बेबाक विचार

अंडरवर्ल्ड ही सत्य, सरकारें तो माया!

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अंडरवर्ल्ड ही सत्य, सरकारें तो माया!
महाराष्ट्र खास कर देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में अंडरवर्ल्ड ही सत्य है। सरकारें माया हैं, आनी-जानी हैं लेकिन अंडरवर्ल्ड पहले भी था, अब भी है और आगे भी रहेगा। यह बात सिर्फ जुमला नहीं है और न सलीम-जावेद की लिखी कहानी पर बनी किसी फिल्म का डायलॉग है। यह ऐसी हकीकत है, जिसे पहले से ही सब जानते थे लेकिन अब राज्य सरकार के मंत्री और राज्य चला चुके एक पूर्व मुख्यमंत्री अपनी जुबानी देश भर को बता रहे हैं। राज्य की मौजूदा सरकार के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की बातों का लब्बोलुआब यह है कि बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड है, नशे के कारोबार में भी अंडरवर्ल्ड ही है, फिरौती वसूली में है, रियल इस्टेट के कारोबार में है, राजनीति में है, समाजसेवा में है, सरकार में है, एनसीबी में है, डीआरआई में है, कस्टम में है यानी कण कण में अंडरवर्ल्ड है। सोचें, अंडरवर्ल्ड न हुआ भगवान हो गया, जो दिखे चाहे न दिखे, लेकिन है हर जगह! महाराष्ट्र भाजपा के एक नेता हुए किरीट सोमैया। हमेशा फाइल बगल में दबाए घूमते थे। महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक के नेताओं की पोल खोलते रहे थे। भाजपा की टिकट पर 2014 में सांसद बने पर पता नहीं है क्यों उनकी पार्टी ने 2019 में उनको टिकट ही नहीं दी। पिछले दिनों उन्होंने सीधे शरद पवार पर आरोप लगाया कि उनके अंडरवर्ल्ड से संबंध थे। हालांकि बाद में उन्होंने इस बात को आगे नहीं बढ़ाया। पर उनकी पार्टी के प्रदेश के सबसे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया कि राज्य सरकार के मंत्री नवाब मलिक का अंडरवर्ल्ड से संबंध है। फड़नवीस ने यह भी आरोप लगाया कि मलिक ने मुंबई बम धमाके के आरोपी सरदार शाह वली खान और दाऊद इब्राहिम के आदमी सलीम पटेल से जमीन खरीदी थी। इसके जवाब में नवाब मलिक ने प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगाया कि अंडरवर्ल्ड से जुड़े इमरान आलम शेख, रियाज भाटी, मुन्ना यादव आदि को फड़नवीस ने मुख्यमंत्री रहते संरक्षण दिया। सोचें, क्या यहीं असली समाजवाद नहीं है? सब एक जैसे हैं। न कोई बड़ा है, न छोटा। कोई अंडरवर्ल्ड के लोगों से जमीन खरीद रहा है तो कोई अंडरवर्ल्ड के लोगों को जाली नोट के धंधे में बचा रहा है। किसी का करीबी सहयोगी मुंबई बम धमाकों का आरोपी है तो किसी का सहयोगी पाकिस्तान से जाली नोट लाकर दाऊद इब्राहिम के सहयोग से भारत में चला रहा है। इससे भी बड़ा समाजवाद यह है कि दोनों को एक-दूसरे के बारे में पता है। जो पांच साल मुख्यमंत्री रहने के बाद दो साल पहले पद से हटा है उसको भी पता है कि एनसीपी के अमुक नेता का अंडरवर्ल्ड के लोगों के संबंध है और जो अभी सरकार में है उसको भी पता है कि पिछली सरकार वालों का संबंध अंडरवर्ल्ड से था। जब पहले था तो अब भी होगा ही, लेकिन यह सब जानते हुए भी सब एक-दूसरे की करतूतों से आंखें बंद किए हुए हैं।  Read also भाजपा के आरोप और महामारी के नायक हैरानी की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री, जिनकी पार्टी केंद्र की सरकार में है और जिस सरकार की केंद्रीय एजेंसियां दो-दो ग्राम की पुड़िया पकड़ कर बड़े बड़े लोगों को हिरासत में ले रही है या देश छोड़ कर फरार हो गए पुलिस अधिकारी के बयानों पर राज्य सरकार के मंत्री रहे नेता को गिरफ्तार करके जेल में डाल रही है, वे भी प्रेस कांफ्रेंस करके आरोप लगा रहे हैं। उनसे यह नहीं हो रहा है कि अपने सबूत केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई, ईडी, एनसीबी, डीआरआई, एनआईए आदि को दें और अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई कराएं। ऐसे ही मौजूदा सरकार के मंत्री भी रोज प्रेस कांफ्रेंस करके कभी छोटे हथगोले तो कभी हाइड्रोजन बम फोड़ रहे हैं लेकिन पुलिस में केस दर्ज करा कर और सबूत पेश करके कार्रवाई नहीं करा रहे हैं। यह भी एक किस्म का समाजवादी सद्भाव ही है, जिसके तहत यह अघोषित समझौता है कि हम एक-दूसरे के राज जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं करेंगे और अगर राजनीतिक मजबूरियों के चलते कभी राज खोलने की नौबत आए भी तो सिर्फ जुबानी जंग करेंगे। nawab malik sameer wankhede दोनों के अंडरवर्ल्ड से संबंध हैं और इसलिए दोनों एक-दूसरे पर जुबानी बम फोड़ने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं करेंगे तो कोई तीसरी ताकत कहां से अवतरित होगी, जिसका अंडरवर्ल्ड से संबंध नहीं होगा और जो इन पर कार्रवाई करेगी? ऐसा कोई दिख ही नहीं रहा है, जिसका मुंबई में अंडरवर्ल्ड संबंध न हो। मजेदार बात यह है कि अंडरवर्ल्ड मुंबई में है भी नहीं। अंडरवर्ल्ड का एक सरगना दुबई या पाकिस्तान में है, जिसकी शक्ल ही किसी ने पिछले 30 साल से नहीं देखी है। मुंबई बम धमाकों के बाद फरार हुए दाऊद इब्राहिम की जो भी तस्वीर भारत के आम लोगों और खुफिया एजेंसियों के पास भी है वह नब्बे के दशक के शुरुआती दिनों की है। अंडरवर्ल्ड का दूसरा सरगना छोटा राजन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। तीसरा सरगना अरुण गवली नेता बन गया है और उसे मीडिया में पूर्व गैंगेस्टर लिखा जाता है, जैसे उसने गैंगेस्टर का तमगा यूपीएससी की परीक्षा पास करके हासिल की हो! बहरहाल, इसके बावजूद अंडरवर्ल्ड का ऐसा जलवा है कि हर दूसरी फिल्म में उसका पैसा लगा होता है, हर दूसरी ऊंची बिल्डिंग उससे जुड़े किसी व्यक्ति की होती है, हर दूसरे नेता का उससे संबंध होता है, अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के आरोप में गाहे-बगाहे पुलिस वाले भी पकड़े ही जाते हैं, घोड़े पर दांव लगाने वाले से लेकर क्रिकेट पर सट्टा लगाने वाले सारे लोग उससे जुड़े होते हैं, इतना ही नहीं आधे महाराष्ट्र की जेलों में बंद कैदियों में से हर दूसरा कैदी अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वाला होता है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि आम आदमी भी अंडरवर्ल्ड का ही आदमी है और इसी वजह से अंडरवर्ल्ड से संबंध रखना नेताओं की मजबूरी हो? जो हो नवाब मलिक और देवेंद्र फड़नवीस ने देश के लोगों का अच्छा मनोरंजन और ज्ञानवर्धन किया है। अब नेता अपनी कमीज दूसरे से ज्यादा सफेद होने का दावा नहीं कर पाएंगे क्योंकि इन दोनों ने बता दिया है कि किसी की कमीज सफेद है ही नहीं। उनके दामन पर अंडरवर्ल्ड से संबंध के छींटे ही नहीं हैं, बल्कि पूरा दामन ही दागदार है। सब अंडरवर्ल्ड के लिए काम करते हुए हैं। इसलिए कुछ बेहतर होने की उम्मीद बेमानी है।
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