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फेडरलिज्म पर गहराती आशंकाएं

क्या देश के फेडरल ढांचे पर प्रहार हो रहा है? ये सवाल पिछले काफी समय से चर्चा में है, लेकिन जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक के बाद यह अंदेशा काफी गहरा हो गया है। इस बैठक में केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि वह इस वर्ष जीएसटी के तहत जिस मुआवजे का वादा केंद्र ने किया था, उसका भुगतान नहीं करेगा। जाहिर है, इससे राज्यों को मायूसी हुई है। बैठक के बाद गैर-बीजेपी राज्यों के वित्त मंत्रियों की जो प्रतिक्रिया आई, वह काफी नाराजगी से भरी हुई थी। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जीएसटी मुआवजे के भुगतान से केंद्र का इनकार भारत में फेडरलिज्म के इतिहास का सबसे बड़ा विश्वासघात है। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक का नतीजा अच्छा नहीं रहा। केंद्र जीएसटी की भावना के खिलाफ जाकर अपना एकतरफा फैसला राज्यों पर थोप रहा है।

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा है कि चूंकि बीजेपी बहुमत में है, इसका यह मतलब नहीं है कि वह हम पर कोई फैसला थोप दे। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की 39वीं बैठक में खुद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मुआवजा देने के लिए केंद्र वचनबद्ध है। यह वचनबद्धता 101वें संविधान संशोधन की धारा 18 में उल्लिखित है। अब केंद्र इससे मुकर रहा है। हाल में प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून, और नई शिक्षा नीति के एलान जैसे मामलों में भी केंद्र पर राज्यों से राय-मशविरे के बिना फैसला करने के आरोप लगे हैं। लेकिन वित्तीय मामले कहीं अधिक गंभीर होते हैं। इनके बिना आम कामकाज नहीं चल सकता। इसलिए अगर कर संसाधनों के बंटवारे पर विवाद बढ़ा तो उसके बेहद गंभीर नतीजे हो सकते हैं। राज्यों की शिकायत यह भी है कि केंद्र उनसे अपने एजेंडे को लागू करवाने के लिए उनकी बांह मरोड़ रहा है। मसलन, कोरोना महामारी आने के बाद जब उन्हें अतिरिक्त कर्ज लेने की इजाजत दी गई, तो उसमें सिर्फ 0.5 प्रतिशत रकम शर्त मुक्त थी। बाकी में शर्त यह लगा दी गई कि अगर राज्य केंद्र के कथित आत्मनिर्भर भारत पैकेज के लागू करने की नीति अपनाएंगे, तभी वो भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज ले सकेंगे। एक शिकायत है कि केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं में आधा खर्च राज्यों से करने को कहा जाता है, लेकिन उनका नाम और ढांचा तैयार करने में राज्यों से पूछा तक नहीं जाता। तो कुल मिलाकर शिकायतें गहरा रही हैं।

1 comment

  1. कुछ नहीं होगा केंद्र सिर्फ आलोचना कर सकती हैं

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