बेबाक विचार

ये बदलाव गौरतलब है

ByNI Editorial,
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ये बदलाव गौरतलब है

कोरोना महामारी ने करोड़ों अमेरिकियों को अपनी राजनीतिक विचारधारा पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। कारण संभवतः यह है कि इस दौरान आर्थिक गैर बराबरी तेजी से बढ़ी है। दूसरी तरफ राहत पहुंचाने के लिए हुए सरकारी हस्तक्षेप ने सरकार की भूमिका को लेकर अच्छी राय बनाई है।

Political Ideology Corona : अमेरिका वह देश है, जहां समाजवाद शब्द एक लांछन रहा है। एक समय जब मैकार्थिज्म का दौर था, समाजवादी या कम्युनिस्ट होना वहां खतरे से खाली नहीं था। ऐसे लोगों को यूनिवर्सिटी या मीडिया से बाहर किया जाता था और सीएआई उनकी निगरानी करती थी। ये तब की बात है, जब अमेरिका और सोवियत खेमे के बीच शीत युद्ध चल रहा था। शीत युद्ध के बाद भी लंबे समय तक मोटे तौर पर समाजवाद को अमेरिकी जनमत के भीतर के नकारात्मक नजरिए से ही देखा जाता था। अपने को सोशलिस्ट मानने वाले लोग कितने दबाव में रहते थे उसकी एक मिसाल बर्नी सैंडर्स हैं। 2015 के पहले उन्हें विदेशों में शायद ही कोई जानता था। लेकिन 2015 में जब वे राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की होड़ में उतरे, तो उन्हें मिली लोकप्रियता को देख कर लोग हैरत में रह गए। जाहिर है, समाज में कुछ बदल चुका था। जानकार मानते हैं कि इसकी शुरुआत 2007-08 की मंदी से हुई, जब देश में बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार और बेघर हुए। नतीजा यह हुआ कि एक विचार समाजवाद की लोकप्रियता बढ़ने लगी। इतनी कि 2016 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने सोशलिज्म को साल का सबसे प्रचलित शब्द यानी वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया।

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american अब एक ताजा सर्वेक्षण से फिर पुष्टि हुई है कि अमेरिका में समाजवाद की लोकप्रियता हाल में और तेजी से बढ़ी है। महिलाओं और ब्लैक समुदाय के नौजवानों के बीच तो ये लोकप्रियता और भी ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी ने करोड़ों अमेरिकियों को अपनी राजनीतिक विचारधारा पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। इन अमेरिकी नागरिकों में बड़ी संख्या में ऐसे नौजवान भी हैं, जो रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक रहे हैँ। जानकारों ने कहा है कि ऐसा संभवतः दो कारणों से हुआ हैः एक यह कि अमेरिकी समाज में आर्थिक गैर बराबरी तेजी से बढ़ी है।

Political Ideology Corona

दूसरा यह कि महामारी के दौरान सरकार ने लोगों की मदद करने में जिस तरह अपनी भूमिका बढ़ाई, उससे मिले लाभों ने लोगों में सरकारी हस्तक्षेप को लेकर सकारात्मक राय बनाई है। अब स्थिति यह है कि कुल अमेरिकियों के बीच 2019 में 58 प्रतिशत पूंजीवाद को लेकर सकारात्मक राय रखते थे। अब ये संख्या 49 फीसदी रह गई है। उधर 39 प्रतिशत अमेरिकी तब समाजवाद के प्रति अच्छी राय रखते थे। अब ये संख्या 41 प्रतिशत हो गई है।
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