प्रश्न उठेगा कि एशियाई महिलाओँ के बढ़ते कुल औसत धन लेकर आखिर कितना गर्व किया जाना चाहिए? या उस पर कितनी खुशी मनाई जानी चाहिए?
एक अध्ययन का यह निष्कर्ष दिलचस्प है कि एशियाई महिलाओं का साझा धन उत्तर अमेरिका को छोड़ कर दुनिया के बाकी किसी हिस्से की महिलाओं की तुलना में अधिक हो गया है। बताया गया है कि ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है। इसी अध्ययन का निष्कर्ष है कि वृद्धि दर के मामले में एशियाई महिलाएं दुनिया में सबसे आगे हैँ। लेकिन सिक्के दो पहलुओं पर गौर कीजिए। एक पहलू यह है कि एशिया में महिला अरबपतियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2010 में एशिया में 13 महिलाएं ही अरबपति थीं, जबकि 2022 में यह संख्या 92 तक पहुंच चुकी है। लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इस प्रगति के बावजूद एशिया में 75 प्रतिशत महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम करती हैं। वहां अक्सर कामकाज की स्थितियां खतरनाक होती हैं। साथ ही महिलाओँ को पुरुषों से कम वेतन मिलने का चलन भी बड़े पैमाने पर जारी है। तो प्रश्न उठेगा कि सिक्के के पहले पहलू को लेकर आखिर कितना गर्व किया जाना चाहिए? या उस पर कितनी खुशी मनाई जानी चाहिए? बहरहाल, बॉस्टन कंसल्टैंसी ग्रुप (बीसीजी) के विश्लेषण के मुताबिक एशियाई महिलाओँ के पास 2026 तक कुल 27 ट्रिलियन डॉलर का धन होगा।
यह पश्चिमी यूरोप से छह ट्रिलियन डॉलर अधिक होगा। वैसे एशियाई महिलाओं का कुल धन 2021 में ही यूरोपीय महिलाओं के कुल धन से ज्यादा हो चुका था। एशियाई महिलाओं के सकल वार्षिक धन में हर साल दो ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हो रही है। 10.6 प्रतिशत की सालाना दर से हो रही यह वृद्धि कम से कम अगले चार साल तक इसी गति से जारी रहेगी। लेकिन इसे ध्यान में रखना चाहिए कि टॉप दस प्रतिशत एशियाई महिलाओं के पास महिलाओ की कुल संपत्ति का 60 फीसदी हिस्सा है। जबकि निचली 50 प्रतिशत आबादी के पास इस धन का सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सा ही है। महिलाओं की आर्थिक हैसियत के बीच गैर-बराबरी एशिया के लगभग सभी देशों में मौजूद है। जहां तक पुरुष और महिला के बीच गैर-बराबरी का संबंध है, तो तथ्य यह सामने आया है कि औसतन एक पुरुष के अपनी जिंदगी में जितना धन इकट्ठा करने की संभावना होती है, महिलाएं उसके 74 प्रतिशत के बराबर धन ही हासिल कर पाती हैँ।