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बुल्डोजर न्याय की नग्नता

ByNI Editorial,
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बुल्डोजर न्याय की नग्नता
मध्य प्रदेश में पत्रकार इस रूप में नंगे नहीं हुए। बल्कि उन्हें पुलिस ने नंगा  किया। वहां संभवतः इसलिए यह घटना हुई कि यूट्यूब पत्रकारों के एक समूह ने चाटुकारिता में खुद नंगा नहीं किया। शायद वे ऐसा करने से इनकार कर रहे थे। तो सत्ता के कहने पर पुलिस ने उन्हें नंगा कर दिया। बदहाली को बताने वाला कोई मुहावरा अगर किसी समाज में शब्दशः सच होने लगे, तो सहज यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां हालात सचमुच कहां पहुंच गए हैँ। नंगा हो जाना या नंगा कर दिया जाना- एक प्रचलित मुहावरा है। मसलन, भारत की मुख्यधारा पत्रकारिता के लिए आज अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि यह नंगी हो गई है। इसका मतलब यह होता है कि पत्रकारिता के बहुत बड़े हिस्से ने जन हित का आवरण भी उतार दिया है और अब खुलेआम सत्ता का चाटुकारिता में शामिल हो गई है। लेकिन मध्य प्रदेश में पत्रकार इस रूप में नंगे नहीं हुए। बल्कि उन्हें पुलिस ने नंगा (या अर्ध नग्न) कहें) किया। वहां संभवतः इसलिए यह घटना हुई कि यूट्यूब पत्रकारों के एक समूह ने चाटुकारिता में खुद नंगा नहीं किया। शायद वे ऐसा करने से इनकार कर रहे थे। तो सत्ता के कहने पर पुलिस ने उन्हें नंगा कर दिया। ये घटना दुनिया भर में चर्चित हुई है। पुलिस के सामने हाथ बांधे नग्नावस्था में खड़े पत्रकारों के जरिए दुनिया भारत में पत्रकारिता की असली सूरत देख रही है। मध्य प्रदेश के सीधी के एक थाने में स्थानीय यूट्यूब पत्रकार समेत आठ लोगों की अर्धनग्न तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। यह तस्वीर कथित तौर पर दो अप्रैल को ली गई। फिर धीरे-धीरे यह इसे सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस तस्वीर में एक स्थानीय यूट्यूब पत्रकार कनिष्क तिवारी भी नजर आ रहे हैं। तिवारी के मुताबिक उन्हें अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया, जब वे एक थिएटर कलाकार नीरज कुंदर के बारे में पूछताछ करने के लिए पुलिस थाने गए थे। कुंदर को भाजपा विधायक और उनके बेटे के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बताया गया है कि तस्वीर में जो लोग दिख रहे हैं उनमें- आशीष सोनी (सामाजिक कार्यकर्ता), शिव नारायण कुंदेर (रंगकर्मी), सुनील चौधरी (सचिव, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच), और उज्जवल कुंदेर (चित्रकार) हैं। तिवारी समेत अन्य लोगों को कुंदर की गिरफ्तारी का विरोध करने पर धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि विरोध के दौरान वे जनता की आवाजाही को बाधित करते हुए एक सड़क पर बैठ गए थे। यानी पुलिस के बयान से भी साफ है कि तिवारी और उनके साथ गए लोगों ने कोई जघन्य अपराध नहीं किया था। लेकिन बुल्डोजर न्याय के युग में सत्ताधारी नेता की मर्जी के खिलाफ जाना या बोलना ही बड़ा अपराध हो गया है।
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