
अमेरिका में एक ऐसी आतंकी घटना हुई है, जिसके कारण पाकिस्तान फिर से सारी दुनिया में बदनाम हो रहा है। सारी दुनिया के अखबारों और टीवी चैनलों पर इस खबर को प्रमुख स्थान मिला है। खबर यह है कि मलिक फैज़ल अकरम नामक एक आदमी ने टेक्सास के एक यहूदी मंदिर (साइनोगाॅग) में घुसकर चार लोगों को बंदूक के दम पर बंधक बनाए रखा। यह आतंकी दृश्य इंटरनेट के जरिए सारा अमेरिका देख रहा था। अमेरिकी पुलिस ने आखिरकार इस आतंकी को मार गिराया। Pakistan defamation again
यह आतंकी यों तो ब्रिटिश नागरिक था लेकिन वह पाकिस्तानी मूल का था। उसने साइनेगाॅग पर इसलिए हमला बोला कि वह अमेरिकी जेल में बंद आफिया सिद्दिकी नामक महिला की रिहाई की मांग कर रहा था। आफिया मूलतः पाकिस्तानी है और वह अमेरिकी जेल में 86 साल की सजा काट रही है। उसे ‘लेडी अलकायदा’ भी कहा जाता है। आफिया को इसलिए 2010 में गिरफ्तार करके उस पर न्यूयार्क में मुदकमा चलाया गया था कि उसे अफगानिस्तान में कुछ अमेरिकी फौजी अफसरों की हत्या के लिए जिम्मेदार माना गया था।
Read also अखिलेश क्या करें?
आफिया सिद्दीकी पाकिस्तानी तो थी ही, वह पाकिस्तानी नेताओं की नज़र में महानायिका भी थी। उसकी रिहाई के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने खुली अपीलें भी की थीं। उसे ‘राष्ट्रपुत्री’ का खिताब भी दिया गया था। उसके पक्ष में दर्जनों प्रदर्शन भी हुए थे। आतंकी मलिक अकरम ने टेक्सास के साइनेगाॅग में बंदूक और विस्फोटकों के धमाकों के बीच दावा किया था कि वह आफिया का भाई है। लेकिन यह गलत था। अभी तक कोई ऐसा प्रमाण सामने नहीं आया है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि इस आतंकी घटना में पाकिस्तान की सरकार या फौज का कोई हाथ है लेकिन अब पाकिस्तान में मलिक फैजल अकरम को कुछ लोग ‘शहीद’ की उपाधि देकर महानायक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने इस आतंकी घटना की घोर भर्त्सना की है और अमेरिकी जनता में, खासकर यहूदियों में इसकी सख्त प्रतिक्रिया हुई है। इस्राइली प्रधानमंत्री और अन्य यहूदी नेताओं ने पाकिस्तान को काफी आड़े हाथों लिया है। पाकिस्तान को पहले से ही अमेरिका ने लगभग अछूत बना रखा है, अब इस घटना ने उसकी मुसीबतें और भी ज्यादा बढ़ा दी हैं। पाकिस्तान के नेताओं, फौजियों और आम जनता के लिए इस दुखद घटना का सबक क्या है? क्या यह नहीं कि आतंकी तौर-तरीकों से किसी समस्या का हल नहीं हो सकता? उसके कारण खून-खराबा तो होता ही है, पाकिस्तान की बदनामी भी होती है। इस घटना के कारण पाकिस्तान के खिलाफ पहले से चल रहे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक दबाव अब और भी ज्यादा बढ़ जाएंगे।