गजब है और दुनिया में ऐसा कहीं, कभी नहीं हुआ! क्या दुनिया में कोई ऐसी मिसाल है कि किसानों का हल्ला हो तो अडानी! सरसों तेल के मंहगे होने का हल्ला हो तो चर्चा में अडानी! प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया जाएं तो कोयले की खान की खबरों में अडानी। म्यांमार में सैनिक शासन से रिश्ते की बात हो तो अडानी! श्रीलंका में पोर्ट का मामला हो तो अडानी। बांग्लादेश की चर्चा हो तो वहां भी अडानी! मतलब देश का किसान, आम उपभोक्ता, व्यापारी, देश की विदेश नीति, व्यापार नीति हर तरफ अडानी-अडानी के चर्चे! और अब ड्रग्स, हेरोइन के भारत में व्यापार, देश की युवा पीढ़ी को नशे में बरबाद करने की बातों में भी अडानी का मुंद्रा बदरगाह चर्चाओं में! Gujarati businessmen Gautam Adani
हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह को यदि राष्ट्रधर्म की, देश की सुरक्षा व केरल से लेकर कश्मीर, पंजाब से लेकर नार्थ-ईस्ट तक हिंदू नौजवानों में नशे के फैलाव को ले कर तनिक भी चिंता है तो सोचें कि उनके हिंदू राज का कैसा कलंक जो चौड़े-धाड़े तालिबान से ईरान के रास्ते हेरोइन का भारत में आयात हुआ। दुनिया में कोई देश नहीं है, जहां ऐसा किस्सा सुनने को मिला कि ड्रग्स माफिया वैधानिक तरीके से नशीले पदार्थ मंगा रहे हैं और सरकार को भनक नहीं। अमेरिका में कोलंबिया, मेक्सिको से ड्रग्स की आवाजाही गैर-कानूनी तरीके से है। भारत में भी पंजाब या कश्मीर के रास्ते नशीले पदार्थ आने पर कयास रहा है कि तस्कर सीमा पार से सुंरग बना उसके जरिए कोकीन, हेरोइन, नशीले पदार्थ भेजते या फिंकवाते हैं। लेकिन दुनिया ने पहली बार जाना कि भारत के बंदरगाह पर मजे से टेल्कम पाउडर या ऐसे ही किसी झूठे नाम पर हेरोइन, ड्रग्स विशाल कंटेनरों में टनों की तादाद में आए हैं और फिर पूरे देश में वह वितरित होता है।
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उफ! बंदरगाह किसका? अडानी का! बंदरगाह कहां? गुजरात में! सुरक्षा बल, नारकोटिक्स- खुफिया एजेंसियों, व ऐसे अनाधिकृत सामानों की रेवेन्यू निगरानी का मालिक कौन? नरेंद्र मोदी सरकार! तभी दुनिया के अखबारों जैसे ‘गार्डियन’ आदि अखबारों में वैश्विक खबर थी कि भारत में अफगानिस्तान से आई 2.7 अरब डॉलर की हेरोइन बंदरगाह पर बरामद। यों कहने को अडानी ग्रुप ने कहा है कि सुरक्षा चौकसी हमारी जिम्मेवारी नहीं। मतलब अडानी ग्रुप ने मोदी सरकार पर लापरवाही, ड्रग्स व्यापार का ठीकरा फोड़ा। लेकिन कल्पना करें और सोचें कि अफगानिस्तान और भारत के स्मगलरों को अडानी का प्राइवेट बंदरगाह ही क्यों सुरक्षित समझ आया? सरकारी बंदरगाहों से तो ऐसे कंटेनरों से ड्रग्स आने, बंदरगाहों से बरामदगी (इस तरह की खबर दुनिया के और किसी बंदरगाह से कभी सुनने को नहीं मिली) की खबर नहीं सुनने को मिली तो अडानी स्वामित्व का बंदरगाह कैसे तस्करों का स्वर्ग? अब ये खबरें भी हैं कि पहले भी ऐसे कंटेनर इंपोर्ट हुए और ताजा बरामदगी से कई टन ज्यादा हेरोइन अदानी के मुंद्रा बंदरगाह से तालिबान से आयात हुई तो क्या तो अजित डोवाल की आंतरिक सुरक्षा का तामझाम और कैसा गृह मंत्रालय की चौकीदारी वाले सुरक्षा बलों का मतलब!
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समझा जाए कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, खाड़ी के देशों से ड्रग्स, सोने-चांदी जैसी तमाम अवैध चीजों, मंहगी कस्टम ड्यूटी की स्मगलिंग का सर्वाधिक करीबी इलाका गुजरात या फिर मुंबई का तटीय इलाका है। पहले स्मगलर छोटी-छोटी नावों से सामान लाते थे। लेकिन अडानी के मुंद्रा बंदरगाह के ताजा किस्से से अब समझ आया है कि प्राइवेट बंदरगाह से अवैध सामान कंटेनरों में भर कर भारत पहुंच रहा है और स्मगलरों की चांदी है! सो, यदि देश की सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार सचमुच संजीदा है तो तमाम खुफिया एजेंसियों को पिछले दस सालों के कंप्यूटर रिकार्ड से चेक कराना चाहिए कि टेल्कम पावडर या चांदी आयात जैसे फर्जी वस्तु नाम से प्राइवेट बंदरगाहों से ड्रग्स, हेरोइन, सोने, हथियार जैसी अवैध चीजों का गुपचुप आयात तो नहीं हुआ? यह जरूरी इसलिए है कि यदि तालिबानी अफगानी अडानी के मुंद्रा बंदरगाह से हेरोइन भारत भिजवाते रहे हैं तो भविष्य में क्या गांरटी जो तालिबानी जिहाद के लिए कंटेनरों से मशीनरी के नाम पर हथियार न भिजवाएं!
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बहरहाल सुर्खियों के बेताज बादशाह अडानी पर लौटा जाए। गौतम अडानी और उनके ग्रुप ने पिछले सात सालों में नरेंद्र मोदी के राज में जो रिकार्ड बनाए हैं उसका बेसिक सवाल है कि हम हिंदुओं के लिए अडानी क्या कुबेर माफिक पूजने लायक नहीं हो गए हैं? इस दीपावली हम हिंदू क्यों न अडानी की फोटो लगा कर उन्हें इस विनती के साथ पूजें कि हमें भी वह कला, वह आशीर्वाद दें, जिससे जिधर देखो उधर से धन की बरसात! बिड़ला और टाटा (तीन-चार दशक अंबानी को भी) को दशकों लगे खरबपति बनने में लेकिन बीस वर्षों में पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्त में अडानी ने सोने की अपनी जो लंका बनाई है वह क्या हिंदुओं के इतिहास की पुराण कथा जैसा नहीं है! जैसे रावण और कुबेर की कथा। हां, बहुत कम हिंदुओं को ध्यान होगा कि रावण और कुबेर भाई थे। रावण का सौतेला भाई कुबेर था। ब्रह्माजी को प्रसन्न करके कुबेर धनपति बने थे और बाद में पिता के कहने पर कुबेर ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दी थी। कुबेर की सफलता का राज था प्रसन्न कर आशीर्वाद पाना! उससे कुबेर के हाथों हुआ धन अर्जन-विकास और फिर लंकाधिपति रावण को सोने की लंका बनाने का श्रेय! पर हां, अपने उस पुराण काल में तालिबानी मुसलमान व उनके अफीम, ड्रग्स, हेरोइन के धंधे जैसे काम तब नहीं थे और न कुबेर की धन तपस्या अडानी-अंबानी की तरह चांदी के जूतों वाली हुआ करती थी।
जिधर सुनो उधर अडानी!
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