कोरोना का टीका देश के लोगों को कैसे सुलभ करवाया जाएगा, इसके लिए केंद्र का स्वास्थ्य मंत्रालय पूरा इंतजाम कर रहा है लेकिन टीके के बारे में तरह-तरह के विचार भी सामने आ रहे हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में बने इस टीके का वैसा ही कठिन परीक्षण नहीं हुआ है, जैसा कि कुछ पश्चिमी देशों के टीकों का हुआ है। इसीलिए करोड़ों लोगों को यह टीका आनन-फानन क्यों लगवाया जा रहा है ? भोपाल में एक ऐसे व्यक्ति की मौत को भी इस तर्क का आधार बनाया जा रहा है, जिसे परीक्षण-टीका दिया गया था। संबंधित अस्पताल ने स्पष्टीकरण दिया है कि उस रोगी की मौत का कारण यह टीका नहीं, कुछ अन्य रोग हैं। कुछ असहमत वैज्ञानिकों का यह मानना भी है कि अभी तक यह ही प्रमाणित नहीं हुआ है कि किसी को कोरोना रोग हुआ है या नहीं ? उसकी जांच पर भी भ्रम बना हुआ है। किस रोगी को कितनी दवा दी जाए आदि सवालों का भी ठोस जवाब उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में 30 करोड़ लोगों को टीका देने की बात खतरे से खाली नहीं है। इसके अलावा पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना का प्रकोप काफी कम हो गया है।
ऐसे में सरकार को इतनी जल्दी क्या पड़ी थी कि उसने इस टीके के लिए युद्ध-जैसा अभियान चलाने की घोषणा कर दी है ? कुछ विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार यह टीका-अभियान इसलिए चला रही है कि देश की गिरती हुई अर्थ-व्यवस्था और किसान-आंदोलन से देशवासियों का ध्यान हटाना चाहती है। विपक्षी नेता ऐसा आरोप न लगाएं तो फिर वे विपक्षी कैसे कहलाएंगे लेकिन टीके की प्रामाणिकता के बारे में हमारे वैज्ञानिकों पर हमें भरोसा जरुर करना चाहिए। रुस और चीन जैसे देशों में हमसे पहले ही टीकाकरण शुरु हो गया है। यह ठीक है कि अमेरिका और ब्रिटेन में टीके को स्वीकृति तभी मिली है जबकि उसके पूरे परीक्षण हो गए हैं लेकिन हम यह न भूलें कि इन देशों में भारत के मुकाबले कोरोना कई गुना ज्यादा फैला है जबकि उनकी स्वास्थ्य-सेवाएं हमसे कहीं बेहतर हैं। हमारे यहां कोरोना उतार पर तो है ही, इसके अलावा हमारे आयुर्वेदिक और हकीमी काढ़े भी बड़े चमत्कारी हैं। इसीलिए डरने की जरुरत नहीं है। यदि टीके के कुछ गलत परिणाम दिखेंगे तो उसे तुरंत रोक दिया जाएगा लेकिन लोगों का डर दूर हो, उसके लिए क्या यह उचित नहीं होगा कि 16 जनवरी को सबसे पहला टीका हमारे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आगे होकर लगवाएं। जब अमेरिका के बाइडन, ब्रिटेन की महारानी और पोप भी तैयार हैं तो हमारे नेता भी पीछे क्यों रहें ?
Dr. Vaidik is a well-known Scholar, Political Analyst, Orator and a Columnist on national and international affairs.