भारत में वन नेशन, वन टैक्स लागू हुए पांच साल होने जा रहे हैं। इस साल जुलाई में जीएसटी लागू हुए पांच साल हो जाएंगे। देश में सिर्फ दो ही उत्पाद ऐसे हैं, जिनको वन नेशन, वन टैक्स के सिस्टम से बाहर रखा गया है। उनमें एक शराब है और दूसरा पेट्रोल-डीजल। ये दोनों सरकारों के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत हैं। लेकिन दोनों में फर्क यह है कि सरकार पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ा कर और उसकी कीमत बढ़ा कर राजस्व कमा रही है, जबकि शराब पर टैक्स घटा कर, ज्यादा आउटलेट खोल कर, उसे लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध करा कर और सस्ता करके कमाई बढ़ा रही है। एक तरह से देश के लोगों को शराबी बना कर कमाई बढ़ाने का अभियान पूरे देश में चल रहा है।
असल में भारत में राज्य सरकारों को लगता है कि देश में बहुत कम लोग शराब पी रहे हैं और जो पी रहे हैं वे भी कम पीते हैं। वैश्विक आंकड़ों के मुताबिक शराब पीने का दुनिया का प्रति व्यक्ति औसत 6.2 लीटर का है, जबकि भारत का औसत पांच लीटर का है। दूसरे, भारत में एक तिहाई से भी कम आबादी शराब पीती है। पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 29 फीसदी से थोड़े ज्यादा लोग शराब पीते हैं। इसमें भी महिलाओं के शराब पीने का चलन और भी कम है। भारत में सिर्फ 1.2 फीसदी महिलाएं शराब पीती हैं। यहीं कारण है कि भारत में हिंदी फिल्मों की दो सबसे सुपरहिट अभिनेत्रियां शराब का सरोगेट विज्ञापन करती हैं। बहरहाल, तीसरा तथ्य यह है कि भारत में अभी साल में पांच अरब लीटर शराब की खपत है, जिसे 2024 तक सवा छह अरब लीटर तक ले जाना है।
इसके लिए शराब खरीदने और पीने की उम्र सीमा कम की जा रही है। ज्यादा से ज्यादा आउटलेट खोल कर लोगों को बिल्कुल घर के नजदीक शराब उपलब्ध कराई जा रही है। बार और रेस्तरां में देर रात तक शराब परोसने की छूट दी जा रही है। राजधानी दिल्ली में इसकी समय सीमा बढ़ा कर तड़के तीन बजे तक कर दी गई तो पड़ोसी राज्य के मिलेनियम शहर गुरुग्राम में 24 घंटे शराब उपलब्ध कराने का नियम बन गया। राजधानी दिल्ली में किसी जमाने में साल में 27 ड्राई डे होते थे यानी साल में 27 दिन शराब नहीं मिलती थी। इसे घटा कर अब दो दिन कर दिया गया है। इतना ही नहीं शराब और बीयर के अधिकतम खुदरा मूल्य यानी एमआरपी पर 50 से सौ फीसदी की छूट भी दी जा रही है। इस तरह भारत में सरकारें शराब का उपभोग बढ़ा कर राजस्व बढ़ा रही है।
भारत में राज्य सरकारों को सालाना 1.75 खरब रुपए की कमाई शराब पर मिलने वाले राजस्व से हो रही है। 2018-19 में राज्य सरकारें हर महीने साढ़े 12 हजार करोड़ रुपए की कमाई करती थीं, जो 2020 में बढ़ कर 15 हजार करोड़ रुपए हो गई। अप्रैल 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार को शराब की बिक्री से साढ़े 17 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। लेकिन 2017 में आई भाजपा की हिंदुत्ववादी और राष्ट्रवादी सरकार के नियमों और प्रयासों से शराब की बिक्री ऐसी बढ़ी की चार साल में सरकार का राजस्व 74 फीसदी बढ़ गया। उत्तर प्रदेश सरकार को 2021 में शराब की बिक्री से 30 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई। सो, शराब कंपनियों के आक्रामक विज्ञापन व कीमत नीति और राज्य सरकारों के अथक प्रयास से भारत में शराब का कारोबार सबसे फलने-फूलने वाला कारोबार बन गया है।
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