hate speech किसे माना जाए, इस पर मतभेद हो सकते हैँ, लेकिन अगर एक सभ्य समाज कोशिश करे तो इस बारे में किसी आम सहमति पर जरूर पहुंच सकता है। इसीलिए कनाडा में हुई ताजा घोषणा ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। वहां अब हेट स्पीच के खिलाफ कानून बनाने का इरादा जताया गया है।
सामाजिक नफरत फैलाना किसी भी सभ्य और विवेकशील समाज में अपराध मना जाएगा। इस मकसद से दिए जाने भाषणों यानी hate speech पर कड़ी सजा का प्रावधान जरूरी है। हालांकि हेट स्पीच किसे माना जाए, इस पर मतभेद हो सकते हैँ, लेकिन अगर एक सभ्य समाज कोशिश करे तो इस बारे में किसी आम सहमति पर जरूर पहुंच सकता है। इसीलिए कनाडा में हुई ताजा घोषणा ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। वहां अब हेट स्पीच के लिए आपराधिक सजा का प्रावधान करने का इरादा जताया गया है। इसके लिए कनाडा की लिबरल पार्टी की सरकार ने आपराधिक और मानवाधिकार से जुड़े कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। एक मुस्लिम परिवार को ट्रक से कुचल दिए जाने की घटना के बाद ये पहल की गई है। इसी महीने हुई इस घटना में एक 20 वर्षीय युवक ने अपने ट्रक से एक मुस्लिम परिवार को कुचल दिया। इस घटना को सरकार ने नफरत के कारण किया गया अपराध बताया।
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आरोपी युवक पर हत्या और आतंकवाद की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। उसके बाद सरकार ने एलान किया कि अब वह ऐसा कदम उठाने जा रही है, जो कमजोरों की मदद करेगा। साथ ही उससे इंटरनेट पर नफरत फैलाने वालों को सजा दिलाना संभव हो जाएगा। जिन बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, उनके तहत अपनी निजी वेबसाइटों, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म या ब्लॉग पर नफरत भरी टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ शिकायत करना आसान होगा। ऐसी वेबसाइट चलाने वालों के खिलाफ भी मुकदमा किया जा सकेगा। किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर इंटरनेट पर नफरत भरी टिप्पणी करने का दोषी पाए जाने पर 20 हजार कनाडाई डॉलर (लगभग 12 लाख रुपये) तक का जुर्माना हो सकेगा। इस कानून में फिलहाल सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म चलाने वाली कंपनियों को पक्षकार नहीं बनाया गया है। लेकिन सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया चलाने वाली कंपनियों को जिम्मेदार बनाने के बारे में जल्द ही जनता से सुझाव मांगे जाएंगे। हेट स्पीच को फैलाने में सोशल मीडिया और इंटरनेट की भी बड़ी भूमिका है। इसीलिए कई देशों की सरकारें दुनिया की बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों पर हेट स्पीच को रोकने के लिए कानूनी बंदिशें भी लगाने के प्रयास कर रही हैं। कनाडा अब उसमें शामिल हुआ है। उसके कानून के मॉडल पर सबकी निगाहें रहेंगी। इससे एक मिसाल कायम हो सकती है।