किसानों के बारे में लाए गए विधेयकों पर राज्यसभा में जिस तरह का हंगामा हुआ है, क्या इससे हमारी संसद की इज्जत बढ़ी है ? दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश भारत है। पड़ौसी देशों के सांसद हमसे क्या सीखेंगे ? विपक्षी सांसदों ने इन विधेयकों पर सार्थक बहस चलाने के बजाय राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश पर सीधा हमला बोल दिया। उनका माइक तोड़ दिया। नियम-पुस्तिका फाड़ दी। धक्का-मुक्की की। सदन में अफरा-तफरी मचा दी। उच्च सदन को निम्न कोटि का बाजार बना दिया। यही विधेयक लोकसभा में भी पारित हुआ है लेकिन वहां तो ऐसा हुड़दंग नहीं हुआ। जिसे वरिष्ठ नेताओं का उच्च सदन कहा जाता है, उसके आठ सदस्यों को निलंबित करना पड़ जाए तो उसे आप सदन कहेंगे या अखाड़ा ? विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि उपसभापति ने ध्वनिमत से इन किसान-कानूनों को पारित करके ‘लोकतंत्र की हत्या’ कर दी है और सत्तारुढ़ दल के नेता इसे विपक्षियों की ‘शुद्ध गुंडागर्दी’ बता रहे हैं। यह ठीक है कि ध्वनि मत से प्रायः वे ही विधेयक पारित किए जाते हैं, जिन पर लगभग सर्वसम्मति-सी होती है।
यदि एक भी सांसद किसी विधेयक पर बाकायदा मतदान की मांग करे तो पीठासीन अध्यक्ष को मजबूरन मतदान करवाना पड़ता है। इस संसदीय नियम का पालन नहीं हो पाया, क्योंकि विपक्षी सांसदों ने इतना जबर्दस्त हंगामा मचाया कि सदन में अराजकता फैल गई। विपक्ष का सोच है कि यदि बाकायदा मतदान होता तो ये विधेयक कानून नहीं बन पाते। विपक्ष को पिछले 6 साल में यही मुद्दा हाथ लगा है, जिसके दम पर देश में गलतफहमी फैलाकर कोई आंदोलन खड़ा कर सकता है। प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने साफ-साफ कहा है कि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्यों, मंडियों और आड़तियों की व्यवस्था ज्यों की त्यों रहेगी लेकिन अब किसानों के लिए खुले बाजार के नए विकल्प भी खोले जा रहे हैं ताकि उनकी आमदनी बढ़े। इस नए प्रयोग के लागू होने के पहले ही उसे बदनाम करने की कोशिश को घटिया राजनीति नहीं कहें तो क्या कहेंगे ? सरकार ने छह रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में 50 से 300 रु. प्रति क्विंटल की वृद्धि कर दी है। प्रसिद्ध किसान नेता स्व. शरद जोशी के लाखों अनुयायियों ने इस कानून के पक्ष में आंदोलन छेड़ दिया है। मेरी राय में ये दोनों आंदोलन इस समय अनावश्यक हैं। ज़रा सोचें कि कोई राजनीतिक दल देश के 50 करोड़ किसानों को लुटवाकर अपने पांव पर क्या कुल्हाड़ी मारना चाहेगा ?
किसानों पर घटिया राजनीति
और पढ़ें
-
आरसीबी प्री-सीजन कैंप में शामिल हुए विराट
नई दिल्ली। भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली (Virat Kohli) आईपीएल 2024 से पहले एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल...
-
आचार संहिता के बाद भी विपक्ष को राहत नहीं
विपक्षी पार्टियां और कई स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी मान रहे थे कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होने और देश में आदर्श...
-
चुनाव आयोग की तैयारियों की पोल खुली
चुनाव आयोग का मुख्य काम लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने का है। किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव...
-
चार जून और चार सौ पार का नारा
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चार जून को क्यों तय की? पिछली बार यानी 2019...