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क्या प्रधानमंत्री ऐसे भी होते हैं?

क्या प्रधानमंत्री ऐसे भी होते हैं?

भारत और पाकिस्तान के लोग ऐसे कई प्रधानमंत्रियों को जानते हैं, जो अपनी कुर्सी पर बने रहने के लिए क्या-क्या जुगाड़ नहीं करते हैं। लेकिन यदि न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री सुश्री जसिंदा आर्डर्न का आचरण देखें तो आप बोल पड़ेंगे कि क्या प्रधानमंत्री ऐसे भी होते हैं। जसिंदा ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया है। उनके खिलाफ न तो न्यूजीलैंड के न्यायालय ने कोई फैसला दिया है, न संसद में कोई अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ है, न उनकी लेबर पार्टी में कोई बगावत हुई है और न ही वे किसी भ्रष्टाचार में लिप्त पाई गई हैं।

तो फिर उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? उन्होंने प्रधानमंत्री पद से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा है कि वे दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं लेकिन अब वे थकान महसूस कर रही हैं। वे चाहती हैं कि कोई बेहतर नेता शासन चलाए ताकि लोगों को राहत मिले। इस समय 50 लाख जनसंख्यावाले न्यूजीलैंड में मंहगाई बहुत बढ़ गई है। सरकार के विरुद्ध कुछ प्रदर्शन भी हो रहे हैं लेकिन ऐसी घटनाएं किस देश में नहीं होतीं?

इसके बावजूद कि जसिंदा दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जीतकर आई थीं और अपनी पहली पारी में उन्होंने कई अद्भुत कदम उठाए थे, उन्होंने इस्तीफा देते समय कहा है कि वे अक्तूबर 2023 में होनेवाले चुनावों में भी भाग नहीं लेगी। वे 37 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बननेवाली विलक्षण महिला हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित कीं। कोविड महामारी का डटकर सामना करना और कोविड-नियंत्रण का रेकार्ड कायम करना उनकी विशेष उपलब्धि रही।

उनके कुछ साहसिक कदम ऐसे थे, जिनके कारण उनकी ख्याति सारी दुनिया में फैल गई। मार्च 2019 में जब एक गोरे आतंकवादी ने दो मस्जिदों पर हमला करके 51 मुसलमानों को मार डाला तो खुद प्रधानमंत्री बुर्का पहनकर उन मस्जिदों में गईं और न्यूजीलैंड के ही नहीं दुनिया के सभी लोगों को चकित कर दिया। उन्होंने बंदूकबाजी के विरूद्ध सख्त कानून भी बनाए। जसिंदा ने औपचारिक तौर पर अभी शादी नहीं की है। अभी वे एक आदमी के साथ रहती हैं।

अब उससे वे शादी भी करेंगी और 2018 में पैदा हुई अपनी बेटी की देखभाल भी करेंगी। वे तीन माह की इस बेटी को लेकर संयुक्तराष्ट्र संघ की महासभा में जानेवाली पहली महिला थीं। उन्होंने कहा है कि उनके इस्तीफे के कई मतलब लगाए जाएंगे लेकिन इसकी उन्हें परवाह नहीं है। कोविड महामारी के कारण वे अपनी परिवार पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाई हैं।

जसिंदा आर्डर्न के इस इस्तीफे ने दुनिया के कई प्रधानमंत्रियों को चकित कर दिया है। वे उनको विश्व-नेता तक बता रहे हैं। न्यूजीलैंड के सत्तारूढ़ दल और विरोधी दलों के नेता भी इस महिला प्रधानमंत्री की तारीफ के पुल बांध रहे हैं। मुझे आशा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विलक्षण महिला की सराहना करेंगे ताकि हमारे नेताओं को भी कुछ सीख मिले।

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Published by वेद प्रताप वैदिक

हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पत्रकार। हिंदी के लिए आंदोलन करने और अंग्रेजी के मठों और गढ़ों में उसे उसका सम्मान दिलाने, स्थापित करने वाले वाले अग्रणी पत्रकार। लेखन और अनुभव इतना व्यापक कि विचार की हिंदी पत्रकारिता के पर्याय बन गए। कन्नड़ भाषी एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने उन्हें भी हिंदी सिखाने की जिम्मेदारी डॉक्टर वैदिक ने निभाई। डॉक्टर वैदिक ने हिंदी को साहित्य, समाज और हिंदी पट्टी की राजनीति की भाषा से निकाल कर राजनय और कूटनीति की भाषा भी बनाई। ‘नई दुनिया’ इंदौर से पत्रकारिता की शुरुआत और फिर दिल्ली में ‘नवभारत टाइम्स’ से लेकर ‘भाषा’ के संपादक तक का बेमिसाल सफर।

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