nayaindia Economic Survey 2023 आइडिया चाहिए, एकाउंटिंग नहीं
बेबाक विचार

आइडिया चाहिए, एकाउंटिंग नहीं

ByNI Editorial,
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नई परिस्थितियों में भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसी दिशा की जरूरत है, इस सवाल पर चर्चा की जरूरत महसूस की जा रही है। लेकिन इसमें कोई योगदान करने के बजाय आर्थिक सर्वे महज दूरगामी सब्जबाग दिखाने का दस्तावेज बन कर रह गया।

आर्थिक सर्वे से अपेक्षा रहती है कि वह चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का जो हाल रहा, में उसकी ठोस तस्वीर पेश की जाएगी। चूंकि यह दस्तावेज सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं, तो यह अपेक्षा रहती है कि वे अपनी विशेषज्ञता का लाभ देते हुए अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद समस्याओं के समाधान के लिए कुछ विकल्प पेश करेंगे। लेकिन वर्तमान सरकार के तहत- खासकर इसके दूसरे कार्यकाल में यह सरकारी नारों और सरकार के राजनीतिक तकाजों के मुताबिक कहानी बताने का दस्तावेज भर बनता चला गया है। इसलिए 2022-23 के सर्वे से कोई ऐसा आइडिया सामने नहीं आया है, जिस पर बहस की जाए। मसलन, जब अरविंद सुब्रह्मण्यम नरेंद्र मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे, तब उन्होंने सर्वे में बढ़ती गैर-बराबरी जैसी समस्याओं पर गौर किया था। उससे न्यूनतम बुनियादी आय (यूबीआई) जैसे विचार बहस के लिए मिले थे।

उसके बाद ऐसे विचारों का अभाव होता गया है। इस समय विश्व अर्थव्यवस्था एक बुनियादी बदलाव के दौर में है। ग्लोबलाइजेशन का दौर पलट गया है और अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों में आर्थिक नीतियां तय करने में फिर से सरकारों ने अपनी भूमिका बढ़ा ली है। यानी 1990 के दशक में मुक्त बाजार का जो विचार प्रचलित हुआ था, वह अब अतीत की बात हो गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर से अलग रहते हुए भुगतान करने का नया चलन सामने आया है, जिससे एक बिल्कुल नई वित्तीय व्यवस्था के अस्तित्व में आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में भारत के सामने क्या विकल्प हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसी दिशा की जरूरत है, इस अहम सवाल पर चर्चा की जरूरत महसूस की जा रही है। लेकिन इस दिशा में कोई योगदान करने के बजाय आर्थिक सर्वे महज एकाउंटिंग और दूरगामी सब्जबाग दिखाने का दस्तावेज बन कर रह गया। जबकि निकट भविष्य चुनौतियों से भरा है। खुद सर्वे में स्वीकार किया गया है कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आएगी, महंगाई का दबाव बना रहेगा, चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है और निर्यात के मोर्चे पर चुनौतियां गंभीर होंगी। लेकिन हल क्या है, इस बिंदु पर बात गोलमोल कर दी गई है।

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