कर्नाटक चुनाव की खास बात यह है कि पहली बार भाजपा रक्षात्मक है और कांग्रेस आक्रामक अंदाज में राजनीति कर रही है। देश के किसी भी राज्य में ऐसा देखने को नहीं मिला कि भाजपा अपने तय किए एजेंडे पर राजनीति करने की बजाय कांग्रेस के एजेंडे पर प्रतिक्रिया दे रही हो। कांग्रेस के तेवर कितने आक्रामक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ थाने में जाकर मुकदमा दर्ज कराया। सोचें, देश के गृह मंत्री के खिलाफ! अब तक चुनावी भाषण को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराती थी और सबको पता होता था कि आयोग क्या करेगा। सो, इस बार कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत करने के साथ ही पुलिस स्टेशन में जाकर एफआईआर दर्ज कराई।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और राज्य के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने थाने में रपट लिया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक भाषण में कहा था कि कांग्रेस जीतेगी तो कर्नाटक में दंगे होंगे। इस बयान के खिलाफ शिवकुमार और सुरजेवाला ने केस दर्ज कराया है। उन्होंने अपनी एफआईआर में कहा है अमित शाह का बयान सामुदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाला है और भड़काऊ है। इसी तरह राहुल गांधी ने अपनी चुनावी सभा में कहा कि कर्नाटक भाजपा में उसी को टिकट मिली है, जो ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करता है। उन्होंने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी का हवाला देते हुए कहा कि उनको भाजपा की टिकट इसलिए नहीं मिली क्योंकि उन्होंने ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करने से इनकार कर दिया और यह बात भाजपा के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आई।
इस बार कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का एजेंडा सेट किया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को भ्रष्ट साबित करने का एजेंडा बनाया था। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक कांग्रेस के लिए एटीएम की तरह है। वे पहले भी कह चुके हैं कि कर्नाटक से नकदी ट्रांसफर का सीधा कनेक्शन दिल्ली जुड़ा हुआ है। लेकिन इस बार मामला उलटा है। इस बार कांग्रेस ने ‘40 फीसदी कमीशन’ वाली सरकार का हल्ला बनवाया है। राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कांट्रैक्टर एसोसिएशन की ओर से लिखी चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें 40 फीसदी कमीशन मांगे जाने का जिक्र था। एक ठेकेदार की आत्महत्या भी प्रचार का मुद्दा है। कांट्रैक्टर एसोसिएशन से लेकर स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन तक के आरोपों को कांग्रेस नेता दोहरा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के छोड़ दें तो यह संभवतः पहला राज्य है, जहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों प्रचार कर रहे हैं। पिछले साल के अंत में हुए चुनाव में प्रियंका ने हिमाचल में प्रचार किया था तो राहुल गांधी गुजरात गए थे। इस साल पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव प्रचार में राहुल ही गए। कर्नाटक में राहुल गांधी पांच दिन में 10 से ज्यादा सभाएं और रोड शो कर चुके हैं। वे किसानों, मछुआरों और छात्रों से अलग अलग संवाद कर रहे हैं। राहुल गांधी भी दो दिन कर्नाटक में रहीं और कई सभाओं को संबोधित किया। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह प्रदेश है इसलिए वे भी दम लगा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को ‘जहरीला सांप’ कह दिया। हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई दी लेकिन भाजपा की हिम्मत नहीं हुई कि वह खड़गे पर उसी अंदाज में हमला करे। यह भी भाजपा के रक्षात्मक होने का संकेत है। भाजपा की ओर से कांग्रेस और खास कर सोनिया व राहुल गांधी को निशाना बनाया गया। खड़गे के बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि भले खड़गे ने यह बात कही है लेकिन विष गांधी परिवार का है। इसी तरह कर्नाटक में भाजपा के विधायक बासनगौड़ा ने खड़गे के बयान के लिए कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उनके ‘विषकन्या’ कहा। भाजपा खड़गे पर इसलिए हमला नहीं कर पा रही है कि कर्नाटक उनका गृह प्रदेश है और वे दलित हैं।
भाजपा कई और कारणों से रक्षात्मक है। वह मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं घोषित कर पा रही है क्योंकि उसे पता है कि सिर्फ लिंगायत वोट से चुनाव नहीं जीता जा सकेगा। बसवराज बोम्मई को सीएम दावेदार नहीं घोषित करने का नतीजा यह हुआ है कि लिंगायत मतदाताओं में कंफ्यूजन है। उनके सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनके बेटे को जरूर टिकट मिली है लेकिन सबको पता है कि भाजपा जीत भी जाती है तो वे सीएम नहीं होंगे। उधर दो बड़े लिंगायत नेताओं- जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ी है और कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे हैं। इससे भी भाजपा रक्षात्मक हुई है। टिकट बंटवारे में जिस तरह से विवाद हुआ और शेट्टार ने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष पर आरोप लगाए उससे भी भाजपा बैकफुट पर है। मुख्यमंत्री बोम्मई को कहना पड़ा कि शेट्टार की टिकट काटने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया, संतोष का उससे कोई लेना देना नहीं था।