बेबाक विचार

मीडिया में तालिबान, तालिबान

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मीडिया में तालिबान, तालिबान
हिंदुस्तान में इलेक्ट्रोनिक मीडिया को अब तालिबान मिल गया है। इससे पहले भारत के न्यूज चैनलों ने कोई एक हजार बार बगदादी को मरवाया था। हर दूसरे-तीसरे दिन किसी न किसी चैनल पर विशेष कार्यक्रम देखने को मिलता था कि बगदादी मारा गया। उस समय चैनलों ने इस्लामिक स्टेट का हौव्वा खड़ा किया था। कहने की जरूरत नहीं है कि टीआरपी के अलावा उसका दूसरा क्या मकसद था। अब बगदादी नहीं है, ओसामा बिन लादेन नहीं है और दाऊद इब्राहिम में दम नहीं बचा लेकिन उसी बीच दैवयोग से तालिबान आ गया। सो, अब तालिबान का हौव्वा खड़ा किया गया है। तालिबान की प्रवृत्ति राक्षसी है, इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन चैनलों ने उसका जो स्वरूप खड़ा किया है और 24 घंटे के प्रसारण में जिस तरह से तालिबान को केंद्र में रखा है वह हैरान करने वाला है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ न्यूज चैनलों ने अपने को तालिबान केंद्रित किया है या तालिबान के राक्षसीकरण का जिम्मा संभाला है। सोशल मीडिया में भी प्रायोजित पोस्ट और वीडियो के जरिए तालिबान का और उस बहाने इस्लाम का राक्षसीकरण किया जा रहा है। taliban take control afghanistan इस काम में भारत के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं और बौद्धिकों ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ऐसे बयान दिए हैं, जिनसे मीडिया को मौका मिला है तालिबान और इस्लाम को एक बनाने का। जावेद अख्तर से लेकर सज्जाद नोमानी, शफीकुर्रहमान बर्क, महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला आदि ने ऐसे बयान दिए, जिन पर कई दिन से बहस चल रही है। ये अंतहीन बहसें अगले साल होने वाले चुनावों से पहले शायद ही समाप्त हों। भारत के न्यूज चैनलों का दो पहलुओं पर खास फोकस दिख रहा है। पहला, यह दिखाना है कि तालिबान कितना बर्बर और अत्याचारी है। मीडिया और महिलाओं पर कैसे जुल्म किए जा रहे हैं। दो पत्रकारों की फोटो को ग्राफिक्स डिटेल में दिखाया गया कि कैसे तालिबान ने उनकी खाल उधेड़ दी। विरोधियों पर होने वाली कार्रवाई, चैनल बंद कराए जाने, अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार आदि की खबरें दिखाई जाती है। दूसरा, तालिबान की ‘आतंकी सरकार’ से भारत के सामने आने वाले खतरों को विस्तार से बताया जा रहा है। Read also तालिबान का खतरा और मोदी की जयकार! Taliban taliban take control afghanistan मीडिया चैनल ऐसी ऐसी चीजें दिखा रहे हैं, जिनको देख-सुन कर निश्चित रूप से तालिबान के लड़ाके भी हैरान होंगे कि उन्हें अपने बारे में ये चीजें पता ही नहीं हैं! इसे लेकर सोशल मीडिया में मजाकिया मीम्स बनाए जा रहे हैं। किसी ने लिखा कि तालिबान को भारत के चैनल देख कर पता चलता है कि आगे वे क्या करने वाले हैं। तालिबान के कुछ करने से पहले ही भारतीय मीडिया दिखाने लग रहा है कि आगे उनकी क्या रणनीति होगी। तालिबान की सरकार में मंत्री बने आतंकवादियों के बारे में जितनी डिटेल भारतीय मीडिया के पास है उतनी संभवतः सीआईए के पास भी नहीं है। उनके घर परिवार, बाल-बच्चों से लेकर उनके ऊपर हुए मुकदमों तक की सच्ची-झूठी एक एक डिटेल भारतीय मीडिया दिखा चुका है। भारत का मीडिया तालिबान से इतना ज्यादा ऑब्सेस्ड है कि टोक्यो में ऐतिहासिक प्रदर्शन करके लौटी भारतीय पैरालिंपिक टीम और उसके खिलाड़ी तालिबान के आतंकियों के मुकाबले 25 फीसदी भी अटेंशन नहीं हासिल कर पाए। असल में अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जिनमें सबसे अहम उत्तर प्रदेश है। वहां तालिबान के बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का एजेंडा मुख्य चुनावी मुद्दा बनना है। इसलिए यह भारतीय न्यूज चैनलों का कर्तव्य हो गया है कि वे सारे दिन इसे मुद्दा बनाए रखें और ध्रुवीकरण में मददगार बनें। यह मुद्दा उनके अनुकूल इसलिए भी है क्योंकि तालिबान के बहाने पाकिस्तान और चीन को भी लपेटे में लेकर दिन भर उनकी भी धुलाई की जा सकती है। सो, तालिबान के साथ साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को जम कर निशाना बनाया जा रहा है। तालिबान, पाकिस्तान और चीन के नेक्सस का ऐसा खतरा खड़ा किया जा रहा है, जिसकी मिसाल पहले देखने को नहीं मिली है। यह भी कहने की जरूरत नहीं है कि कौन ‘मसीहा’ देश को इस खतरे से बचा सकता है। अलग अलग तरह से सारे चैनल उसकी ओर इशारा भी कर रहे हैं। taliban take control afghanistan
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