बेबाक विचार

गहरी चिंता की बात है

ByNI Editorial,
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गहरी चिंता की बात है
बीजिंग में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत हुई। उसके बाद जारी साझा बयान में कश्मीर मुद्दे का भी जिक्र हुआ। इसमें कहा गया कि चीन कश्मीर की स्थिति में ‘एकतरफा बदलाव’ करने की किसी कोशिश का विरोध करता है शीतकालीन ओलिंपिक खेलों के मौके पर बीजिंग में लगभग 30 देशों के राजनेताओं के हुए जमावड़े का सार यह है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ रूस और चीन की एक नई धुरी बन गई है। पाकिस्तान भी इस धुरी का हिस्सा बनता दिख रहा है।इस बात के साफ संकेत बीजिंग में हुई वार्ताओं से उभरे। बीजिंग में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत हुई। उसके बाद जारी साझा बयान में कश्मीर मुद्दे का भी जिक्र हुआ। इसमें कहा गया कि चीन कश्मीर की स्थिति में ‘एकतरफा बदलाव’ करने की किसी कोशिश का विरोध करता है। दूसरी तरफ एक अन्य संदर्भ में रूस का एक ताजा बयान आया है। उसके मुताबिक रूस कश्मीर को इतिहास से मिली एक समस्या मानता है, जिसका समाधान अतीत में हुए द्विपक्षीय समझौतों के तहत होना चाहिए। इन दोनों बातों का मतलब बिल्कुल साफ है। अब इस बात पर भी गौर कीजिए। अभी जबकि इमरान खान बीजिंग में ही थे, ये एलान हुआ कि जल्द ही वे रूस की यात्रा करेंगे। दो दशक में रूस की यात्रा करने वाले वे पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। ये बातें आखिर क्या संकेत देती हैं? यह साफ है कि रूस और चीन फिलहाल एक दूसरे की जरूरत बन गए हैँ। ऐसे में दोनों देश कोई ऐसा रुख नहीं लेंगे, जिसे दूसरा पसंद ना करे। कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के साथ चीन का मतैक्य बनने के संकेत पहले से साफ रहे हैँ। बल्कि कई रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि धारा 370 को खत्म करने और बालाकोट पर आक्रमण के बाद बनी स्थितियों में ये दोनों देश ज्यादा करीब आ गए हैँ। लद्दाख में लगभग पौने दो साल से बने हालात के पीछे भी इन दोनों घटनाओं की भूमिका देखी जाती है। अब सवाल है कि क्या भारत में इससे बन रहे खतरों का आकलन किया गया है? मुमकिन है कि सरकार ने ऐसा किया हो। बहरहाल, यह गौरतलब है कि इमरान खान और शी जिनपिंग ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की धीमी प्रगति समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। यह साफ है कि चीन को इस मसले पर भी भारत की चिंता की कोई परवाह नहीं है। ऐसे में अपेक्षित है कि भारत माकूल जवाब दे। क्या ऐसा होगा?
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