चुनाव और यात्रा से बदलता विमर्श

चुनाव और यात्रा से बदलता विमर्श

देश का राजनीतिक विमर्श बदल रहा है। जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही भारत जोड़ो यात्रा पूर्णता की ओर बढ़ रही है वैसे वैसे देश की राजनीति का नैरेटिव ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहा है। अब डबल इंजन की सरकार में विकास की बात कम होने लगी है और मंदिर की बात ज्यादा होने लगी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक की यात्रा पर गए तो वहां उन्होंने डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां कम बताईं या नहीं बताईं लेकिन यह जरूर कहा कि देश में ऐसा प्रधानमंत्री है, जो मंदिर बनवाता है न कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाता है। सबको पता है कि कर्नाटक में टीपू सुल्तान का नाम सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बड़ा मुद्दा है। हिजाब पर पाबंदी और हलाल मीट पर पाबंदी के प्रयासों के बीच मंदिर और टीपू सुल्तान का जिक्र नैरेटिव बदलने का संकेत है।

कर्नाटक के बाद अमित शाह पूर्वोत्तर के दौरे पर गए तो उन्होंने त्रिपुरा में कहा कि राहुल बाबा कान खोल कर सुन लें, एक जनवरी 2024 को गगनचुंबी राममंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा और इसका उद्घाटन होगा। कर्नाटक से शुरू हुआ मंदिर नैरेटिव वे त्रिपुरा तक चलाते रहे, जहां अगले महीने चुनाव होना है। अमित शाह ने कहा- सिर्फ राम मंदिर नहीं, एकाध साल जाने दीजिए मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर भी ऐसा भव्य बनेगा कि पूरी दुनिया यहां देखने आएगी। उन्होंने कहा- काशी विश्वनाथ का कॉरिडोर बनाया, महाकाल का कॉरिडोर बनाया। सोमनाथ और अंबा जी का मंदिर सोने का हो रहा है। मां विंध्यवासिनी का मंदिर नया बन रहा है।

त्रिपुरा के बाद अमित शाह झारखंड और छत्तीसगढ़ के दौरे पर गए, जहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नैरेटिव जारी रहा। झारखंड के चाईबासा में अमित शाह ने ‘घुसपैठियों’ के बारे में विस्तार से बताया। झारखंड में भाजपा के बनाए नैरेटिव के मुताबिक सीमावर्ती राज्य बिहार और बंगाल से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुसलमान झारखंड में बस रहे हैं। इसी का हवाला देते हुए अमित शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन घुसपैठियों को रोकें, जो झारखंड की जमीन अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं और झारखंड की बहनों को बरगला कर उनसे शादी कर रहे हैं। संथालपरगना इलाके में इस तरह की कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन ऐसा नहीं लग रहा था कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इसे इतना महत्व देगा और राजनीति का एजेंडा सेट करने में इसका इस्तेमाल करेगा। कर्नाटक, त्रिपुरा और झारखंड तीनों जगह कही गई बातें अपवाद नहीं हैं। राजस्थान, महाराष्ट्र और बिहार से लेकर उत्तराखंड जैसे राज्य में भी भाजपा ध्रुवीकरण के मुद्दे राजनीतिक विमर्श के तौर पर स्थापित कर रही है।

इसका मुख्य कारण इस साल 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल का लोकसभा चुनाव है। भाजपा को पता है कि वह विकास के चाहे जितने दावे करे और कूटनीतिक आयोजनों से भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वगुरू होने का चाहे जैसा डंका बजाए, 10 साल की एंटी इन्कंबैंसी बहुत बड़ी होती है। कथित विकास की बातों से 10 साल की एंटी इन्कंबैंसी को बेअसर नहीं किया जा सकता है। उलटे अगर उपलब्धि बताने का प्रयास हुआ तो विपक्ष को नाकामियां गिनाने का मौका मिलेगा। केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव के बचे हुए समय में अर्थव्यवस्था को ठीक करने का प्रयास कर रही है ताकि गुलाबी तस्वीर दिखाई जा सके लेकिन उसका नुकसान दूसरी तरफ हो सकता है। वित्तीय अनुशासन के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना बंद की है। जनवरी के महीने से देश के नागरिकों को 10 किलो की बजाय सिर्फ पांच किलो अनाज मिलेगा। यह पांच किलो अनाज पूरी तरह से मुफ्त मिलेगा लेकिन बाकी पांच किलो जो 10 से 15 रुपए में मिल रहा था उसके लिए उन्हें बाजार की दर पर सौ से डेढ़ सौ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। यह गरीबों को चुभने वाली बात होगी।

ऊपर से राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा धीरे धीरे लोगों के मन मस्तिष्क में जगह बना रही है। यात्रा के बीच में भाजपा के आईटी सेल ने उससे बनने वाले नैरेटिव को बदलने का जितना भी प्रयास किया वह सफल नहीं हुआ। उलटे भाजपा नेताओं को राहुल गांधी की ओर से उठाई गई बातों का जवाब देना पड़ रहा है। कांग्रेस इस बात का श्रेय ले सकती है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए वह पिछले आठ साल में पहली बार राजनीति का एजेंडा सेट कर रही है और भाजपा उस पर प्रतिक्रिया दे रही है। कांग्रेस इस बात पर भी संतोष कर सकती है कि लगातार दूसरा लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की अनदेखी कर रही क्षेत्रीय पार्टियां अब उसे गंभीरता से लेने लगी हैं। कांग्रेस पार्टी जमीन पर दिखने लगी है। उसके नेताओं में जान लौटी है। भारत जोड़ो यात्रा का मैसेज दूर-दराज के गांवों तक पहुंचा है।

भाजपा के नेता भले कहें कि भारत टूटा कहां है, जो राहुल गांधी उसे जोड़ने निकले हैं लेकिन विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय ने यात्रा को देशहित में बताया है और कहा है कि वे भगवान राम से प्रार्थना करेंगे कि वे राहुल को आशीर्वाद दें और यात्रा अपना लक्ष्य हासिल करे। जिस भव्य राममंदिर के उद्घाटन की तारीख का ऐलान अमित शाह ने किया उसी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास ने चिट्ठी लिख कर राहुल गांधी की यात्रा का समर्थन किया और उनको शुभकामना दी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों ने राहुल को उनकी यात्रा के लिए शुभकामना दी। राष्ट्रीय लोकदल ने अपनी गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी की परवाह किए बगैर यात्रा का समर्थन किया और उसके कार्यकर्ता यात्रा में शामिल हुए। भारतीय किसान यूनियन ने राहुल की यात्रा को समर्थन दिया और यात्रा जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गुजरी तो बड़ी संख्या में किसान इसमें शामिल हुए।

सो, ऐसा लग रहा है कि 10 साल की केंद्र सरकार की एंटी इन्कंबैंसी, भाजपा शासित राज्यों में सत्ता विरोधी माहौल और राहुल गांधी की यात्रा से बन रहे नैरेटिव को चुनौती देने के लिए ध्रुवीकरण का विमर्श खड़ा किया जा रहा है। वह चाहे मंदिर के नाम पर हो, घुसपैठियों के नाम पर हो, या हिजाब और हलाल मीट पर पाबंदी के नाम पर हो या जम्मू कश्मीर में मई तक चुनाव करा कर हिंदू मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर हो, देश की राजनीति अगले एक सवा साल ध्रुवीकरण के मुद्दों के ईर्द-गिर्द घूमती हुई रहेगी। अगर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां उन मुद्दों में उलझने की बजाय अपने एजेंडे पर कायम रहती हैं तभी मुकाबले में उनके लिए कोई गुंजाइश बनेगी।

Published by अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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