बेबाक विचार

डूबा हुआ है असम

ByNI Editorial,
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डूबा हुआ है असम
असम का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है। चूंकि उत्तर- पूर्व की खबरों में देश के मेनस्ट्रीम मीडिया की दिलचस्पी नहीं होती, इसलिए वहां की त्रासदियों की गंभीरता भी बाकी देश में महसूस नहीं की जाती। जबकि हाल यह है कि अब तक सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। काजीरंगा नेशनल पार्क में नौ गैंडों समेत 110 जानवरों की मौत हो चुकी है। यह राज्य में बाढ़ का दूसरा दौर है। आम अनुभव है कि हर साल इसकी भयावहता बढ़ती ही जा रही है। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान मशहूर काजीरंगा नेशनल पार्क को पहुंचा है। अधिकारियों के मुताबिक पहले पानी भरने पर तमाम जानवर ऊंची जगहों पर चले जाते थे। लेकिन अब ज्यादातर हिस्सा डूब जाने की वजह से भारी दिक्कत हो रही है। यह लगातार दूसरा साल है जब पार्क लगभग पूरी रह डूब गया है। बाढ़ असम के लिए नई नहीं है। भारत, तिब्बत, भूटान और बांग्लादेश यानी चार देशों से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी असम को दो हिस्सों में बांटती है। इसकी दर्जनों सहायक नदियां भी हैं। तिब्बत से निकलने वाली यह नदी अपने साथ भारी मात्रा में गाद लेकर आती है। वह गाद धीरे-धीरे असम के मैदानी इलाकों में जमा होता रहता है। इससे नदी की गहराई कम होती है। इससे पानी बढ़ने पर बाढ़ और तटकटाव की गंभीर समस्या पैदा हो जाती है। असम सरकार ने 2015 में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि 1954 से भूमि कटाव की वजह से 3,800 वर्ग किलोमीटर जमीन ब्रह्मपुत्र में समा चुकी है। केंद्रीय जल आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि 1953 से 2016 के बीच सालाना औसतन 26 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आते रहे हैं और औसत 47 लोगों की मौत होती रही है। इसके अलावा हर साल करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इंसानी गतिविधियों ने भी परिस्थिति को और जटिल बना दिया है। नदी के जलग्रहण इलाकों में इंसानी बस्तियों के बसने, जंगलों के तेजी से कटने और आबादी बढ़ने की वजह से समस्या की गंभीरता बढ़ गई है। नतीजतन, बीते कुछ वर्षों से राज्य में बाढ़ आने की दर बढ़ रही है। इस साल काजीरंगा नेशनल पार्क के अलावा लाओखोवा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी और पवित्रा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी भी पानी में डूब गए हैं। जाहिर है, असम में बाढ़ की समस्या का दीर्घकालीन समाधान जरूरी है। लेकिन ऐसा तभी हो सकता है, जब ऐसी समस्याएं सार्वजनिक चर्चा और सरकारों के लिए प्राथमिकता का विषय बनें।
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