वैज्ञानिकों ने अल्झाइमर की दवा बना ली है। अभी ये दवा हर मामले में प्रभावी नहीं है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैँ। इसके बावजूद शुरुआत हुई है, तो उम्मीद है कि आगे दवा के बेहतर संस्करण सामने आएंगे।
अल्झाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे सुन कर मन भयभीत हो जाता है। इसलिए इस खबर से राहत मिली है कि अब वैज्ञानिक इसकी दवा बनाने में सफल हो गए हैँ। हालांकि अभी ये दवा हर मामले में प्रभावी नहीं है, इसके बावजूद शुरुआत हुई है तो उम्मीद है कि आगे दवा के अधिक प्रभावशाली संस्करण आ जाएंगे। बताया गया है कि यह दवा मस्तिष्क को होने वाले नुकसान को धीमा कर देती है। लेसानेमाब नाम की ये दवा की 18 महीने तक चले परीक्षण के बाद बनी है। परीक्षणों के दौरान पाया गया कि दवा के असर मस्तिष्क को होने वाला नुकसान 27 प्रतिशत तक धीमा हो गया। हालांकि वैज्ञानिकों ने अपने शोध के नतीजों को जारी करते हुए यह चेतावनी भी दी है कि दवा के गंभीर दुष्परिणाम देखे गए हैं। इनमें मस्तिष्क में रक्तस्राव से लेकर सूजन तक शामिल हैं। ट्रायल के दौरान जिन मरीजों को यह दवा दी गई, उनमें से 17.3 फीसदी मरीजों के मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ। दवा लेने वाले 12. प्रतिशत मरीजों के दिमाग में सूजन पाई गई। इस दवा का दो स्वरूपों में परीक्षण हुआ है, जिन्हें बायोजेन और आइसाय नाम की कंपनियों ने बनाया है। दोनों ही मामलों में ट्रायल में शामिल मरीजों में से कुछ की मौतें भी देखी गईं। फिर भी, शोधकर्ताओं ने इस दवा को मिली कामयाबी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि यह पहली ऐसी दवा है, जो अल्जाइमर के मरीजों को एक वास्तविक इलाज उपलब्ध कराती है। वैसे क्लीनिकल फायदे जो हुए हैं, वे सीमित हैं, उसके बावजूद यह उम्मीद की जा सकती है कि जब लंबे समय तक दवा दी जाएगी तो अधिक फायदे नजर आएंगे। अल्जाइमर रोग में दो प्रोटीन मस्तिष्क में बनते हैं, जिन्हें ताव और एम्लॉयड बीटा कहा जाता है। इनके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं और मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है। वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि तमाम फायदों को सुनिश्चित करने के लिए लंबी अवधि के परीक्षणों की जरूरत होगी। लेकिन अब एक दिशा नजर आई है, जो उम्मीद जगाने वाली है।