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रहस्य तो कायम हैं

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अमृतपाल को लेकर रहस्य अभी नहीं छंटे हैँ। अब देखने की बात होगी कि क्या गिरफ्तारी के बाद राज्य से बहुत दूर भेजने के निर्णय से अमृतपाल का पंजाब में असर कमजोर होगा? यह उसका साया वहां मंडराता रहेगा? 

 उग्रवादी नेता अमृतपाल सिंह को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन उससे उन रहस्यों पर से अभी परदा नहीं हटा है, जो वारिस दे पंजाब नाम के संगठन के इस नेता को लेकर पिछले महीनों में गहराती चली गई हैं। इनमें सबसे पहला रहस्य तो यही है कि यह शख्स आखिर अचानक कहां से आ धमका और इस हद तक चर्चित हो गया। शुरुआती दिनों में पंजाब पुलिस ने उसके साथ जो विशेष बर्ताव किया, उससे भी कई सवाल उठे थे। और अंत में जिस ढंग से उसकी गिरफ्तारी की कोशिश हुई और उसके बीच यह गायब हो गया, उन सबने लोगों के मन में कहीं ना कहीं कुछ काला होने का भाव पैदा किया। अब उसकी गिरफ्तारी उस मुकाम पर आने के बाद हुई है, जब वह एक बहुचर्चित व्यक्ति बन चुका है। साथ ही वह पंजाब में एक खास तरह की अलगावादी-सियासी धारा की नुमाइंदगी करता भी दिख रहा है।

गिरफ्तार करने के बाद जिस तरह उसे असम ले जाने का फैसला हुआ, उससे भी यही संकेत दिया गया कि पंजाब में इस व्यक्ति को लेकर एक खास तरह की परिस्थिति पैदा हो चुकी है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि सुरक्षा कारणों से अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है। अमृतपाल को पंजाब की जेल में रखने से राज्य में तनाव बढ़ने की आशंका थी। पंजाब या आसपास की किसी जेल में बंद होने पर अजनाला पुलिस स्टेशन जैसी घटना होने की भी आशंका थी। गौरतलब है कि अजनाला में अमृतपाल के एक समर्थक को हिरासत में लिया गया था, लेकिन वहां एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई, जिसने पुलिस को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को रिहा करने पर मजबूर कर दिया था। ऐसे में वैसी घटना की आशंका के कारण अमृतपाल को असम भेजने का आखिर क्या संदेश है? अमृतपाल पर अब तक जो मुकदमे दर्ज हुए हैं, उनमें एक अजनाला की घटना से भी संबंधित है। अब देखने की बात होगी कि क्या गिरफ्तारी के बाद राज्य से बहुत दूर भेजने के निर्णय से अमृतपाल का पंजाब में असर कमजोर होगा? यह उसका साया वहां मंडराता रहेगा?

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