बेबाक विचार

फेसबुक इतना बेखौफ क्यों?

ByNI Editorial,
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फेसबुक इतना बेखौफ क्यों?
फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से अब यह पता चला है कि ये वेबसाइट भारत में नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है। खासकर मुसलमानों के खिलाफ प्रकाशित सामग्री को लेकर कंपनी ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है। अमेरिका सहित विकसित देशों में इस बात एक हद तक आम सहमति बन चुकी है कि सोशल मीडिया की कंपनियों को राजनीतिक एजेंडा सेट करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। लेकिन भारत में यह मामला दलगत रूप लिए हुए है। भारत सरकार ने फेसबुक और ट्विटर पर लगाम कसे हैं, लेकिन उसी सीमा तक जहां सत्ताधारी दल के हित प्रभावित होते हैँ। वरना, इन कंपनियों को उन प्रवृत्तियों से खेलने की पूरी इजाजत मिली हुई है, जिनको लेकर पश्चिमी दुनिया में इन पर लगाम कसा जा रहा है। जबकि इनकी वजह से भारत में कम समस्याएं पैदा नहीं हुई हैँ। मसलन, फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से अब यह पता चला है कि ये वेबसाइट भारत में नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है। खासकर मुसलमानों के खिलाफ प्रकाशित सामग्री को लेकर कंपनी ने भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया है। Read also आर्यन के बहाने नशाबंदी समाचार एजेंसी एपी को हाथ लगे कुछ दस्तावेजों से पता चला कि भारत में आपत्तिजनक सामग्री को रोकने में फेसबुक की दिलचस्पी नहीं रही है। इस तरह की बात कहने वाले ये दस्तावेज पहले नहीं हैं। फेसबुक छोड़ चुके कुछ लोग पहले भी यह बात कह चुके हैं। भारत में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक और भड़काऊ सामग्री एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। फेसबुक या वॉट्सऐप पर साझा की गई सामग्री के कारण हिंसा तक हो चुकी है। अब ताजा जारी हुए दस्तावेज दिखाते हैं कि फेसबुक सालों से इस दिक्कत से वाकिफ है। लेकिन उसने इस समस्या को सुलझाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। बहुत से विशेषज्ञ मानते हैं कि कंपनी ऐसा खासकर उन मामलों में करने में नाकाम रही है, जहां भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के लोग शामिल थे। पूरी दुनिया में फेसबुक एक अहम राजनीतिक हथियार बन चुका है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन विकसित दुनिया में ये कंपनी कठघरे में है। जबकि भारत में यह बेखौफ वही काम कर रही है, जिसकी वजह से विकसित दुनिया में यह घेरे में आई है। याद करें, अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पिछले साल एक रिपोर्ट में संदेह जताया गया था कि भारत में फेसबुक ने नफरती संदेशों पर राजनीतिक और सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव किया। इसलिए ये सवाल उठा है कि क्या उसने ऐसा सत्ता का संरक्षण पाने के लिए किया?
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