
राजनीतिक दल अपना गठबंधन बदलते ही कैसे अपने सरकारी फैसले बदलते हैं इसका नवीनतम उदाहरण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा पिछले दिनों मुंबई की जानी मानी आरे कालोनी में बनाया जाने वाला मेट्रो कार के शेड को वहां बनाए जाने से रोकने का फैसला है। इस निर्माण को उस फड़नवीस सरकार ने स्वीकृति दी थी जिसमें वे खुद व उनकी शिवसेना शामिल थी। तब सरकार ने इस फैसले को लेकर वहां के स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किए थे व शिवसेना तब भाजपा की सरकार में शामिल थी।
बहुमंजिला इमारतों के शहर मुंबई में आरे कालोनी को मुंबई के फेफड़े कहा जाता है। जिस शहर में इमारतों के जंगल हो वहां 1200 एकड़ का हरा भरा इलाका होने की कल्पना तक करना बहुत मुश्किल है। यहां तरह तरह के जंगली जानवर व 37 विभिन्न आदिवासी समूह भी रहते हैं। यहां विवाद तब शुरु हुआ जब शहर के नगर निगम के मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन को वहां अपना शैड बनाने के लिए संरक्षित वन का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी।
इजाजत मिलते ही सरकार ने वहां के 2700 पेड़ काट डाले। इस पर शहर के एक एनजीओ ने मुंबई हाईकोर्ट में मुकदमा दायर करके कहा कि यह पूरा इलाका ही संरक्षित वन है जो कि भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत सुरक्षित घोषित किया गया है जबकि मेट्रो रेल कारपोरेशन व निगम की दलील थी कि चूंकि इसे हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने पिछले साल इस मामले में फैसला दिया था व उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी अतः इसे न्यायालय द्वारा उस मामले की पुनः सुनवाई नहीं की जा सकती है।
वे लोग चाहते थे कि पेड़ों की कटाई तुरंत रोकी जाए। इस पर मुंबई हाईकोर्ट ने 4 अक्टॅूबर को पेड़ों की कटाई रोकने के लिए दायर सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया। यह रोक हटते ही चंद घंटों के अंदर रातोंरात हजारों पेड़ काट डाले गए। इसके विरोध में वहां जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरु हो गया व पुलिस को हरकत में आना पड़ा। प्रदर्शन रोकने के लिए वहां निषेधाज्ञा लगानी पड़ी व लाठी चार्ज करने के बाद 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिन्हें बाद में जमानत दे दी गई।
कुछ कानून के छात्रों ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से संपर्क किया था। उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए पत्र लिखा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कटाई तुरंत रोकने व यथास्थिति बहाल रखने के आदेश देते हुए अगली सुनवाई 21 अक्तूबर को करने का निर्देश जारी किया। मुंबई नगर निगम की ओर से पेश हो रहे सालीसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना जवाब हासिल करने के लिए थोड़ा समय मांगा जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने वहां काटे गए वृक्षों की मोटाई व उंचाई मांगने के साथ साथ यह भी पूछा कि वहां पिछले दो साल में कितने पेड़ लगाए गए थे।
15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को बहाल रखते हुए कहा कि वह दिसंबर में इस मामले की सुनवाई करेगा वहीं कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वहां मेट्रो शैड बनाए जाने के फैसले को ही वापस ले लिया। यहां यह याद दिलाना जरुरी हो जाता है कि आरे कालोनी पर्यावरण के लिए संवेदनशील संजय गांधी नेशनल पार्क का हिस्सा है। मुंबई में जो गिना चुना हरियाली वाला इलाका बाकी बचा हुआ है उसमें इसका हिस्सा बहुत अहम है। इससे अटे हुए गोरेगांव, पूर्व के इलाकों में मुंबई की जानी मानी आरे मिल्क कालोनी है जहां से पूरी मुंबई को दूध की सप्लाई की जाती है।
इसकी स्थापना 1949 में की गई थी। यहां एक बहुत बड़ी दूध डेरी बनायी गई थी जिसका 1951 से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उदघाटन किया था। इस दूध डेरी की स्थापना एक जाने माने डेरी विशेषज्ञ दारा खुरोडी ने की थी जिन्हें 1963 में जाने माने डा. वर्गीज कुरियन के साथ रेमन मैगर्ससे अवार्ड मिला था। यह कालोनी 6 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है व वैस्टर्न एक्सप्रेस वे के पास स्थित है। वहां बाद में फिल्म सिटी की स्थापना की गई जहां तमाम स्टूडियों भी स्थापित किए गए जिनमें छोटा कश्मीर भी शामिल है। जहां एक झील व पिकनिक स्पाट भी है।
यहां इंसानों के अलावा 1600 दुधारु पशु रहते हैं। यहां इनके 32 फार्म हैं। यहां बड़ी तादाद में तेंदुए भी देखे जाते रहे हैं। तेंदुए अक्सर कुत्तों व इंसान का शिकार करने के लिए वहां आ जाया करते है। कभी यहां इतनी ज्यादा हरियाली होती थी कि बिमल राय की जानी मानी फिल्म मधुमती की 1958 में पहले नैनीताल में फिर यहां की हरियाली के कारण बाकी शूटिंग यहीं हुई थी। हाल ही में ठाकरे ने मेट्रो शेड यहां की जगह कंजूर मार्ग इलाके में स्थापित करने का ऐलान किया । उनका कहना था कि इस जगह सरकार के पास पहले से ही जगह है व उसे किसी से जमीन खरीदकर उसका अधिग्रहण नहीं करना होगा। उन्होंने इस कदम का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा दायर अपराधिक मामले वापस लेने का भी ऐलान किया।
जब शिवसेना, भाजपा की सरकार में शामिल थी तब युवा शिवसेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने वहां पर पेड़ काटे जाने का जमकर विरोध किया था जबकि तत्कालीन फड़नवीस सरकार ने इसे हटाए जाने का अदालत में विरोध करते हुए कहा था कि मेट्रो कार शैड को वहीं स्थापित किया जाएगा। मगर पिछले साल 29 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन मुख्यमंत्री ठाकरे ने वहां हो रहे हर तरह के निर्माण कार्य पर रोक लगाने के साथ ही यह कार शेड बदले जाने का फैसला किया था।
इसका विरोध करने वालों की दलील रही है कि मुंबई तो क्या भारत के किसी भी बड़े शहर में इतना बड़ा संरक्षित जंगल नहीं है व मुंबई में पूरा शहर कांक्रीट के जंगलों में बदला जा रहा है तो इसके बीच एक असल जंगल का होना बहुत महत्व रखता है। उन्होंने अपने बेटे आदित्य ठाकरे को अपनी सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाया व उन्हें अपने इस कदम का चुनावी लाभ मिलना तय है। मगर भाजपा जो कि आए दिन पर्यावरण सुरक्षा की दलीलें देती आयी है इस मुद्दे पर उनका जमकर विरोध कर रही है। एनसीपी के अजीत पवार व कांग्रेस के बाला साहब थोनट उनके इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।