बेबाक विचार

निजता संरक्षण की चिंताएं

ByNI Editorial,
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निजता संरक्षण की चिंताएं
भारत दुनिया का सबसे बड़ा फेशियल रेकग्निशन डाटाबेस बनाने की योजना बना रहा है। चेहरा पहचानने वाली तकनीक का इस्तेमाल फिलहाल पुलिस, एयरपोर्ट और कॉफी शॉप में हो रहा है। मगर इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि क्या इससे नागरिकों की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है? ये मुद्दा आज दुनिया भर में प्रमुखता हासिल कर रहा है। लेकिन अपने देश इसको लेकर ज्यादा जागरूकता नहीं है। यह कहीं अधिक चिंता का विषय है। अब निजी कंपनियां और स्टोर भी इस तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। मसलन, चाय के मशहूर 'चायोस' ने अपने ग्राहकों के लिए हाल ही में फेशियल रेकग्निशन तकनीक की शुरुआत की है। उसके जरिए ग्राहक बिना देरी किए कैफे शॉप के लिए ग्राहक फॉर्म आसानी से भर सकते हैं। फेशियल रेकग्निशन तकनीक इस्तेमाल करने वाली चायोस अकेली कैफे शॉप नहीं है। बल्कि भारत बड़े पैमाने पर फेशियल रेकग्निशन तकनीक स्थापित करने जा रहा है, जिससे अपराधियों को पकड़ने, लापता की शिनाख्त, अज्ञात शवों की पहचान मुमकिन हो पाएगी। इस योजना ने निजी अधिकार कार्यकर्ताओं को चिंतित कर दिया है, जो नागरिकों की आजादी को लेकर जोखिमों के बारे में सोचकर शंकाओं से घिरे हैं।  राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ऐसे सिस्टम को विकसित करने के लिए जनवरी से बोली मंगा रहा है, जिसमें चेहरे की पहचान का केंद्रीय डेटाबेस बनेगा। केंद्रीय डाटाबेस में करीब 5 करोड़ तस्वीरें रहेंगी, जो कई डेटा केंद्रो जैसे पुलिस रिकॉर्ड, अखबार, पासपोर्ट और सीसीटीवी नेटवर्क से ली गई होंगी। अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आधार का भी डेटा इसके लिए इस्तेमाल होगा या नहीं। आधार के तहत सरकार ने देश की पूरी आबादी का बायोमीट्रिक डेटा लिया है। आलोचक सरकार पर आधार के जरिए निगरानी का आरोप लगाते आए हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहते हैं कि अब तक स्पष्ट नहीं कि डेटा किस तरह से जमा किया जाएगा और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। या फिर डाटा के भंडारण को कैसे नियमित किया जाएगा। डर इस बात का है कि सिस्टम का इस्तेमाल जन निगरानी के लिए किया जा सकता है। गौरतलब है कि भारत में निजता का कोई कानून नहीं है और ना ही कोई नियम जो इस तरह की पेशकश करता हो। इसलिए चिंताएं और ज्यादा हैं। कानून बनाने की पहल हुई है, लेकिन सरकार जैसा ड्राफ्ट तैयार किया, उससे तसल्ली होने के बजाय और ज्यादा चिंताएं पैदा हुईं।
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