बेबाक विचार

कोरोनाः आम आदमी को राहत

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कोरोनाः आम आदमी को राहत
अब 20 अप्रैल से तालाबंदी में इतनी छूट शुरु होनेवाली है कि आम आदमी को राहत जरुर मिलेगी। करोड़ों मजदूरों और किसानों को आजादी मिलेगी कि वे अपने कारखानों और खेतों में जाकर अपना काम सम्हाल सकें। ये लोग आ-जा सकें, इसके लिए इन्हें यात्रा की सुविधा मिलेगी, हालांकि इन्हें कोरोना-विरोधी सावधानियां सख्ती से बरतनी होंगी। यदि खेतों में फसलों की कटाई हुई और कारखानों में रोजमर्रा की चीजें फिर बनने लगीं तो सरकार को यातायात की छूट भी देनी ही पड़ेगी। सड़कों पर खड़े लाखों ट्रकों में जान पड़ जाएगी। ट्रक तो तभी चलेंगे जबकि पेट्रोल पंप खुलेंगे। इसी तरह खेतों से मंडियों में आनेवाला अनाज और बाज़ारों में पहुंचनेवाली सब्जियों और फलों को बेचने के लिए क्या दुकानें नहीं खोलनी पड़ेंगी ? दूसरे शब्दों में अब करोड़ों लोग जो अपने-अपने घरों में घिरे बैठे थे, अब मैदान में आकर अपना काम सम्हालेंगे। जो प्रवासी मजदूर अधर में लटके हुए हैं, उन्हें अपने घरों या कारखानों पर लौटने का रास्ता उप्र और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने खोल दिया है। कई अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी इस पहल का अनुकरण करेंगे। केंद्र सरकार ने इस पहल का विरोध नहीं किया है, यह अच्छी बात है लेकिन कई मुख्यमंत्रियों ने तालाबंदी में ढील देने का कोई इरादा व्यक्त नहीं किया है। इस वक्त दिल्ली, इंदौर और मुंबई जैसे शहरो में कोरोनों का प्रकोप जोरों पर है। दूसरे शब्दों में देश के विभिन्न प्रदेश तालाबंदी पर अपनी-अपनी रणनीति चलाएंगे। इन रणनीतियों का सफल होना इस पर निर्भर है कि आम लोग खुद पर कितना काबू रखते हैं। मैंने दो सप्ताह पहले कुछ मुख्यमंत्रियों से ‘प्लाज़्मा-तकनीक’ और कुछ केंद्रीय मंत्रियों से ‘घरेलू नुस्खों’ का सहारा लेने की बात कही थी और हवन-सामग्री के धुएं के वैज्ञानिक प्रयोग का सुझाव दिया था। इस पर काम भी शुरु हो गया है। अब लगभग चार लाख लोगों की जांच हो चुकी है। लाखों मुखपट्टियां अब बाजार में आ गई हैं। कुछ भारतीय आयुर्वेदाचार्यों, डाॅक्टरों और वैज्ञानिकों ने कोरोना का तोड़ खोज निकालने का भी दावा किया है। भारत के कई जिले कोरोना-शून्य भी पाए गए हैं। ये सब शुभ-संकेत हैं लेकिन बहुत खेद की बात है कि कुछ टीवी चैनल कोरोना-युद्ध में सांप्रदायिकता को भी घसीट ला रहे हैं। जो लोग डाॅक्टरों और नर्सों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, वे अपना और अपने समुदाय का ही नुकसान कर रहे हैं। उन्हें चाहिए कि वे आगे होकर अस्पतालों में जांच करवाएं ताकि उनके परिजन, मित्रों और रिश्तेदारों की भी कोरोना से रक्षा हो सके।
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