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पाकिस्तान में कैसा इस्लाम?

पिछले हफ्ते दुबई में मुझे कई अफगान और पाकिस्तानी मिले। सब के सब पाकिस्तान के हालात पर बहुत परेशान दिखे। आर्थिक दृष्टि से तो पाकिस्तान का संकट सारी दुनिया को पता चल ही गया है लेकिन अभी-अभी वहां के मानव अधिकार आयोग की जो ताजा रपट आई है, उसे देखने से पता चलता है कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों- हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, शियाओं और अहमदिया लोगों की हालत कितनी बुरी है। उनके मंदिरों, गिरज़ों, गुरूद्वारों और मस्जिदों के जलाए जाने की खबरें तो टीवी चैनलों और अखबारों में छपती ही रहती हैं। वे छिपाए भी नहीं छिपती हैं।

लेकिन वहां गैर-मुस्लिमों को मार-मारकर जो मुसलमान बनाया जाता है, उसके बारे में जो ताजा तथ्य और आंकड़े सामने आए हैं, उनसे पाकिस्तान ही नहीं, इस्लाम की भी छवि मलिन होती है। पाकिस्तानी मानव अधिकार आयोग ने दावा किया है कि अकेले सिंध प्रांत में एक साल में 60 जबरन धर्मांतरण के किस्से सामने आए हैं। ये तो वे किस्से हैं, जो सामने आए हैं। जो सामने नहीं आते हैं, वो किस्से कई गुना ज्यादा हैं। पूरे पाकिस्तान में जबरन मुसलमान बनाए जानेवालों की संख्या हर साल सैकड़ों में होती है।

इनमें ज्यादातर 14 से 20 साल की हिंदू लड़कियां होती हैं, जिनका या तो अपहरण कर लिया जाता है या जिनसे बलात्कार किया जाता है। इनसे शादी करनेवाले मुसलमानों की उम्र इनसे प्रायः दुगुनी-तिगुनी होती है। इसे क्या हम धर्म-परिवर्तन कहेंगे? यदि कोई स्वेच्छा से समझ-बूझकर अपना धर्म बदलना चाहे तो उसे ही धर्म-परिवर्तन कहा जा सकता है लेकिन यह तो अधार्मिक बलात्कार है। जो लोग यह अधार्मिक बलात्कार करते हैं, क्या उन्हें इस्लाम के सिद्धांतों से कुछ लेना-देना है? बिल्कुल नहीं।

वे इस्लाम के नहीं, अपनी वासना के गुलाम हैं। ऐसे लोगों को दंडित करना किसी भी इस्लामी राज्य का पुनीत कर्तव्य है लेकिन पाकिस्तान में इसका उल्टा होता है। वासना या अंधभक्ति से प्रेरित ऐसे लोगों को दंडित करने की बजाय पाकिस्तान का कानून ‘इस्लामद्रोहियों’ को मौत की सजा देने को तैयार रहता है। इस्लामद्रोहियों को धर्मद्रोही कहा जाता है और उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता है। अदालत और सरकारें तो उनके खिलाफ बाद में कार्रवाई करती हैं। उनके पहले ही इस्लामप्रेमी लोग उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं।

उन्होंने इस्लाम जैसे क्रांतिकारी मजहब को, जिसने अरबों के अंधकारमय जीवन में रोशनी लाई थी, अब शुद्ध पोंगापंथ का रूप दे दिया है। इस्लाम के नाम पर क्या-क्या नहीं चल पड़ा है? पाकिस्तान यदि इस्लामी राष्ट्र है, जैसा कि वह दावा करता है तो वहां हर बड़े घर में शराबखाने क्यों खुले हुए हैं? बेगुनाह लोगों की हत्या क्यों की जाती है? पाकिस्तान दुनिया का सबसे भयंकर आतंकवादी देश क्यों बन गया है? क्या वजह है कि अब दुनिया के कई मालदार इस्लामी राष्ट्र भी पाकिस्तान की डूबती हुई आर्थिक नय्या को उबारने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं?

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By वेद प्रताप वैदिक

हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पत्रकार। हिंदी के लिए आंदोलन करने और अंग्रेजी के मठों और गढ़ों में उसे उसका सम्मान दिलाने, स्थापित करने वाले वाले अग्रणी पत्रकार। लेखन और अनुभव इतना व्यापक कि विचार की हिंदी पत्रकारिता के पर्याय बन गए। कन्नड़ भाषी एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने उन्हें भी हिंदी सिखाने की जिम्मेदारी डॉक्टर वैदिक ने निभाई। डॉक्टर वैदिक ने हिंदी को साहित्य, समाज और हिंदी पट्टी की राजनीति की भाषा से निकाल कर राजनय और कूटनीति की भाषा भी बनाई। ‘नई दुनिया’ इंदौर से पत्रकारिता की शुरुआत और फिर दिल्ली में ‘नवभारत टाइम्स’ से लेकर ‘भाषा’ के संपादक तक का बेमिसाल सफर।

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