बेबाक विचार

बाइडेन की शपथ में असली अमेरिका!

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बाइडेन की शपथ में असली अमेरिका!
बाइडेन जीते हैं तो अमेरिका जीता है! बाइडेन की जीत अमेरिका की महान लोकतांत्रिक परंपराओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं की जीत है। बाइडेन की जीत उस मुल्क की जीत है, जिसका संकल्प अपने देश और पूरी दुनिया की हर नस्ल, हर कौम, हर वर्ण, हर रंग, हर सोच, हर लिंग के लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने का है। अमेरिका सिर्फ अपनी भौतिक उपलब्धियों की वजह से खूबसूरत नहीं है, बल्कि वह अपने लोकतंत्र, अपनी संस्थाओं और अपने लोगों की वजह से खूबसूरत है। जिसने भी 20 जनवरी को कैपिटल हिल की गुंबद पर हुए जो बाइडेन के उद्घाटन यानी शपथ ग्रहण समारोह को देखा, उसने अमेरिका की असली खूबसूरती को साक्षात देखा। बाइडेन का शपथ ग्रहण समारोह ऐसे समय में हुआ, जब पूरा अमेरिका बंटा हुआ है। सामाजिक स्तर पर भंयकर विभाजन है तो राजनीतिक स्तर पर पूरा देश हिंसक विभाजन का शिकार है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए अमेरिका को बिल्कुल बीचो-बीच बांट दिया है। अमेरिका 1861 के गृह युद्ध के समय जिस तरह से विभाजित था और जितना आशंकित, अरक्षित था, वैसी स्थिति में ट्रंप ने मुल्क को पहुंचा दिया। इसे बदलने, ठीक करने और अमेरिका को वापस उसके इंद्रधनुषी रंगत में लाने के लिए बाइडेन को बहुत काम करना है। उन्होंने शपथ लेते ही ट्रंप के चलाए चक्र को उलटा घुमाने का काम शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत उनके शपथ समारोह से हुई, जिसमें उन्होंने दिखाया कि असली अमेरिका क्या है! उन्होंने दिखाया कि विविधता ही अमेरिका की असली ताकत है। बाइडेन ने अपने 22 मिनट के भाषण में देश की एकता, नागरिकों की एकता, भाईचारे, साझा विरासत आदि तमाम उन बातों का जिक्र किया, जो अमेरिकी संस्कृति में सहज प्रवाहित होती हैं। उन्होंने कहा कि वे पूरे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। उनकी इस बात पर खूब तालियां बजीं। उनका यह कहना बहुत अहम इसलिए है क्योंकि पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में इस तरह का विभाजन दिखा है। उन्हें अगर आठ करोड़ वोट मिले हैं तो सवा सात करोड़ अमेरिकियों ने ट्रंप को भी वोट किया है। मतदान के समय हुआ यह विभाजन अमेरिकी राजनीति या समाज का स्थायी विभाजन न बन जाए, इसलिए बाइडेन का यह कहना जरूरी था कि वे हर अमेरिकी के राष्ट्रपति हैं। कहने को तो यह बात भारत में भी कही जाती है पर बाइडेन ने दिखाया कि औपचारिकतावश यह बात नहीं कह रहे हैं। उनके भाषण के तुरंत बाद अमेरिकी संगीतकार गार्थ ब्रुक ने ‘अमेजिंग ग्रेस’ गाया, जिसमें ‘एकता की आवाज पर साथ आने’ की अपील की गई है। गार्थ ब्रुक को हमेशा रिपब्लिकन और ट्रंप का समर्थक माना जाता रहा। हालांकि उन्होंने कभी खुल कर अपने को ट्रंप समर्थक नहीं कहा और न 2020 के चुनाव में किसी उम्मीदवार का समर्थन किया लेकिन अमेरिकी नागरिक उनको ट्रंप समर्थक मानते रहे और जब उनको बाइडेन के शपथ समारोह में बाइडेन के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद पहले परफॉर्मर के तौर पर बुलाया गया तो उन्होंने खुद कहा कि बाइडेन के शपथ में शामिल वे संभवतः इकलौते रिपब्लिकन होंगे। सोचें, क्या भारत या दुनिया के किसी और मुल्क में यह संभव है कि किसी विरोधी पार्टी और विचारधारा के प्रति समर्थन रखने वाले को अपनी बात रखने का इतना बड़ा मंच दिया जाए? अमेरिका में ऐसा होता है! यह भी कम सुखद अनुभूति देने वाली बात नहीं है कि जिस विरोधी विचार वाले व्यक्ति को मंच मिला उसने भी एकता, भाईचारे और प्रेम की बात कही और राष्ट्रपति सहित कार्यक्रम में मौजूद सारे लोगों ने उसके साथ सुर मिला कर एकता का गीत गाया! बाइडेन के मंच से दुनिया ने 22 साल की एक अश्वेत युवती को कविता पढ़ते देखा-सुना और चमत्कृत रह गई। अमांडा गोर्मैन ने ‘द हिल वी क्लाइंब’ पढ़ी, जिसकी थीम ‘यूनाइटेड अमेरिका’ थी। अमांडा ने कविता में अमेरिका के साथ साथ अपने बारे में भी लिखा है, ‘एक दुबली पतली अश्वेत युवती, जिसे अकेले मां ने बड़ी मुश्किलों में पाला, जो अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का सपना देख सकती है’। यह अमेरिका की हकीकत है कि कोई भी व्यक्ति वहां सर्वोच्च पद पाने का सपना देख सकता है। भारतीय-कैरेबियाई मूल की पहली महिला उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की मौजूदगी में अमांडा ने जो कहा उसे सारी दुनिया ने सुना और सुकून महसूस किया कि अमेरिका वापस अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है। ऐसा नहीं है कि अमांडा पहली अश्वेत महिला हैं, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ समारोह में अपनी कविता पढ़ने का मौका मिला। बराक ओबोमा के शपथ समारोह में एलिजाबेथ अलेक्जेंडर ने और बिल क्लिटंन के पहले शपथ समारोह में माया एंगलु ने कविता पढ़ी थी, जो पूरी दुनिया में नागरिक अधिकारों के संघर्ष का प्रतीक थीं। बहरहाल, 22 साल की अमांडा गोर्मैन ने वह बात कही, जो लोकतंत्र से मोहब्बत करने वाली वैश्विक जमात के कानों में दशकों, सदियों तक गूंजती रहेगी। अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर हमला करने वाले गोरे नस्लवादी, कट्टरपंथियों को निशाना बनाते हुए अमांडा ने अपनी कविता में कहा- हमने उन शक्तियों को देखा, जो हमारे देश को साझा करने की बजाय इसे क्षत-विक्षत कर देंगी, अगर इनका मकसद लोकतंत्र को बाधित करना है। अमांडा ने आगे कहा- उनका प्रयास करीब करीब सफल हो गया था, लेकिन लोकतंत्र को थोड़ी देर के लिए बाधित किया जा सकता है, इसे हमेशा के लिए पराजित नहीं किया जा सकता। यह कोई नई या अद्भुत बात नहीं है पर जिस व्यक्ति ने, जिस मंच पर, जिन हालातों में यह बात कही उसने इसे महान बना दिया। ट्रंप के ऊपर बाइडेन की जीत ने दिखाया है कि न तो सत्य को हमेशा के लिए पराजित किया जा सकता है और न लोकतंत्र को। सोचें, क्या भारत में इस बात की कल्पना की जा सकती है कि कभी कोई सरकार राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ ले रही हो और कोई मुस्लिम, कोई ईसाई, कई बौद्ध, कोई विरोधी पार्टी का समर्थक चुने हुए प्रधानमंत्री की बगल में खड़े होकर एकता, भाईचारे, विविधता आदि की बात करे? राष्ट्रपति बाइडेन के शपथ समारोह में लेडी गागा ने अमेरिका का राष्ट्रगान गाया, जिसे गाते हुए वे भावुक हो गईं। उनके गाने से ज्यादा अहम उनकी ड्रेस थी, जिसके ऊपर उन्होंने एक सुनहरा ब्रोच लगा रखा था, जिसमें एक सफेद कबूतर की चोंच में जैतून की शाखाएं थीं। ध्यान रहे संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतीक चिन्ह भी जैतून की शाखाएं हैं, जो शांति का प्रतीक होती हैं। बाद में लेडी गागा ने कहा कि उनके इस ब्रोच का मतलब यह था कि हम आपस में शांति, सद्भाव और भाईचारा बनाएं। लेडी गागा के अलावा जेनिफर लोपेज की परफॉर्मेंस हुई। जेनिफर लोपेज प्यूर्टो रिको मूल के प्रवासी दंपत्ति की संतान हैं। उनको चुनने का भी एक खास मकसद था। ट्रंप ने जिस तरह से प्रवासियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी, उसमें जेनिफर लोपेज की परफॉर्मेंस अपने आप में एक संदेश थी। जे लो के नाम से मशहूर इस गायिका ने अपने गाने में स्पैनिश भाषा की एक लाइन शामिल की, जिसका मतलब होता है- दिस लैंड इज योर लैंड! जे लो ने गाया- ईश्वर की छाया के नीचे एक देश, जो अविच्छिन्न है और जिसमें स्वतंत्रता और न्याय सबके लिए है! बाइडेन के शपथ समारोह को डेलावेयर के बीथल अफ्रीकन मेथॉडिस्ट इपिस्कोपल चर्च के फादर सिल्वेस्टर बीमैन ने भी संबोधित किया। वे भी अश्वेत हैं। उन्होंने कहा- हम अपने दुश्मनों को भी दोस्त बनाएंगे! इस समय अमेरिका के लिए सबसे जरूरी है कि लोग आपस में शांति, सद्भाव बनाएं और दुश्मनों को भी दोस्त बनाएं।
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