गुजरात में 88.57 प्रतिशत हिंदू आबादी है और अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि उनको इसकी ही राजनीति करनी है। उन्होंने 9.67 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को छोड़ दिया है। तभी बिलकिस बानो के साथ बलात्कार के दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा किया गया तो आम आदमी पार्टी ने इस पर बयान नहीं दिया। उलटे जब इस बारे में पूछा गया तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आप के नंबर दो नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह उनका मुद्दा नहीं है। सिसोदिया ने कहा कि वे स्कूल बनाने वाले और अस्पताल बनाने वाले हैं। इसी से आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया कि उसको कैसी राजनीति करनी है। अब केजरीवाल ने रुपए पर लक्ष्मी और गणेश की फोटो लगाने की बात करके अपना एजेंडा और साफ कर दिया है।
जाहिर है वे हिंदुत्व की राजनीति का एक प्रयोग गुजरात में कर रहे है। उनको पता है कि 10प्रतिशत के करीब मुस्लिम वोट में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का मुकाबला करना होगा और अगर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी चुनाव लड़ने उतरी तो उससे भी मुकाबला होगा। इसकी बजाय 90प्रतिशत के करीब हिंदू वोट में मुख्य मुकाबला भाजपा के साथ है। भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में 49प्रतिशत के करीब वोट मिले थे। इसका मतलब है कि कुल हिंदू वोट का 60प्रतिशत भाजपा को मिला था और 40प्रतिशत वोट कांग्रेस को मिला था। वे उस 40प्रतिशत हिंदू वोट को टारगेट कर रहे हैं, जो पिछली बार कांग्रेस को मिला था और पहले भी मिलता रहा था। यह वोट स्थायी रूप से भाजपा विरोधी है। इस वोट के अलावा भाजपा को मिलने वाले 60प्रतिशत हिंदू वोट में भी केजरीवाल यह संदेश बनवा रहे हैं कि वे भी भाजपा की तरह हैं या भाजपा से ज्यादा कट्टर हिंदू राजनीति कर सकते हैं। इसके अलावा उनका मैसेज है कि वे गरीबों को सारी चीजें मुफ्त में देते हैं। सो, हैरानी नहीं होगी कि यदि वे भाजपा के समर्थक हिंदू वोट में भी सेंध लगाने में कामयाब हों।
यह संभावना इस वजह से भी है क्योंकि गुजरात में विकास के तमाम दावों के बावजूद 31 लाख 56 हजार से ज्यादा परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं। यह आंकड़ा गुजरात सरकार ने 31 अगस्त 2021 को विधानसभा में बताया था। इसका मतलब है कि औसतन सवा से डेढ़ करोड़ आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। इस आबादी को केजरीवाल के वादे अपील कर सकते हैं। राज्य में 14.75प्रतिशत आदिवासी आबादी है, जिसे केजरीवाल की कल्याणकारी योजनाएं अपील कर सकती हैं। मुफ्त में बिजली और पानी देने की घोषणा उन्होंने कर दी है और सभी वयस्क महिलाओं को एक हजार रुपए नकद देने का ऐलान भी किया है। इसके अलावा अच्छे स्कूल में मुफ्त शिक्षा और अच्छे अस्पताल में मुफ्त इलाज का वादा भी कर रहे हैं। इसके बाद जो वेतनभोगी वर्ग है उसके लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की घोषणा की है। इस तरह गरीब, निम्न मध्य वर्ग और मध्य वर्ग के लिए केजरीवाल ने जमकर घोषणाएं की हैं।
बावजूद इसके उनकी राजनीति में एक कमी झलक रही था। वह यह थी गुजरातियों को वे विपक्ष के साथ राजनीति करते दिख रहे थे। इसकागुजरात में मतलब हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी बना हुआ है। केजरीवाल को इससे बाहर निकलने की जरूरत दिख रही थी। सो, उन्होंने अपने को विपक्ष की राजनीति से बाहर कर लिया है। अब वे भाजपा का विरोध कर रहे हैं लेकिन देश की पारंपरिक भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ मिल कर राजनीति नहीं कर रहे हैं। भाजपा के विरोध का उनका एजेंडा दूसरा है। वे गवर्नेंस के साथ साथ भाजपा की आलोचना इसलिए भी करने लगे हैं क्योंकि वह कट्टर हिंदू एजेंडे को नहीं लागू कर रही है। वे हिंदुत्व के मसले पर भाजपा का विरोध कर रहे हैं। उनकी यह पोजिशनिंग एक बड़े तबके को अपील कर सकती है।
पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में आम आदमी पार्टी को सिर्फ 24 हजार वोट मिले थे। यह कुल वोट का 0.10प्रतिशत था। उसके उलट भाजपा को 49 और कांग्रेस को 42प्रतिशत के करीब वोट मिले थे। उसके बाद से आम आदमी पार्टी ने गुजरात में बड़ी राजनीति की है। स्थानीय निकाय चुनावों में आप ने सूरत में अच्छा प्रदर्शन किया और 28 सीटें जीतीं। उनके पास प्रशांत किशोर की तरह चुनाव रणनीतिकार संदीप पाठक हैं, जिन्होंने पंजाब में आप की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने गुजरात के वोट का आंकड़ा भी बैठाया होगा। उनको पता है कि अपनी कल्याणकारी और मुफ्त बांटने की योजनाओं से केजरीवाल भाजपा और कांग्रेस दोनों को मिले हिंदू वोटों में सेंध लगा सकते हैं। अगर उनका प्रयोग सफल होता है और वे सम्मानजनक वोट हासिल करने में कामयाब होते हैं तो उनकी राजनीति आगे बढ़ेगी। ध्यान रहे पिछले दिनों खबर आई थी कि गुजरात में पार्टी नेताओं की एक बैठक में किसी ने केजरीवाल को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की बात कही थी तो अमित शाह ने कहा था कि वे केजरीवाल को लेकर सिर्फ 2024 के लिए नहीं, बल्कि 2029 के लिए भी सोच रहे हैं।