nayaindia वंशवाद कमजोरी नहीं ताकत है - Naya India
सर्वजन पेंशन योजना
बेबाक विचार | नब्ज पर हाथ| नया इंडिया|

वंशवाद कमजोरी नहीं ताकत है

कांग्रेस पार्टी किसी भी और बात के मुकाबले इस बात को लेकर ज्यादा बैकफुट पर है कि उसके नेतृत्व पर वंशवादी होने का आरोप है। यह भाजपा, खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बनाए एजेंडे की सौ फीसदी सफलता का संकेत है, जो कांग्रेस नेता ऐसा सोच रहे हैं। असलियत यह है कि आम लोगों के लिए राजनीति में या किसी भी कामकाज में वंशवाद कोई मुद्दा नहीं है। उलटे भारत में दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले वंशवादी राजनीति को ज्यादा पसंद किया जाता है।

पहले कई बार इस पहलू से राजनीति की व्याख्या हो चुकी है और कई राजनीतिक जानकार दक्षिण एशिया की राजनीति के उदाहरण से इसे समझा चुके हैं। हाल ही में सबने देखा कि श्रीलंका के चुनाव में कैसे सरकार एक ही परिवार के हाथ में आ गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री आदि सब कुछ राजपक्षे बंधु हैं। बांग्लादेश में भी कई बरसों से देश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी प्रधानमंत्री हैं।

परंतु कांग्रेस पता नहीं क्यों इस बात को नहीं समझ रही है! कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि वंशवाद की राजनीति उसकी कोई कमजोरी नहीं है और न कोई अपराध है, बल्कि यह एक ताकत है और इसी ताकत से भाजपा को घबराहट है। कांग्रेस के एजेंडे की कोई चिंता भाजपा को नहीं है क्योंकि भाजपा नेताओं के पास अपना ऐसा एजेंडा है, जिसकी काट उनको लगता है कि कांग्रेस के पास नहीं है। भाजपा यह मानती है कि कांग्रेस किसी भी स्थिति में उसके हिंदुत्व के एजेंडे का जवाब देने के लिए मैचिंग एजेंडा नहीं उठा सकती है। यानी कांग्रेस अव्वल तो हिंदुत्व की राजनीति करेगी नहीं और अगर करेगी भी तो यह उसको बहुत फायदा पहुंचाने वाला साबित नहीं होगा क्योंकि इस एजेंडे पर भाजपा, संघ और उसके अनुषंगी संगठनों का एकाधिकार है।

तभी कांग्रेस के एजेंडे की बजाय भाजपा को गांधी-नेहरू परिवार की ज्यादा चिंता है। और इसलिए भाजपा के सारे नेताओं के निशाने पर सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी होते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो आज भी भाजपा के नेता सोनिया गांधी के इतालवी मूल का मुद्दा नहीं उठा रहे होते या राहुल गांधी के पिता, उनकी दादी और उनके परनाना को निशाना नहीं बना रहे होते। ध्यान रहे अभी कांग्रेस अध्यक्ष के मसले पर हो रही राजनीति के बीच भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को ज्यादा स्वदेशी गांधी की ओर देखना चाहिए। यह सीधा सोनिया गांधी पर निशाना था। भाजपा के सबसे बड़े नेता भी बार बार कहते रहते हैं कि राहुल गांधी की आंखों पर इटली का चश्मा चढ़ा है। यह भी एक किस्म का भय या कुंठा है, जो इस तरह की बातों से प्रकट होती है।

राहुल गांधी के पुरखों को निशाना बनाना या उनमें कमी निकालना भाजपा के लिए इसलिए जरूरी है ताकि उस विरासत को कमजोर किया जा सके, जिसका प्रतिनिधित्व राहुल कर रहे हैं। तभी निरंतर उनकी आलोचना की जाती है और उनके मौजूदा वंशजों को यह अहसास दिलाया जाता है कि तुम अनुकंपा की वजह से राजनीति में हो, वरना तुम्हारी कोई बिसात नहीं है। यह माइंड गेम है, जिसमें भाजपा का मौजूदा नेतृत्व अभी भारी पड़ रहा है। उन्होंने गांधी-नेहरू परिवार के सक्रिय सदस्यों के दिमाग में यह कुंठा बैठा दी है कि वे वंशवाद की वजह से राजनीति में हैं। सोनिया गांधी भाजपा के इस एजेंडे को समझ रही हैं पर वे राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं को नहीं समझा पा रही हैं कि भाजपा वंशवाद के आरोप लगा ही इसलिए रही है क्योंकि वह इससे घबरा रही है।

असल में कांग्रेस की आजादी की लड़ाई की विरासत के बाद जो सबसे बड़ी पूंजी है वह गांधी-नेहरू परिवार का नेतृत्व है। इस परिवार के चमत्कारिक नेतृत्व के प्रति देश के लोग दशकों तक मोहित रहे हैं। और अब भी कोई कारण नहीं दिख रहा है कि उनका पूरी तरह से मोहभंग हो गया हो। जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस इस बात से बैकफुट पर आने की बजाय आगे आकर इस बात को स्वीकार करे और ऐसी राजनीति करे, जिससे यह मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो। कांग्रेस के नेताओं को जब तब जोश आता है और वे बताते हैं कि भाजपा के अंदर कितने नेता हैं, जो वंशवादी राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं या देश की लगभग तमाम क्षेत्रीय पार्टियां वंशवादी राजनीति की कोख से निकली हैं और फल-फूल रही हैं। लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। कांग्रेस हिम्मत करके वह सारी बातें कहे, जो भाजपा के नेता कहते हैं। जैसे प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में कहा ‘मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं और मैं किसी से नहीं डरती’। उनकी इस बात ने उन्हें उत्तर प्रदेश में नेता बनाया हुआ है।

यहीं बात राहुल और प्रियंका को हमेशा अपनी ओर से कहते रहना चाहिए। इससे पहले कि भाजपा नेता कहें, राहुल और प्रियंका खुद ही बताएं कि नेहरू उनके परनाना थे, जिन्होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया। इंदिरा गांधी उनकी दादी थीं, जिन्होंने इस उप महाद्वीप का भूगोल बदला था। राजीव गांधी उनके पिता थे, जिन्होंने इस देश में आईटी क्रांति की और पंचायती राज की क्रांति भी की। अपने इन महान पूर्वजों को सिर्फ जयंती और पुण्यतिथि पर याद करना छोड़ कर इन्हें हर दिन की राजनीति का हिस्सा बनाना चाहिए। आखिर अपने पिता के नाम पर पार्टी बना कर नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी सफल हैं या नहीं? सपा से लेकर राजद, बीजू जनता दल से लेकर वाईएसआर कांग्रेस, शिव सेना से लेकर डीएमके और अकाली दल से लेकर जेडीएस, जेएमएम आदि तक दर्जनों पार्टियां हैं, जो सफल हैं और आगे भी अपने राज्य की राजनीति में धुरी बनी रहेंगी। इन पार्टियों का अनुभव इस बात की गारंटी है कि वंशवाद कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। उलटे लोग इसके साथ ज्यादा सहज महसूस करते हैं। नए राजनीतिक प्रयोग उन्हें थोड़ी देर के लिए आकर्षित तो करते हैं पर लंबे समय तक लोग उससे नहीं जुड़े रह पाते हैं।

ऐसा नहीं है कि भाजपा के एजेंडे ने सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के नेताओं के मन में ही कुंठा पैदा की है, रामचंद्र गुहा जैसे देश के अनेक लिबरल राजनीतिक विचारक हैं, जो इनटाइटलमेंट को नेतृत्व की कमजोरी बताते रहे हैं। उनका कहना है कि राहुल इसलिए कमजोर हैं क्योंकि वे एक विरासत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अपने इस बौद्धिक विमर्श से वे असल में भाजपा के नैरेटिव को ही मजबूत कर रहे हैं। अगर वंशवाद की राजनीति इतनी ही खराब होती तो सोनिया गांधी कभी भी भारत की राजनीति में सफल नहीं हो सकती थीं। पर उनकी कमान में कांग्रेस दो बार लोकसभा का चुनाव जीती और उनके अध्यक्ष रहते एक समय ऐसा था, जब 14 राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। सो, वंशवाद कोई मुद्दा नहीं है, राजनीति में अलग-अलग समय में सफल बनाने वाले मुद्दे अलग-अलग होते हैं और कांग्रेस को उनकी तलाश करनी होगी।

By अजीत द्विवेदी

पत्रकारिता का 25 साल का सफर सिर्फ पढ़ने और लिखने में गुजरा। खबर के हर माध्यम का अनुभव। ‘जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से शुरू करके श्री हरिशंकर व्यास के संसर्ग में उनके हर प्रयोग का साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और अब ‘नया इंडिया’ के साथ। बीच में थोड़े समय ‘दैनिक भास्कर’ में सहायक संपादक और हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ शुरू करने वाली टीम में सहभागी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 + 1 =

सर्वजन पेंशन योजना
सर्वजन पेंशन योजना
ट्रेंडिंग खबरें arrow
x
न्यूज़ फ़्लैश
भारत के तेवर देख ब्रिटेन ने बढ़ाई सुरक्षा
भारत के तेवर देख ब्रिटेन ने बढ़ाई सुरक्षा