अपने वायु क्षेत्र से किसी विमान के उड़ने का मतलब यह नहीं होता कि संबंधित देश उसे अपने यहां उतरने के लिए मजबूर कर दे।फिर ये समझना भी मुश्किल है कि आखिर लुकाशेंको सरकार एक ब्लॉगर से इतना क्यों डरती है कि उसने पकड़ने के लिए उसने तमाम अंतरराष्ट्रीय कायदों को ताक पर रख दिया?
इस बात में कोई शक नहीं है कि बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको जो किया, वह अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्य व्यवहार नहीं है। ना ही ऐसा होना चाहिए। अपने वायु क्षेत्र से किसी विमान के उड़ने का मतलब यह नहीं होता कि संबंधित देश उसे अपने यहां उतरने के लिए मजबूर कर दे। यह एक तरह से भरोसे को तोड़ना है। फिर ये समझना भी मुश्किल है कि आखिर लुकाशेंको सरकार एक ब्लॉगर से इतना क्यों डरती है कि उसने पकड़ने के लिए उसने तमाम अंतरराष्ट्रीय कायदों को ताक पर रख दिया? इसलिए ये उचित ही है कि इस घटना पर पश्चिमी दुनिया में भारी नाराजगी फैली है। इस घटना को ‘आतंकवाद की कार्रवाई’ तक बताया गया है। लेकिन सवाल है कि जब अंतरराष्ट्रीय सहमतियां टूट गई हों, तो फिर ऐसी नाराजगी से असल में क्या फर्क पड़ेगा? आखिर अमेरिका या यूरोपीय देश इस मामले में कुछ और प्रतिबंध लगाने के अलावा और क्या करने की स्थिति में हैं?
ये नहीं भूलना चाहिए कि बेलारूस की असल ताकत उसकी पीठ पर रूस का हाथ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से पश्चिमी देशों ने अपने रिश्ते जिस तरह बिगाड़ रखे हैं, उसमें पुतिन ऐसे मामलों में उनसे कोई सहयोग करेंगे, इसकी संभावना न्यूनतम है। वैसे ये घटना बेलारूस के दुस्साहस की मिसाल ही मानी जाएगी। ग्रीस के एथेंस से उड़े और लिथुआनिया के विलिनियस जा रहे आयरलैंड की रेनायर एयरलाइन्स का विमान को बेलारूस के अधिकारियों ने उसे बीच में ही मिन्स्क हवाई अड्डे पर उतार लिया। विमान से 26 वर्षीय ब्लॉगर रोमान प्रोतासेविच को गिरफ्तार कर लिया गया, जो लिथुआनिया में रहते हैं। वे नेक्स्ता नाम की वेबसाइट का संपादक रह चुके हैं। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के बाद जब बेलारूस में बड़े पैमाने पर जन प्रदर्शन हो रहे थे, तब प्रोतासेविच ने लगातार लुकाशेंको के खिलाफ लेखन किया था। इसी कारण बेलारूस पुलिस ने प्रोतासेविच का नाम आतंकवादियों की सूची में डाल रखा था। उन पर तीन आरोपों में पहले से मुकदमा चल रहा है। जाहिर है, इस घटना से देशों के अधिकार क्षेत्र को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। क्या कोई देश सिर्फ इसलिए अपने वायु क्षेत्र से गुजर रहे किसी विमान को अपने यहां उतरने पर मजबूर कर सकता है कि उसमें उसके यहां का कोई ‘अपराधी’ बैठा हुआ हो? अगर ऐसा होने लगे, तो क्या सारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था सिरे से ढह नहीं जाएगी?