बेबाक विचार

एअर इंडिया भी क्या करे!

ByNI Editorial,
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एअर इंडिया भी क्या करे!
कर्ज तले दबी सरकारी एयरलाइंस एअर इंडिया ने सीबीआई और ईडी जैसी सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों को उधार में टिकट जारी करना बंद कर दिया है। इन एजेंसियों पर टिकट का 10 लाख रुपये से ज्यादा का बकाया है। एअर इंडिया का शुद्ध घाटा 2018-19 में करीब 8,556 करोड़ रुपये था। फिलहाल कंपनी पर 60,000 करोड़ रुपये से ऊपर का कर्ज है। एअर इंडिया के अधिकारियों के मुताबिक सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, सूचना ब्यूरो, केंद्रीय श्रम संस्थान, सीमा सुरक्षा बल और भारतीय लेखा परीक्षा बोर्ड समेत विभिन्न एजेंसियों को बता दिया गया है कि उनके अधिकारियों को उधार टिकट नहीं दिया जाएगा। एअर इंडिया का इन सरकारी एजेंसियों पर कुल मिलाकर करीब 268 करोड़ रुपये बकाया है। इन एजेंसियों से लगभग 50 करोड़ रुपये की ही वसूली की जा सकी है। अब इन सरकारी एजेंसियों के अधिकारी आम साधारण ग्राहक की तरह ही टिकट खरीद सकते हैं। यानी उन्हें उधार में टिकट जारी नहीं किया जाएगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक घाटे में चल रही एअर इंडिया में विनिवेश के लिए विनिवेश विभाग जनवरी में बोलियां मंगा सकती है। मगर इस रास्ते में कई बाधाएं हैं। अतीत में एअर इंडिया को बेचने की कोशिश नाकाम हो चुकी है। फिर इस एअरलाइन के कर्मचारी भी नहीं चाहते कि ये संस्था निजी हाथों में जाए। दरअसल, अपने भविष्य को लेकर चिंतित एयर इंडिया कर्मचारी हड़ताल का रास्ता अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन एअर इंडिया विनिवेश के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। उसने जुलाई में कहा था कि एअर इंडिया की बिक्री का काम 4-5 महीने में पूरी होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में एयर इंडिया की बिक्री शामिल नहीं है। बहरहाल, खबर है कि सरकार एअर इंडिया के विनिवेश को संभव बनाने के लिए अब संभावित खरीददार को एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री की पेशकश कर सकती है। इस बीच एअर इंडिया के सामने खर्च घटाने की मजबूरी इसलिए आ खड़ी हुई है कि उसे सरकार से कम धन मिल रहा है। पिछले केंद्रीय बजट में नागरिक विमानन मंत्रालय को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। यह पिछले वित्त वर्ष से काफी कम है। तो कमखर्ची मजबूरी बन गई है, जिसका पहला असर सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को मिलने वाली सुविधा पर पड़ा है।
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