लूला ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा वैश्विक टकराव में उनका झुकाव किसकी तरफ है। ब्राजील ब्रिक्स का सदस्य है और लैटिन अमेरिका में उसका खासा असर रहता है। इसलिए लूला की चीन यात्रा पर दुनिया भर की नजर रही है।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा की चीन यात्रा का सार यह है कि दोनों देशों में तेजी से बदल रहे विश्व शक्ति-संतुलन के बीच एक किस्म की जुगलबंदी कायम हो गई है। लूला ने अपनी यात्रा की शुरुआत शंघाई शहर में न्यू डेवलपमेंट बैंक (जिसे पहले ब्रिक्स बैंक कहा जाता था) के मुख्यालय की यात्रा से की। ब्राजील की पूर्व राष्ट्रपति डिलमा रुसेफ को हाल ही में इस बैंक का गवर्नर बनाया गया है। वहां दिए अपने भाषण में लूला ने विकासशील देशों का आह्वान किया कि वे अपने आपसी कारोबार के लिए अमेरिकी मुद्रा डॉलर का इस्तेमाल बंद कर दें। लूला ने शंघाई में हाईटेक कंपनी हुवावे के मुख्यालय का भी दौरा किया, जिसका एक प्रतीकात्मक महत्त्व है। आखिर अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपने व्यापार युद्ध और नए शीत युद्ध की शुरुआत इसी कंपनी पर कार्रवाई के साथ की थी। तो लूला ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस टकराव में उनका झुकाव किसकी तरफ है। ब्राजील दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे बड़ा देश है। वह ब्रिक्स का सदस्य है और लैटिन अमेरिका में उसका खासा असर रहता है।
इसलिए लूला की चीन यात्रा पर दुनिया भर की नजर रही है। इस यात्रा के दौरान चीन और ब्राजील के कारोबारी रिश्ते और प्रगाढ़ हुए हैं। ब्राजीली राष्ट्रपति के साथ 240 कारोबारियों का प्रतिनिधि मंडल भी बीजिंग पहुंचा। फिलहाल ब्राजील और चीन के बीच हर साल 150 अरब डॉलर का कारोबार होता है। 2022 में ब्राजील ने चीन को 89 अरब डॉलर का निर्यात किया। चीन ब्राजील में कई क्षेत्रों में निवेश कर रहा है। ब्राजील के पास ऐसे संसाधन हैं, जिनमें चीन की दिलचस्पी है। जैसे ब्राजील का सोया खाद्य सुरक्षा के लिहाज लेकर चीन के लिए महत्त्वपूर्ण है। चीन पहले से ही दक्षिण अमेरिका में ब्राजील को अपने मुख्य साझेदार की तरह देखता है। अमेरिकी थिंकटैंक ग्लोबल अमेरिकंस के एक विश्लेषण के मुताबिक बीते दो दशकों में चीनी कारोबारियों ने ब्राजील में करीब 70 अरब डॉलर का निवेश किया है। अब इसमें और गति आ सकती है। स्पष्टतः लूला की ताजा यात्रा से पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ेगी।