बेबाक विचार

इसे बेनकाब करना जरूरी है

ByNI Editorial,
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इसे बेनकाब करना जरूरी है
हालांकि इससे होगा कुछ नहीं, फिर भी एक विशेषज्ञ और नागरिक के तौर पर अपना एतराज जताने के लिए ये सही कदम उठाया गया है। ऐसे कदमों से इतना तो होता ही है कि ऐसे मसलों पर लोगों का ध्यान जाता है। साथ ही ऐसी सोच क्यों खतरनाक और असंवेदनशील है, उसके तर्क समाज में जाते हैं। ऐसे अमानवीय नजरिए को बेनकाब करना एक जरूरी काम है, जिसे करने के लिए जो भी आगे आता है, उसका मनोबल बढ़ाया जाना चाहिए। इसीलिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के उपाध्यक्ष डॉ नवजोत सिंह दहिया ने जो मामला दर्ज कराया है, उस पर चर्चा अवश्य की जानी चाहिए। दहिया ने कोरोना मरीजों और डॉक्टरों का मजाक उड़ाने वाली बाबा रामदेव की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए जालंधर पुलिस में केस दर्ज कराया है। उन्होंने रामदेव उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। उसमें बाबा रामदेव कह रहे थे कि ‘चारों तरफ ऑक्सीजन ही ऑक्सीजन का भंडार है, लेकिन मरीजों को सांस लेना नहीं आता है। इसलिए वे नकारात्मकता फैला रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी है।’ इसे लेकर ही दहिया ने केस दायर किया है। कहा है कि इस तरह की टिप्पणियां डॉक्टरों के लिए अपमानजनक हैं। ये डॉक्टरों की मानहानि का मामला बनता है। तो आईएमए उपाध्यक्ष ने मांग की है कि कोविड-19 को लेकर प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए रामदेव के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। गौरतलब है कि रामदेव ने कहा था कि जिसका भी ऑक्सीजन स्तर गिर रहा हो, उसे ‘अनुलोम विलोम प्राणायाम’ और ‘कपालभाती प्राणायाम’ करना चाहिए। दहिया ने दलील दी है कि रामदेव ने कोरोना के संबंध में गलत सलाह देकर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम 1897 का उल्लंघन किया है। इसके तहत भी उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। ऐसा सचमुच होगा, इसकी न्यूनतम संभावना है। रामदेव आज एक रसूखदार हैसियत हैं। वैसे भी वर्तमान सत्ता प्रतिष्ठान के भीतर उनके जैसी सोच रखने वालों की कमी नहीं है। ऐसे में कानूनी कार्रवाई की बात जहां की तहां रह जाएगी। इसके बावजूद दहिया की पहल से ये हुआ है कि रामदेव की सोच पर तार्किक सवाल समाज के सामने आए हैं। जब देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है और डॉक्टर अपनी जान पर खेलकर इलाज में लगे हैं, तब रामदेव ने असल में उनका मखौल उड़ाया है। ये बात सबके सामने आनी ही चाहिए।
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