बेबाक विचार

आखिर कोरोना से कैसे लड़ें?

ByNI Editorial,
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आखिर कोरोना से कैसे लड़ें?
कोरोना वायरस से लड़ाई में हर इंसान की भूमिका है- ये बात विशेषज्ञ भी कहते हैं और सत्ताधारी नेता भी। मगर भारत में आम इनसान का जो हाल है, उसके बीच वह इस लड़ाई को कैसे लड़े, इस बारे में अक्सर चुप्पी साध ली जाती है। कोरोना से संघर्ष में सबसे प्रभावी उपाय बार- बार हाथ धोना है। जानकारों के मुताबिक साबुन से हाथ धोते रहें या हाथ को सैनेटाइजर से साफ करते रहें, तो काफी हद तक व्यक्ति का इसके संक्रमण से बचाव हो सकता है। वैसे ये बात पहले भी मालूम थी, लेकिन अब एक सर्वेक्षण से ये कड़वी हकीकत सामने आई है कि भारत में पांच करोड़ से अधिक भारतीयों के पास हाथ धोने की ठीक व्यवस्था नहीं है। इस कारण उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने और उनके द्वारा दूसरों तक संक्रमण फैलने का जोखिम बहुत अधिक है। अमेरिका के वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) के शोधकर्ताओं ने कहा कि निचले एवं मध्यम आय वाले देशों के दो अरब से अधिक लोगों में साबुन और साफ पानी की उपलब्धता नहीं है। इस वजह से अमीर देशों के लोगों की तुलना में वहां संक्रमण फैलने का जोखिम अधिक है। यह संख्या दुनिया की आबादी का एक चौथाई है। एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्ज नाम के जर्नल में में छपी अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक सब-सहारा अफ्रीका और ओसियाना यानी ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप 50 फीसदी से अधिक लोगों के पास अच्छे से हाथ धोने की सुविधा नहीं है। शोध में पता चला कि 46 देशों में आधे से अधिक आबादी के पास साबुन और साफ पानी की उपलब्धता नहीं है। भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और इंडोनेशिया में से प्रत्येक में पांच करोड़ से अधिक लोगों के पास हाथ धोने के लिए साफ पानी या साबुन खरीदने की क्रय शक्ति नहीं है। अध्ययन में सामने आया कि इन देशों में घरों के अलावा दूसरी जगहों जैसे स्कूल, कार्यस्थल, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं और अन्य सार्वजनिक स्थानों, बाजारों में हाथ धोने की सुविधाएं बहुत कम रहती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हैंड सैनिटाइजर जैसी चीजें अस्थायी व्यवस्था हैं। कोरोना से सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है। ये उपाय हाथ होने की उचित व्यवस्था ही है। जबकि हकीकत यह है कि हाथ धोने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर साल दुनिया मे सात लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। तो फिर कोरोना से लड़ाई कैसे होगी?
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