुआ है। जाहिर है इन नौ वर्षो के शासन में वह बहुत हुआ है जिससे व्यक्तियों, जातियों, समाज, कौम और राष्ट्र की सच्चाईयां उजागर, जगजाहिर हुई! नौ वर्षों में हिंदू मिजाज, डीएनए की तासीर उद्घाटित हुई। भारत के 140 करोड लोगोंका मनोविज्ञान, बुद्धी, आचरण का पोर-पोर जगजाहिर हुआ। मेरा मानना है कि मई 2014 से पहले का भारत और उसके बाद नरेंद्र मोदी का भारत एक ही सिक्के के दो पहलू है। आईडिया नेहरू का हो या मोदी का, भारत का कुल मिजाज भक्ति, भूख और भयाकुलता का मिक्स है। यही आधी रात के अंधकार से शुरू हुए सफर का स्थाई लबोलुआब।

मोटामोटी नौ वर्षों की येउपलब्धियां गौरतलब है-

ये, मेरे हिसाब की नौ उपलब्धियां है। कईयों के लिए सडक बनना, वैक्सीन लगना, नई ट्रैन चालू होना या योजनाएं उपलब्धि होगी। मगर हर सरकार के ये काम वैसे ही होते है जैसे हम पुरखों के अपने पुराने घर में नया बैठक खाना बनाते है। नई छत, शौचालय या रास्ता बनवाते है। असल बात नरेंद्र मोदी के बाद में पच्चीस-पचास साल बाद जब उनकी सरकार का मूल्यांकन होगा तो कसौटी यही होगी कि देश की सुरक्षा, चरित्र, राजनीति और सत्ता मिजाज मेंउनके काम कैसे थे।

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