डोनाल्ड ट्रंप वे पहले पूर्व राष्ट्रपति बने है, जिन पर आपराधिक केस दायर हुआ। उन्हे अमेरिका के ऐसे पहले राष्ट्रपति होने का तमगा भी हासिल है जिस पर दो बार महाअभियोग चल चुका है। इसके अलावा, वे अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जिसने जनता को अमेरिका की सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसाया। और वे ऐसे पहले राष्ट्रपति बनेंगे जो एक गंभीर अपराध करने के बाद भी बच निकलेगा और शायद देश का 47वां राष्ट्रपति बने। मगर जिस मामले, जिस मुकदमें को लेकर अमेरिका अभी ऊबला हुआ है वह उतना ही बेहूदा और भद्दा है जितना कि राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल था।
जैसा कि मैंने पिछले हफ्ते लिखा था, ट्रंप इस सबका मजा ले रहे हैं। उनकी खुशी का एक कारण यह है कि उन पर आरोप लगने के बाद हुए जन सर्वेक्षणमें पाया गया है कि वे अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वियों, जिनमें उनके संभावित सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी फ्लोरिडा के गवर्नर रोन डेसांटिस शामिल हैं, से और आगे निकल गए हैं। वे सुर्खियों में है। हुडदंगी समर्थकों में उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। रिपब्लिकन नेता ट्रंप के बचाव में आगे आ रहे हैं। वे ट्विटर पर डिस्ट्रिक्ट एटार्नी एल्विन ब्रेग की लानत-मलामत कर रहे हैं और ट्रंप के खिलाफ कार्यवाही को राजनीति से प्रेरित ठहरा रहे हैं।
अमेरिका में जो कुछ हो रहा है उसे देखकर भारत की याद आना स्वाभाविक है, जहाँ राजनैति दुश्मनी, बदलेकी आपराधिक कार्यवाही बहुत आम है और जहां सत्ता के सारे सूत्र अपने हाथों में होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से शिकायत करते है कि “कुछ लोगों ने देश के अंदर और बाहर मेरी छवि खराब करने के लिए सुपारी दी है।”
कुछ इसी तर्ज पर ट्रंप ने एक वीडियो मैसेज में कहा, ‘‘अब हम आधिकारिक रूप से तीसरी दुनिया का देश बन गए हैं। हमारे देश के इतिहास में अब तक किसी राष्ट्रपति पर इतना तीखा और घिनौना हमला नहीं हुआ है। वे मुझे खरीद नहीं सकते, वे मुझे नियंत्रित नहीं कर सकते और यह बात उन्हें बुरी तरह डरा रही है।”
इसी प्रचार को आगे ले जाते हुए सीएनएन से अपने इंटरव्यू में पूर्व उपराष्ट्रपति माईक पेंस ने कहा कि ट्रंप पर आरोप लगाने से देश बंट जाएगा। क्रिशियन साईंस मानीटर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार “सवाना, जार्जिया के बंदरगाहों के कर्मियों से लेकर टेक्सास के विद्वानों और रणनीतिकारों तक, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप लगाए जाने की खबर एक बुरी तरह बंटे हुए देश में पसर रही है।”
अमेरिकामें मूड बदल रहा है। कई अमेरिकियों के लिए यह आशा जगाने वाली खबर है तो कई के लिए ईशनिंदा जैसा घोर गंभीर अपराध। लगता है अमरीकी समाज विवेकपूर्ण ढंग से विचार नहीं कर रहा है। आरोप लगाए जाने के 24 घंटे के भीतर ट्रंप के चुनाव प्रचार फंड में 40 लाख डालर आ गए और 16 हजार व्यक्तियों ने चुनाव में उनका वालंटियर बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया।
आरोप ठीक-ठीक क्या हैं यह अभी पता नहीं है। डिस्ट्रिक्ट एटार्नी एल्विन ब्रेग ने अभियोग संबंधी दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में पेश किया है।ट्रंप की लीगल टीम के कुछ सदस्य मानते हैं कि ट्रंप पर व्यापारिक लेखों में झूठी जानकारी दर्ज कर गंभीर अपराध करने का आरोप लगाया जाएगा।
ट्रंप के एक वकील जो टेकोपिना ने एनबीसी टुडे शो में बताया कि उनका मुवक्किल, प्ली बार्गेन (कम गंभीर अपराध कारित करने की स्वीकारोक्ति) पर विचार नहीं करेगा।‘‘कोई अपराध हुआ ही नहीं है,” टेकोपिना ने कहा।
जनता की निगाहों में ट्रंप अन्याय का शिकार बेचारा बन चुके हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह मामला बहुत कमजोर है। अगर किसी मामले में उन पर मुकदमा चलता चाहिए था तो वह है 6 जनवरी की संसद भवन हिंसा थी। परंतु वह मामला ठंडे बस्ते में है।
डोनाल्ड ट्रंप का राजनैतिक ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है। उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को नए पंख लग गए हैं और दुनिया इस दृश्य को देखकर मगन होकर देख रही है। कल जब ट्रंप अदालत में पेश होंगे तो न तो उन्हें हथकड़ी लगाई जाएगी और ना इस तरह ले जाया जाएगा कि मीडिया उसे कवर कर सके। अभी इस बात पर विचार चल रहा है कि उन पर अभियोग लगाए जाते समय की फोटो जारी की जाए या नहीं। ट्रंप तो चाहते हैं कि यह फोटो सार्वजनिक हो क्योंकि उससे उनकी छवि चमकेगी और उनके चुनाव फंड में और धन आएगा। अगर वे दोषी पाए जाते हैं तब भी वे राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं और अगर वे निर्दोष पाए गए तो वे यह सुनिश्चित करेंगे कि देश में भारी हिंसा और गड़बडियां हों। उनके पास पहले से ही ऐसे आरोपों की लंबी फेहरिस्त है जिनसे वे मुक्त हो चुके हैं। इसमें एक और मामला जुड़ जायेगा।
वे देश के 47वें राष्ट्रपति बन सकेंगे या नहीं यह अभी कहना मुश्किल है परंतु यह पक्का है कि इससे रिपब्लिकन प्रायमरी में उनकी जीत की राह बन जाएगी। अन्य उम्मीदवारों के लिए एक ऐसे व्यक्ति से मुकाबला करना कठिन होगा जिसके बारे में वे खुद ही कह रहे हैं कि वह राजनैतिक बदले का शिकार है।
कल के घटनाक्रम पर दुनिया की निगाहें होगी। अदालत में क्या होगा उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि अदालत के बाहर क्या होगा। जो लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप को उनके किए की सजा मिलेगी उन्हें निराशा ही हाथ लगने वाली है। निश्चित रूप से ट्रंप को अभियोजित किया जाना चाहिए। परंतु इस तरह के हास्यास्पद मामले में नहीं जिसमें कानून बहुत साफ है। यह स्पष्ट है कि अमेरिका की कानूनी मशीनरी और वहां की राजनीति ट्रंप कथा का अंत चाहती है परंतु जल्दबाजी में वे ऐसी गलतियाँ कर रहे हैं जिनसे ट्रंप की स्थिति और मजबूत हो रही है। कहीं ऐसा न हो कि सांप भी न मरे और लाठी भी टूट जाए। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)