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भारत जीतेगा कोरोना-युद्ध

जनता-कर्फ्यू की सफलता अभूतपूर्व और एतिहासिक रही है। पिछले 60-70 साल में मैंने कई भारत बंद देखे हैं और उनमें भाग भी लिया है लेकिन ऐसा भारतबंद पहले कभी नहीं देखा। इस पहल का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो है ही, इस जनता-कर्फ्यू ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि मोदी से बड़ा प्रचारमंत्री पूरी दुनिया में कोई नहीं है।इटली, चीन, स्पेन और अमेरिका में कोरोना से हजारों लोग हताहत हुए लेकिन इन देशों में भी जनता का ऐसा कर्फ्यू कहीं नहीं हुआ। इसका एक कारण यह भी है कि लोगों के दिल में मौत का डर गहरे में बैठ गया है, वैसा शायद कहीं नहीं फैला है। इसके अलावा भारत की केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें भी जबर्दस्त मुस्तैदी दिखा रही हैं।

यदि अगले 15 दिन ठीक-ठाक निकल गए तो भारत की यह मुस्तैदी सारी दुनिया के लिए एक मिसाल बन जाएगी। इस जनता-कर्फ्यू ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि भारत की जनता काफी जिम्मेदार और समझदार है। भारत के 60-70 प्रतिशत मतदाताओं ने मोदी के विरुद्ध मतदान किया है लेकिन एकाध अधकचरे नेता के अलावा देश के 100 प्रतिशत लोगों ने मोदी के आह्वान का सम्मान किया है।मुझे आश्चर्य है कि अभी तक मोदी ने दक्षेस के पड़ौसी राष्ट्रों के नेताओं के साथ इसी तरह का आह्वान करने की बात क्यों नहीं की और अभी तक देश के वंचित वर्ग के लोगों के लिए सीधी आर्थिक सहायता की घोषणा क्यों नहीं की ? मुझे खुशी है कि हमारे सभी प्रमुख टीवी चैनल कोरोना-युद्ध लड़ने के लिए हमारे परमप्रिय बाबा रामदेवजी को योद्धा बनाए हुए हैं।

आसन और प्राणायाम के साथ-साथ वायुशोधक औषधियों से हवन करने की प्रेरणा मोदी और रामदेव जनता को क्यों नहीं दे रहे हैं ? अ-हिंदू लोग चाहें तो हवन में वेद मंत्रपाठ करने की बजाय कुरान की आयतें, बाइबिल के पद, त्रिपिटक के सूत्र, जैन-आगम आदि का पाठ कर सकते हैं। विषाणु-निरोधक आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपेथिक दवाइयां लेने में भी कोई हानि नहीं है। इस कोरोना-युद्ध में भारत की विजय सुनिश्चित है।

By वेद प्रताप वैदिक

हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पत्रकार। हिंदी के लिए आंदोलन करने और अंग्रेजी के मठों और गढ़ों में उसे उसका सम्मान दिलाने, स्थापित करने वाले वाले अग्रणी पत्रकार। लेखन और अनुभव इतना व्यापक कि विचार की हिंदी पत्रकारिता के पर्याय बन गए। कन्नड़ भाषी एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने उन्हें भी हिंदी सिखाने की जिम्मेदारी डॉक्टर वैदिक ने निभाई। डॉक्टर वैदिक ने हिंदी को साहित्य, समाज और हिंदी पट्टी की राजनीति की भाषा से निकाल कर राजनय और कूटनीति की भाषा भी बनाई। ‘नई दुनिया’ इंदौर से पत्रकारिता की शुरुआत और फिर दिल्ली में ‘नवभारत टाइम्स’ से लेकर ‘भाषा’ के संपादक तक का बेमिसाल सफर।

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