नरेंद्र मोदी को आखिर किस तरह की राजनीतिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए याद रखा जाएगा? शरद पवार ने जो खुलासा किया, वह सच है तो यही कहा जाएगा कि प्रधानमंत्री खुद सियासी जोड़-तोड़ करते हैं और पाला बदल को बढ़ावा देते हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार के मुताबिक महाराष्ट्र में सरकार गठन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘साथ मिलकर’ काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया। पवार ने ऐसी खबरों को खारिज किया कि मोदी सरकार ने उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट में सुप्रिया (सुले) को मंत्री बनाने का एक प्रस्ताव जरूर दिया गया था। सुप्रिया सुले पवार की बेटी हैं और बारामती से लोकसभा की सदस्य हैं। पवार के मुताबिक उन्होंने मोदी को साफ कर दिया कि उनके लिए प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करना संभव नहीं है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पवार ने ये बातें कहीं।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहे घटनाक्रम के बीच पवार ने पिछले महीने दिल्ली में मोदी से मुलाकात की थी। गौरतलब है कि हाल में मोदी कई मौकों पर पवार की तारीफ कर चुके हैं। पिछले दिनों मोदी ने कहा था कि संसदीय नियमों का पालन कैसे किया जाता है, इस बारे में सभी दलों को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से सीखना चाहिए। इसीलिए जब अजित पवार ने बीजेपी से हाथ मिलाया, तब आरंभ में शक जताया गया कि उन्होंने ऐसा शरद पवार की सहमति से किया है। मगर बाद में ये शक छंटा, जब शरद पवार खुल कर अजित पवार के उस कदम के खिलाफ सामने आ गए। टीवी इंटरव्यू में अजित पवार ने कहा- जब मुझे अजित के (देवेंद्र फडणवीस को दिए गए) समर्थन के बारे में पता चला तो सबसे पहले मैंने ठाकरे से संपर्क किया। मैंने उन्हें बताया कि जो हुआ वह ठीक नहीं है और उन्हें भरोसा दिया कि मैं अजित के बगावत को दबा दूंगा। जब एनसीपी में सबको पता चला कि अजित के कदम को शरद पवार समर्थन नहीं है, तो जो विधायकअजित) साथ गए थे, उन पर वापस लौटने का दबाव बढ़ गया। साथ ही शरद पवार ने अजित पवार को भी ये संदेश भेजा कि जो कुछ भी उन्होंने किया वह क्षम्य नहीं है। इसका असर हुआ। बहरहाल, अब सवाल यह है कि मोदी ने जो प्रयास किया, उसे अनैतिक के अलावा और क्या कहा जा सकता है?