बेबाक विचार

खतरनाक मोड़ लेती हालत

ByNI Editorial,
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खतरनाक मोड़ लेती हालत
दिल्ली की हिंसा ने खतरनाक मोड़ ले लिया। इसे किसने शुरू किया यह एक सवाल है। मगर उससे बड़ा सवाल पुलिस पर है। जिस तरह के वीडियो सामने आए, उससे यह शक पैदा हुआ कि कई जगहों पर हिंसा पुलिस के संरक्षण में हुई। फिलहाल कुल मिलाकर राजधानी दिल्ली में स्थिति बहुत संवेदनशील बनी हुई है। शहर के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों के दोनों गुटों के बीच में दो दिन से टकराव हुआ है। 20 फरवरी की सुबह जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अहमदाबाद का दौरा कर रहे थे, उसी वक्त उत्तर- पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुरी, भजनपुरा, मौजपुर और जाफराबाद इलाकों में हिंसक झड़पें हुईं। उनमें दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल की गोली लगने से मौत हो गई। एक डिप्टी पुलिस आयुक्त घायल हो गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूमिका भी संदिग्ध रही है। उनसे जैसी पहल की अपेक्षा थी, उन्होंने नहीं की। उन्होंने ने महज ट्वीट करके दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अपील की कि दिल्ली में कानून और व्यवस्था बहाल करें। मंगलवार को वे अमित शाह से मिले। मगर उनकी पार्टी ने जमीन पर जाकर को कोई पहल नहीं की। इससे इस चर्चा को बल मिला कि आम आदमी पार्टी हिंदुत्व का प्लैटफॉर्म हड़पने की होड़ में है। मामला रविवार 23 फरवरी से ही बिगड़ना शुरू हो गया था। उसके पहले 22 फरवरी को जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के नीचे कुछ महिलाओं ने शाहीन बाग की तर्ज पर नागरिकता कानून के विरोध का नया मोर्चा खोलने की कोशिश की। पुलिस ने महिलाओं से ऐसा ना करने को कहा, लेकिन वे नहीं मानीं। धीरे-धीरे और भी लोग वहां जमा होने लगे। रात होने तक वहां अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए। अगली सुबह वहां और भी लोग आ गए, जिसके बाद बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भड़काऊ ट्वीट करने शुरू किए और नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जाफराबाद में जमा होने का आह्वान किया। मीडिया में आई खबरों के अनुसार मिश्रा जब वाकई उस इलाके में अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए। उसके बाद घटनाक्रम ने हिंसक मोड़ ले लिय।, दो गुटों के बीच में पत्थरबाजी हुई। आगजनी भी हुई। अब मुद्दा इसकी जवाबदेही तय करने का है। यह साफ है कि सरकार नागरिकता कानून को लागू करने के फैसले पर अडिग होने के बावजूद, कानून का विरोध थम नहीं रहा है। और अब स्थिति खतरनाक मोड़ ले रही है।
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