बेबाक विचार

कृषि हितों की अनदेखी

ByNI Editorial,
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कृषि हितों की अनदेखी
क्या केंद्र सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र की जरूरतों की अनदेखी की है? ये सवाल हाल में आई ताजा जानकारियों से उठा है। आरटीआई के तहत हासिल दस्तावेजों के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए एमआईएस-पीएसएस योजना का बजट 14,337 करोड़ रुपये तय करने की सिफारिश की थी। लेकिन पिछले साल के बजट में ये राशि 3,000 करोड़ रुपए ही थी। यानी 11,337 करोड़ रुपए कम। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए योजना के बजट को बढ़ाकर 8301.55 करोड़ रुपये करने की मांग की गई थी। इसके अलावा पीएम-आशा योजना का बजट 1,500 करोड़ रु. तय करने की मांग की गई थी। लेकिन वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने इन मांगों को खारिज कर दिया और वित्त वर्ष 2020-21 के लिए एमआईएस-पीएसएस योजना का बजट मात्र 2000 करोड़ रुपए और पीएम-आशा का बजट सिर्फ 500 करोड़ रुपएये ही रखा। एमआईएस-पीएसएस के लिए मौजूदा वित्त वर्ष का संशोधित बजट कृषि विभाग की मांग के उलट 2010.20 करोड़ रुपए ही रखा है। ये बजट पिछले साल दी गई राशि से भी काफी कम है। वित्त वर्ष 2019-20 में एमआईएस-पीएसएस के तहत 3,000 करोड़ रु. और पीएम-आशा के तहत 1500 करोड़ रु. आवंटित किए गए थे। गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के साथ हुई बैठक में कहा था कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत आवंटित 75,000 करोड़ रुपये में से काफी राशि बच गई है, जिसे अन्य जरूरी योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है। मगर वित्त मंत्रालय ने इस सिफारिश को भी खारिज कर दिया। हासिल दस्तावेजों से पता चलता है कि पूरी राशि खर्च न होने के चलते कृषि मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पीएम-किसान योजना का बजट घटाकर 60,180 करोड़ रु. करने की सिफारिश की थी। लेकिन वित्त मंत्रालय ने कृषि विभाग की सिफारिशों को खारिज करते हुए बजट पिछले साल के बराबर 75,000 करोड़ रु. रखा। पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने कई बार दावा किया कि उनकी सरकार में किसानों को उत्पाद का उचित दाम मिल रहा है। जाहिर है, मोदी सरकार का ये दावा आधिकारिक फाइलों में दर्ज केंद्र की वास्तिक कोशिशों पर खरा नहीं उतरता। तो ये सवाल वाजिब है कि आखिर किसानों के कल्याण, 2022 तक उनकी आमदनी दोगुना करने और कृषि क्षेत्र में खुशहाली लाने के सरकार के दावे आखिर कितना दम है?
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